जाते जाते मोदी सरकार को नसीहतें दे गए राष्ट्रपति प्रणव, बताया लोकतंत्र का मतलब


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नई दिल्ली: जाते जाते राष्ट्रपति प्रणव मुकर्जी पीएम मोदी और उनकी सरकार को ढेर सारी नसीहतें देकर गए हैं. प्रणव मुकर्जी ने एक एक कर उन सारे तरीकों पर सवाल उठाया जो असंवैधानिक हैं और जिनका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है.

राष्ट्रापति ने कहा, सरकार को कोई कानून लाने के लिए अध्यादेश के विकल्प से बचना चाहिए और उसका इस्तेमाल तब करना चाहिए जब कोई रास्ता न बचा हो. संसद का सामना करने से बचने के लिए अध्यादेश लाना गलत है.

राष्ट्रपति न कहा – “मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि अध्यादेश का इस्तेमाल सिर्फ अपरिहार्य परिस्थितियों में ही करना चाहिए और वित्त मामलों में अध्यादेश का प्रावधान नहीं होना चाहिए.” प्रणब मुखर्जी ने जोर देकर कहा कि अध्यादेश का रास्ता सिर्फ ऐसे मामलों में चुनना चाहिए, जब विधेयक संसद में पेश किया जा चुका हो या संसद की किसी समिति ने उस पर चर्चा की हो. मुखर्जी ने कहा, “अगर कोई मुद्दा बेहद अहम लग रहा हो तो संबंधित समिति को परिस्थिति से अवगत कराना चाहिए और समिति से तय समयसीमा के अंदर रिपोर्ट देने के लिए कहना चाहिए.”

उल्लेखनीय है कि अध्यादेश जारी किए जाने के छह महीने तक इसकी वैधता बनी रहती है और उसके बाद यह स्वत: रद्द हो जाता है. सरकार को इसके बाद या तो इसकी जगह कानून पारित करना होता है या फिर से अध्यादेश जारी करना होता है. देश की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार शत्रु संपत्ति अध्यादेश पांच बार ला चुकी है, क्योंकि विपक्ष को इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति है. ये लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है कि चुनी हुई संसद की इजाजत के बगैर आप कोई कानून लागू कर दे.

प्रणव मुकर्जी ने कहा कि भारत में सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर रहते हैं, संविधान उन्हें संरक्षण प्रदान करता है. सरकार को भी इसका खयाल रखना चाहिए.

राष्ट्रपति ने अपना कार्यकाल समाप्त होने के दो दिन पहले कहा कि संसद में काम के घंटे कम होना चिंता की बात है. संसद में व्यवधान नहीं होना चाहिए . राष्ट्रपति ने कहा कि संसद में व्यवधान से विपक्ष को सरकार से ज्यादा नुकसान होता है.

 

वहीं प्रणब मुखर्जी ने ये भी कहा कि देश की एकता संविधान का आधार है. पहले संसद में गंभीर चर्चा होती थी. जब संसद में किसी व्यवधान की वजह से कार्रवाई नहीं हो पाती तो लगता है कि देश के लोगों के साथ गलत हो रहा है.

राष्ट्रपति ने जीएसटी के आम सहमति से लागू होने को परिपक्व लोकतंत्र की निशानी बताया उनहोंने कहा कि इस कानून से गरीबों को फायदा होगा.

राष्ट्रइपति प्रणब मुखर्जी का विदाई समारोह संसद के सेंट्रल हॉल में हुआ.लोकसभा एवं राज्यकसभा के सदस्य् देश के 13वें राष्ट्रा ध्येक्ष प्रणब मुखर्जी को विदाई देने एकत्र हुए. समारोह में लोकसभा अध्य क्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय कैबिनेट, विपक्षी पार्टियों के नेता मौजूद रहे. लोकसभा स्पीतकर ने सांसदों द्वारा हस्ता क्षरित एक पुस्तकक मुखर्जी को भेंट की. प्रणव मुकर्जी ने अपने भाषण में इंदिरा गांधी, लालकृष्ण आडवाणी और सोनिया गांधी का भी जिक्र किया.