यूपी में बगावत पर उतारू हुए पुलिस वाले, काला दिवस मनेगा, तिवारी की पत्नी को धमकी

अपनी नाजायज मांगों के लिए और असंवैधानिक रूप से लोगों की हत्या का अधिकार पाने के लिए अगर कोई नयी मिसाल कायम हो रही है तो वो यूपी की पुलिस कर रही है. एक तो एक बेकसूर की जान ले ली. जान लेने वाले को मिली सजा को चुनौती. फिर चंदा इकट्ठा करके सजा देने वाले कानून को ठेंगा और अब 5 अक्टूबर को काला दिवस.

जिन्हें कानून की रक्षा करनी है वो कानून के इस तरह दुश्मन बने हुए हैं. अगर देखा जाए तो ये कानून व्यवस्था के चरमरा जाने और बाकायदा यूपी में राष्ट्रपति शासन लगने जैसा केस बनता दिख रहा है.

उधर विवेक तिवारी की पत्नी ने आरोप लगाया है कि सोशल मीडिया पर पुलिसवाले अपने आरोपी पुलिस वालों का साथ दे रहे हैं और मुझे धमकी दे रहे हैं, इससे मेरा परिवार डरा हुआ है ये सब बंद होना चाहिए.इस पर यूपी के डीजी ने कहा है कि वो ऐसे पुलिस वालों पर एक्शन लेंगे. लेकिन एक्शन क्या लेंगे पूरी पुलिस बगावत पर उतारू है.

ताज़ा खबर ये हैं कि उत्तर प्रदेश पुलिस राज्य कर्मचारी परिषद खुलकर विवेक तिवारी हत्याकांड के आरोपी पुलिसकर्मियों के समर्थन में उतर आई है. इस संगठन ने 5 अक्टूबर को काला दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है.

इस संगठन के महासचिव अविनाश पाठक ने कहा कि 5 तारीख से पुलिसकर्मी काला बिल्ला या काली पट्टी लगाएंगे. इसके बाद 6 तारीख को इलाहाबाद में मीटिंग बुलाई गई है और उसके बाद इस दिशा में आंदोलन का फैसला लिया जाएगा.

पाठक का कहना है कि राज्य पुलिस के सभी सिपाही आरोपी सिपाही की बिना जांच के बर्खास्तगी और उसे जेल भेजे जाने के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं.

गौरतलब है कि 5 अक्टूबर को यूपी पुलिस के सिपाही काला दिवस मना रहे हैं. इसको लेकर सोशल मीडिया पर काफी तरह के वीडियो और पोस्टर वायरल हो रहे हैं.

उधर, विवेक तिवारी हत्याकांड के बाद पुलिस वेलफेयर एसोसिएशन ने आरोपी पुलिसवालों के पक्ष में सूबे के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि जो पुलिस कर्मचारी या अधिकारी ड्यूटी निभाते वक्त मारे गए हैं. उन्हें भी विवेक तिवारी के परिवार की तरह 40-40 लाख रुपये दिए जाएं.

पत्र में कहा गया कि उन पुलिसवालों के बच्चों और परिवारवालों को भी सरकारी नौकरी दी जाए. उनको मकान भी दिए जाएं. उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों को तत्काल वापस लिया जाए.

पत्र के अनुसार इन मांगों के समर्थन में सभी गैर राजपत्रित पुलिसकर्मी और अधिकारी आगामी 11 अक्टूबर को मेस के खाने का बहिष्कार करेंगे. अगर सरकार तब भी मांगे नहीं मानती तो कर्मचारी आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे. जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

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