जेम्सबांड से कम नहीं थे भोपाल से भागे कैदी. यूं ही नहीं दिया इतनी बड़ी हरकत को अंजाम

वो मामूली आतंकवादी नहीं थे. वो सुपरमैन थे. सुपर हीरो थे जेम्सबॉन्ड के बाप, भोपाल पुलिस के दावों से यही तस्वीर बनकर सामने आ रही है. कालिया फिल्म में अमिताभ बच्चन जेलर से कहता था कि दिया की कोई जेल कालिया को रोक कर नहीं रख सकती. भोपाल के कैदियों का भी यही अंदाज़ था. जेल की सुरक्षा भी ऐसी की हिंदी फिल्में याद आ जाएं. पूरी स्टोरी समझते हैं. पहले 8 लोग रोज़ मीटिंग करते हैं और भागने का प्लान बनाते हैं.

प्लान भी ऐसा कि आपका माइंड काम करना बंद करदे. जहां से पुलिस और जेल की सोच खत्म होती थी वहां से उनकी शुरू होती थी, जब वो मीटिंग करते थे तो किसी हरीराम नाई को भनक तक नहीं लगी . अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर को हवा तक नहीं लगी और कैदियों ने भागने का पूरा इंतज़ाम कर लिया. लकड़ियों और चम्मच की मदद से उन्होंने वो चाभियां बना लीं जो जेल के ताले खोलने में सक्षम थीं. चाभियां बनीं और लोगों को पता भी नहीं चला. तारीख मुकर्रर की गई दिवाली की रात. जिस चम्मच से ताले की चाभी बनाई गई थी जेम्स बांड ने चम्मच से चाकू बनाया और एक ही वार में गार्ड का काम तमाम कर दिया.

इसके बाद कैदी धीरे धीरे दीवार की तरफ बढ़ते रहे. भागने से 3 दिन पहले उन्होंने जेल का सीसीटीवी खराब कर दिया था.  पटाखों की आवाज़ में ऑपरेशन का किसी को पता ही नहीं चला और कैदियों ने कंबल और चादरों की मदद से जबरदस्त रस्सी बनाई. रस्सी को जेल की दीवार पर डाला गया और एक – एक कर 8 कैदी दीवार पर चढ़े और पार चले गए. दीवार पर लगी फेंसिंग भी काट ली .

पार होते ही जेम्सबॉड और उसके साथियों नें हॉलीवुड फिल्म के अंदाज़ में आधुनिक हथियार भी हासिल कर लिए. इसके बाद वो पैदल ही चार धाम की यात्रा पर निकल पड़े. चकाचक कपड़े और जीन्स के साथ. सामने पुलिस भी फिल्मी अंदाज़ में चेतावनी देने लगी. कानून के सामने हथियार डाल दो. अपराधी ऐसेे कि सीना तानकर चट्टान पर खड़े हो गए. दूर से ही कोई निशाना लगा सके.  फिल्मी अंदाज़ में ही जेम्स बांड ने हार मानने से ज्यादा मुकाबला करना ठीक समझा और पुलिस ने जेम्सबॉंड जैसे माइंड और चतुराई वाले इन लड़ाकों का 2 मिनट में दी एंड कर दिया . वो भी तब जब उनके पास आधुनिक हथियार थे.

बड़ी बात ये है कि इन कैदियों में कई खंडवा जेल से भी फरार हो चुके थे . पुलिस की खास चौकसी थी लेकिन फिर जेल की दीवारें उन्हें नहीं रोक पायीं

  1. मोहम्मद अकील खिलजी

खंडवा का रहने वाला था. 2012 में महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले से गिरफ्तार. 2011 में इसके घर से सिमी के 10 आतंकी पकड़े गए थे. आरोप है कि वे बीजेपी और आरएसएस के बड़े नेताओं के कत्ल का प्लान बना रहे थे. पुलिस को उनके मन की बात पचा चल गई. खिलजी पर खंडवा में सिमी का बेस बनाने का आरोप भी लगाया गया.

  1. मेहबूब गुड्डू

खंडवा का रहने वाला था. अबू फैजल का करीबी था जो खुद को मध्य प्रदेश सिमी चीफ बताता था. ट्रिपल मर्डर केस में आरोपी था. एटीएस के कॉन्स्टेबल सीताराम यादव, एक बैंक मैनेजर और एक वकील का कत्ल किया था. 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का भी आरोप. आईईडी बनाते वक्त झुलस गया था. मां नजमा बी और तीन लोगों के साथ फरवरी 2016 में उड़ीसा के राउरकेला से गिरफ्तार.

  1. जाकिर हुसैन

जाकिर हुसैन उर्फ विक्की डॉन उर्फ विनय कुमार खंडवा का रहने वाला था. पहली बार 2008 में गिरफ्तारी. 2008 से 2011 के बीच देवास, इटारसी और कटनी में बैंक डकैती का आरोप. 2010 में भोपाल की मणप्पुरम गोल्ड फाइनेंस कंपनी में हुई डकैती में भी शामिल था. यहां 12 किलो सोना लूटा गया था. एटीएस ने 2011 में गिरफ्तार किया था. खंडवा जेल से 2013 में फरार. उसे भी राउरकेला से ही पकड़ा गया था.

  1. अमजद खान

अमजद खान खंडवा का रहने वाला था. मणप्पुरम फाइनेंस लूट केस में 2011 में गिरफ्तार. 2008 से 2011 के बीच मध्य प्रदेश में हुईं कुछ बैंक डकैतियों में भी शामिल था. खंडवा जेल से फरार हुए सात आतंकियों में अमजद भी शामिल था.

  1. मोहम्मद सालिक

सालिक का एक भाई पहले पुलिस कॉन्स्टेबल था. अमजद खंडवा का रहने वाला था. 2013 में जब सिमी आतंकी खंडवा जेल से फरार हुए तो दो साल छुपे रहने के बाद अमजद उनके साथ हो लिया. राउरकेला फरवरी में गिरफ्तार.

  1. मोहम्मद खालिद अहमद

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले का रहने वाला था. दिसंबर 2013 में उसे अबू फैजल के साथ मध्य प्रदेश में बड़वानी जिले के सेंधवा से गिरफ्तार किया गया था. अबू फैजल खंडवा जेल से फरार आतंकियों का मुखिया था.

  1. मुजीब शेख

इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) से जुड़ा था. आईएम के सात आतंकियों के साथ जून 2011 में जबलपुर से गिरफ्तार. 2008 में अहमदाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट करने वालों में शामिल.

  1. अब्दुल मजीद

उज्जैन के महिदपुर का एक इलेक्ट्रीशियन था. 2014 में गिरफ्तार.