दिल्ली के अफसरों ने रोक दी है तरक्की की रफ्तार, केजरीवाल ने इसलिए दिया धरना

केजरीवाल अगर धरने पर हैं तो  सिर्फ दिखावा नहीं है. केजरीवाल समर्थकों का कहना है कि जानबूझ कर दिल्ली सरकार को फंसाने की कोशिश हो रही है. आपको बताते हैं सिलसिले वार अफसरों के कथित असहयोग की कहानी..

30 मई . दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि बसों की खरीद के मामले में दो दिन में जवाब दिया जाए. इसके बाद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर वर्षा जोशी ने फोन उठाना बंद कर दिया. और तो और उन्होंने जवाब ही नहीं दिया. नतीजा ये हुआ कि 1 जून को हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल नहीं किया जा सका.

औद्योगिक विकास निगम से कहा गया कि वो अनियमित कॉलोनियों की स्थिति बताएं. निगम ने दो रिपोर्ट दाखिल कीं. एक 13 मार्च को और दूसरी अगले ही दिन 14 मार्च को. दोनों रिपोर्ट में एक दूसरे को काटने वाली जानकारियां थीं. इसके बाद डीएसआईडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर मोहनजीत सिंह को बार बार बुलाया गया लेकिन वो नहीं आए.फोन भी उठाना बंद कर दिया.

दिल्ली के लोगों को राशन लेने में कई परेशानियां हो रही थीं. दिल्ली के फूड कमिश्नर ने मामले पर चर्चा के लिए खाद्य मंत्री के पास आने से ही इनकार कर दिया. और तो और जनता को परेशान करने वाला एक आदेश जारी कर दिया वो भी सरकार से बात किए बगैर.

स्लम एरिया में पब्लिक टॉयलेट की देख रेख के लिए एक प्रोफेशनल कंपनी को रखा जाना था. बजट में इस काम के लिए बाकायदा 100 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया. इस प्रोजेक्ट को एक अप्रेल से शुरू होना था. आजतक कोई काम शुरू नहीं हो सका. इसके बाद दिल्ली स्लम सुधार बोर्ड के सीईओ शूरवीर सिंह को बार बार बुलाया गया लेकिन वो नहीं आए और सरकार कुछ नहीं कर पाई.

सरकार झुग्गी बस्तियों में उनके रहने की जगह पर ही मकान देने और बसाने की योजना थी. ये योजना 99 झुग्गी बस्तियों में लागू होनी थी. मंत्री ने बैठक बुलाई लेकिन शूरवीर सिंह नहिं आए.

दिल्ली प्रदूषण से घुट रही थी. कई लोगों की जान दम घुटने और ब्रेन स्ट्रोक से हो चुकी थी. सरकार ने फैसला लिया कि हर 15 दिन में बौठक होगी, कूड़ा जलाने और धूल को रोकने के लिए काम किया जाएगा और उसकी समीक्षा की जाएगी लेकिन पर्यावरण सचिव ए के सिंह ने बैठक में आने से इनकार कर दिया . तीन महीने हो गए हैं. काम नहीं हो पा रहा.

पिछले महीने राशन डीलरों ने हड़ताल का एलान कर दिया. उन्होंने धमकी दी कि वो अगले महीने से राशन नहीं उठाएंगे . ये इमरजेंसी वाले हालात थे. लोगों को परेशानी होने वाली थी. खाद्य मंत्री ने बैठक बुलाई लेकिन खाद्य सचिव ने आने से इनकार कर दिया.

आप समर्थकों का कहना है ये हज़ारों उदाहरणों में से कुछ है. ये वो तरीके हैं जिनसे सरकार को काम करने से रोका जा रहा है. उनका दावा है कि इसीलिए केजरीवाल धरने पर बैठने को मजबूर हिए.

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