सामाजिक-धार्मिक कारणों से बलात्कार तो नहीं बढ़े? हाईकोर्ट ने मोदी सरकार से मांगी रिपोर्ट,

नई दिल्ली : काफी समय बाद किसी अदालत ने खून का बदला खून के अंदाज़ में रेप केस पर सुनवाई करने के बजाय बड़े सवा कड़े किए हैं. मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि कि सरकार पता लगाए कि निर्भया कांड के बाद बेहद सख्त कानून बनाने के बावजूद रेप क्यों बढ़ रहे हैं.

अदालत ने तमिलनाडु और केन्द्र सरकार से ये पता लगाने कहा है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते सेक्स क्राइम की वजह कहीं मर्दों की ना पूरा हो पाने वाली सेक्स भूख तो नहीं है. अदालत ने टिप्पणी की कि, क्या सेक्स अनुपात में गड़बड़ी की वजह से महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध तो नहीं बढ़ रहे हैं. यानी कन्या भ्रूण हत्या के कारण महिलाओं की संख्या में कमी के कारण रेप तो नहीं बढ़ रहे.

जस्टिस एन किरुबाकरन ने इस मामले में 10 जनवरी तक सरकार से रिपोर्ट मांगी है. अदालत का मानना है कि ऐसे अपराधों पर ना सिर्फ कानून की दृष्टि से बल्कि मनोवैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टि से भी विचार किये जाने की जरूरत है. अदालत का ये भी मानना है कि सेक्स पर कई तरह के धार्मिक, सांस्कृतिक और नैतिक प्रतिबंध लगाये गये हैं.

अदालत ने यह टिप्पणी एंड्रयू और प्रभु नाम के दो आरोपियों की बेल याचिका को ठुकराते हुए की. इन दोनों पर 60 साल की एक मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला के साथ रेप और उसकी हत्या का आरोप है. जज ने कहा कि इन दोनों आरोपियों को ना तो ‘इंसान’ कहा जा सकता है और ना ही ‘जानवर’ क्योंकि जानवर भी अपने तरीके से शिष्ट होते हैं.

जज ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए केन्द्र और महिला आयोग को निर्देश दिया कि दोनों संस्थाएं कुछ सवालों का जवाब देते हुए एक रिपोर्ट पेश करे. अदालत ने के इन सवालों में ये भी शामिल है कि क्या शराब भी बढ़ते यौन अपराधों की एक वजह है. क्या कन्या भ्रूण हत्या और भ्रूण हत्या की वजह से सेक्स रेशियो में आई गिरावट इसकी वजह है? अदालत ने ये भी जानना चाहा कि क्या महिलाओं के खिलाफ बढ़ता यौन अपराध मर्दों की सेक्स संतुष्टि ना हो पाना है.

मद्रास हाई कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या महिलाओं और लड़कियों को लेकर बढ़ रहा सेक्स क्राइम सेक्स की समझ और जानकारी में कमी को लेकर हो रहा है. या फिर इंटरनेट पर पोर्न और अश्लील सामग्रियों की आसानी से उपलब्धता की वजह से ऐसे अपराध बढ़ रहे हैं. अदालत ने सरकार से आधुनिक तकनीक और गैजेट भी विकसित करने को कहा है जिनका इस्तेमाल संकट के वक्त में महिलाएं कर सकें.ue