पुलवामा पर मीडिया ने दिखाया ये झूठ, पीएम मोदी को बचाने के लिए झूठ पर क्यों है उतारू, इनसाइड स्टोरी

पुलवामा में हमले के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव और सत्ताधारी बीजेपी को हुए नुकसान के लिए डैमेट कंट्रोल एक्सरसाइज शुरू हो गई है. गोदी मीडिया ने मोदी सरकार के खिलाफ चल रही खबरों को झुठलाने के साथ साथ सरकार के पक्ष में झूठी खबरें फैलानी शुरू कर ही हैं. आपको इन खबरों की हकीकत बताते हैं.

पाकिस्तान का पानी रोका

सरकार के सूत्रों के हवाले से कई चैनलों ने खबर चलाई कि भारत ने पाकिस्तान जाने वाला पानी रोक दिया है. इसे कड़े कदम की तरह बताया जा रहा है लेकिन हालात कुछ और हैं. पाकिस्तान का न तो पानी रोका गया है न ही पाकिस्तान का पानी रोकना भारत के लिए तकनीकी रूप से संभव है.

खुद जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने आज समाचार एजेंसी एएनआई को दिए बयान में कहा कि पाकिस्तान से तीन चिनाव, सतलुज और रावी नदियों का पानी आता है. उसमें भारत कुछ कम इस्तेमाल कर पाता है अब पूरा करेंगे. इसके लिए बांध बनाने का प्रसताव है. यानी आने वाला पानी जाने वाला नहीं.  जाहिर बात है इससे कोई फर्क पाकिस्तान को नहीं पड़ेगा.

गडकरी ने एक और बात कही उन्होंने कहा कि पानी की सप्लाई समझौते का हिस्सा है. हम इसे नहीं तोड़ सकते लेकिन ऐसे मुश्किल हालात में हम पानी रोकना चाहें तो रोकने के लिए कुछ इन्फ्रा स्ट्रक्चर भी चाहिए होगा. ये क्या हो सकता है कहां कहां बांध बनाने होंगे कहां चेक डेम लगा सकते हैं. बगैरह के लिए अभी रिपोर्ट बना रहे हैं. जाहिर बात है इसमें दस साल से ज्यादा लगेंगे वो भी अगर आज से ही काम शुरू हो जाए. यानी पानी रोकना संभव ही नहीं है. गडकरी ने ये भी कहा कि ये फैसला भी अभी नहीं हुआ है जो भी फैसला होगा पीएम लेंगे लेकिन मंजीरा मंडली कह रही है कि पानी रोक दिया.

पीएम मोदी ने भोजन नहीं किया.

कई चैनल सूत्रों के हवाले से खबर चला रहे हैं कि पुलवामा हमले की खबर मिलने के बाद पीएम ने भोजन नहीं किया. जबकि ये खबर पुष्ट हो चुकी है कि प्रधानमंत्री ने जिम कॉर्बेट में डिस्कवरी चैनल के लिए शूटिंग की और उसके बाद टी पार्टी हुई. जिसमें प्रधानमंत्री ने हिस्सा भी लिया और नाश्ता भी किया.

पीएम को हमले की जानकारी नहीं थी

जब कहा गया कि पीएम जिम कॉर्बेट में शूटिंग कर रहे थे और जवानों की जान जा रही थी. ये खबर एक के बाद एक श्रोंतों से पुष्ट होती गई यहां तक कि समयवार इसका शेड्यूल भी आ गया और वीडियो भी सामने आ गया. इसके बाद मीडिया के एक हिस्से में खबर चलायी जाने लगी कि पीएम को खबर नहीं मिल सकी थी क्योंकि जिम कॉर्बेट में मोबाइल सिग्नल की समस्या है. बुद्धि की बलिहारी है उस चैनल की और उस रिपोर्टर की . पीएम का सारा संचार और कम्युनिकेशन क्या मोबाइल नेटवर्क के भरोसे रहता है. फर्ज करों पीएम को आपात स्थिति में किसी से संपर्क ही नहीं हो सकेगा.

ऐसे हालात में तीन स्तर की व्यवस्था होती है. पीएम के पास सेटेलाइट फोन होते हैं. थुराया के ये फोन धरती के किसी भी कोने में काम करते हैं. इनके अलावा लोकल पुलिस के वायरलैस होते हैं और वनविभाग का अपना कम्युनिकेशन सिस्टम होता है. इतना ही नहीं एसपीजी के पास ऐसी फ्रीक्वेंसी होती है जो सेना के नेटवर्क के ज़रिए काम करती हैं.

लेकिन इससे भी बड़ी बात ये कि पीएम ने उसी जगह से शूटिंग को तरजीह देते हुए एक जनसभा को फोन पर ही संबोधित किया.

मीडिया क्यों बनता है हथियार

पत्रकारिता के हिसाब से देखें तो ये चलन नया है . इससे पहले कभी भी किसी बयान का जवाब या खंडन कभी भी सूत्रों के हवाले से नहीं किया जाता था. लेकिन अब सूत्रों के हवाले से वो बातें लिखी जा रही हैं जिन्हें कहने का जोखिम सत्ताधारी पार्टी या सत्ता नहीं ले सकती. क्योंकि अगर ये सूचना झूठी साबित होती है तो जवाब देना होगा. लेकिन ये बातें जब खबर के तौर पर छपती हैं तो आसानी से शेयर की जा सकती हैं और उन्हें समाचार माध्यम की सूचना मानकर झूठ को भी सच बनाया जा सकता है.

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