राहुल गांधी के पास इतिहास बनाने का मौका, अदालत में RSS की इज्जत को खतरा

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने महात्मा गांधी की हत्या की थी या नहीं ये हमेशा के लिए रिकॉर्ड में शामिल होने का वक्त आ गया है. दर असल संघ परिवार राहुल गांधी के विछाए जाल में फंस गया है. उसने राहुल गांधी के खिलाफ महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगान के मामले में मानहानि का केस दर्ज कर दिया. अब मभिवंडी कोर्ट ने उन्हें 23 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं. 2014 के इस मामले में कांग्रेस पूरी तैयारी के साथ ये साबित करने में जुटी है कि सचमुच महात्मा गांधी की हत्या संघियों ने की थी. इसके लिए पार्टी ने जबरदस्त तैयारी की है.

मानहानि के मुकदमे में दरअसल संघ को साबित करना होगा कि उसके मान की कितनी हानि हुई है और राहुल गांधी को साबित करना होगा कि उन्होंने जो कहा वो सच कहा.

राहुल के खिलाफ स्थानीय आरएसएस पदाधिकारी राजेश कुंटे ने मामला दायर किया था. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव के अभियान के दौरान छह मार्च 2014 को अपने भाषण में महात्मा गांधी की हत्या को लेकर कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ टिप्पणी की थी. उनका आरोप था कि इससे आरएसएस की छवि को नुकसान पहुंचा है.

कांग्रेस के पास हैं मजबूत सबूत

हालांकि राहुल गांधी ने कहा था कि वह हर शब्द पर कायम हैं. उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या पर आरएसएस के खिलाफ अपनी टिप्पणी के लिए मानहानि मामले में एक सितंबर को आरोपी के तौर पर मुकदमे का सामना करने का फैसला किया था. जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह अपने बयान के हर शब्द पर कायम हैं.

दर असल सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी पर संघ की मानहानि का मुकदमा कांग्रेस के लिए ही नहीं दूसरे सेक्युलर लोगों के लिए एक मौका है. इस मौके का फायदा उठाकर वो गांधी जी की हत्या में संघ की भमिका को साबित कर सकते हैं. अगर वो ऐसा करने में कामयाब रहे तो  सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड में हमेशा हमेशा के लिए आरएसएस का नाम महात्मागांधी के हत्यारे के रूप में दर्ज हो जाएगा.

इस पूरे मामले में जो कोर्ट में बहस होगी उसकी तैयारियां दोनों तरफ से की जा रही हैं. जिस तरह की तैयारियां हो रही हैं उसे देखकर लगता है कि बहस कानूनी से ज्यादा बौद्धिक बहस होगी . ये भारत के इतिहास की सबसे गंभीर और सबसे ज्यादा प्रयासों के साथ की जाने वाली बहस में शामिल हो सकती है.

अदालत में पेश करने के लिए राहुल गाँधी के वकील कपिल सिब्बल तरह-तरह के सबूत जुटाने में लगे हैं. कपिल सिब्बल ने इस मामले में अदालत में राजेश कुंटे से भी जिरह की मांग की है. राजेश कुंटे वहीँ व्यक्ति जिन्होंने राहुल गाँधी पर मानहानि का मुकदमा किया था.

राहुल गाँधी के वकील गोडसे को आरएसएस का सदस्य साबित करने के लिए महात्मा गाँधी के परपोते तुषार गाँधी की किताब के अलावा मार्क जे, मनोहर मलगांवकर, एस इस्लाम, कोएनराड एल्स्ट जैसे लेखकों की किताबों को इकट्ठा कर रही हैं. कपिल सिब्बल का कहना है कि अदालत में आरएसएस के नेताओं से भी जिरह की मांग करेंगे, उनका मानना है कि यह संघ का पर्दाफाश करने का भी अच्छा मौका है. सिब्बल ने कहा कि हम उम्मीद करते है कि खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत इन मुद्दे पर अदालत में जिरह करने आएं.

ये सबूत जो कांग्रेस ने अब जुटाए हैं

राहुल गाँधी की टीम जिन किताबों का जिक्र अदालत में करेगी उनमे मार्क-जे की किताब ‘द न्यू कोल्ड  वॉर रिलिजियस नेशनलिस्ट कंफ्रन्ट द सेक्युलर स्टेट’ है.  इस किताब में लिखा गया है कि ”’नेहरू ने  फ़रवरी 1948 को होम मिनिस्टर को पत्र लिखकर बताया था कि गाँधी जी की हत्या एक बड़े अभियान का हिस्सा था, और यह अभियान आरएसएस का था.

वहीं मनोहर मलगांवकर की किताब ‘द मैन हु किल्ड गाँधी’ में कहा गया है कि गोडसे महासभा और आरएसएस का सदस्य था.  भले आरएसएस इससे इनकार करे लेकिन सरदार पटेल ने संघ के तत्कालीन प्रमुख एस गोलवलकर को चिट्ठी लिखकर बताया था कि गाँधी की हत्या पर संघ में मिठाई बांटी गई थी.