मीडिया ने तोड़ी 70 साल पुरानी मर्यादा, जेल जा सकते हैं कई संपादक

नई दिल्ली: आप को हो सकता है अजीब लगे लेकिन हो सकता है कि आने वाले समय में देश के कई अखबारों के संपादकों को जेल जाना पड़े. इस बार कई चैनलों और अखबारों ने जो गलती की है उस पर कोर्ट जाकर भी बचना आसान नहीं होगा.

मामला राज्यसभा में सपा नेता नरेश अग्रवाल के अभद्र  बयान का है. दर असल इस बयान को राज्यसभा की कार्रवाई से निकाल दिया गया था. खुद नरेश अग्रवाल ने भी इस पर खेद जताया था. नियम कहता है कि अगर कोई बयान सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाता है तो उसे कहीं भी रिपोर्ट नहीं किया जा सकता. क्योंकि वो बयान अस्तित्व खो चुका होता है.

मामला राज्यसभा में उठा को नरेश अग्रवाल ने सदन को बताया कि उनके घर में भाजपा युवा मोर्चा के लोगों ने आकर तोड़फोड़ की और मेरठ का एक नेता धमकी दे रहा है. चेयर तुरंत इसका संज्ञान ले. दोषी टीवी चैनलों और अखबारों के संपादकों और समन करना चाहिए. नरेश अग्रवाल के समर्थन में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, सुखेंद्र शेखर रॉय, तपन सेन, प्रमोद तिवारी से लेकर तमाम सांसद खड़े हो गए और चेयर से इस मसले में कार्रवाई करने की मांग करने लगे. उनका कहना था कि मीडिया द्वारा चेयर का भी अपमान हुआ है.

ये इतिहास में पहला मौका है जब सदन की कार्रवाई से निकाल दी गई कोई घटना मीडिया में रिपोर्ट हुई. जाहिर बात है इसका बुरा असर हुआ.  मीडिया में बयान छापने पर संसद सदस्यों ने प्रिविलेज का मामला उठाया, जिसके बाद सभापति हामिद अंसारी ने सदन के सचिवालय को निर्देश दिया कि वह एक टीवी चैनल और कुछ अखबारों को कारण बताओ नोटिस जारी कर मामले की जांच करें.