नोटों की प्रिंटिंग प्रेस से चोरी हो रहे हैं करोड़ों के नोट, ऐसे पता चला

देवास (मध्य प्रदेश ):  हाई सिक्यूरिटी वाले बैंक नोट प्रेस में शुक्रवार को बड़ा मामला सामने आया. बीएनपी के कंट्रोल सेक्शन के डिप्टी कंट्रोल ऑफिसर मनोहर वर्मा को सीआईएसएफ ने रिजेक्ट नोट चुराकर ले जाते हुए रंगे हाथ पकड़ा. इसके बाद उसे बीएनपी पुलिस के हवाले कर दिया. करीब 26 लाख स्र्पए ऑफिस और 64.50 लाख स्र्पए आरोपी के घर से जब्त हुए. बीएनपी पुलिस ने आरोपी को 22 जनवरी तक पुलिस रिमांड पर लिया है.

बीएनपी पुलिस के अनुसार शुक्रवार सुबह करीब आठ बजे सीआईएसएफ के जवानों को वर्मा की गतिविधि संदिग्ध लगी. इस दौरान वर्मा लकड़ी के बॉक्स में कुछ छुपाने का प्रयास कर रहा था. इस पर सीआईएसएफ जवानों ने उसे हिरासत में ले लिया और वरिष्ठ अफसरों को सूचना दी. सीआईएसएफ और बीएनपी के वरिष्ठ अफसरों की उपस्थिति में जब आरोपी वर्मा की तलाशी ली गई तो उसके जूते में से 200 स्र्पए के रिजेक्ट नोट की दो गड्डियां मिली. सूचना पर बीएनपी थाने टीआई उमराव सिंह टीम के साथ पर पहुंचे. इसके बाद आरोपी वर्मा के ऑफिस की तलाशी ली गई, जहां उसके दराज और अन्य लकड़ी के बक्से से 26 लाख 9 हजार 300 स्र्पए के रिजेक्ट नोट जब्त हुए. स्र्पए जब्त कर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

बीएनपी स्थित आरोपी के ऑफिस से स्र्पए मिलने के बाद पुलिस ने आरोपी के साकेत नगर स्थित मकान पर दबिश दी. यहां से पुलिस को 64.50 लाख स्र्पए के रिजेक्ट नोट मिले. इसके बाद आरोपी को थाना लाया गया. टीआई उमराव सिंह ने ताया आरोपी को न्यायालय में पेश कर 22 जनवरी तक पुलिस रिमांड पर लिया है.

 

उधर आरोपी से जब मीडिया ने पूछा कि वह कब से यह काम कर रहा है तो आरोपी का कहना था कि वह अप्रैल से इस सेक्शन में आया था और करीब तीन माह से चोरी कर रहा था. शर्ट और जूते के अंदर नोटों की गड्डियां छुपाकर ले जाता था. जब भी उसे मौका मिलता वह गड्डी उठा ले जाता. इस दौरान आरोपी ने मीडिया को जूते खोलकर बताया कि किस तरह वह स्र्पए जूते में रखता था.

 

सूत्रों के अनुसार मनोहर वर्मा 1984 में बीएनपी में बतौर क्लर्क भर्ती हुआ था. वह पहले कंट्रोल सेक्शन में न होकर प्रिंटिंग सेक्शन में था. इसके बाद बीएनपी में पद खाली हुए और 25 प्रतिशत कोटा पदोन्न्ती के लिए रखा गया तो मनोहर वर्मा को कंट्रोल विभाग में एसिस्टेंट इंस्पेक्टर बना दिया गया. इसके बाद बीएनपी कॉर्पोरेशन में चला गया. इस दौरान कुछ कर्मचारी कॉर्पोरेशन में चले गए तो कुछ केंद्र सरकार के अधीन रहे. कुछ ने वीआरएस ले लिया. ऐसे में फिर पद खाली हुए और वर्मा को इसका फायदा मिला. इसके बाद वह प्रमोशन पाकर डिप्टी कंट्रोल ऑफिसर के पद तक पहुंच गया.

 

सूत्रों की माने तो बीएनपी में सीआईएसएफ की हाई सिक्यूरिटी होती है. जहां घटना हुई वहां भी भारी सुरक्षा व्यवस्था रहती है. लेकिन रिजेक्टेड नोट जब मशीन पर नष्ट करने के लिए ले जाए जाते हैं तो वहां यह गड़बड़ पकड़ना सीआईएसएफ के लिए भी मुश्किल है. सूत्रों की माने तो कंट्रोल विभाग के नोट साइड सेक्शन में रिजेक्ट नोट को नष्ट करने के लिए एक सिस्टम बनाया हुआ है. इसके तहत नोटों की संख्या का रिकॉर्ड दर्ज किया जाता है और इसके बाद उसे नष्ट करने के लिए प्रोसेस किया जाता है. नोट नष्ट करने के लिए मशीन चालू होने के बाद नष्ट होने से पहले कोई अगर नोट उठा लेता है तो यह गड़बड़ सामने नहीं आती है और उन नोटों को रिकॉर्ड में नष्ट मान लिया जाता है.

 

बीएनपी सूत्रों के अनुसार किसी भी नोट की छपाई के दौरान अगर उसकी सीरिज का कोई अंक ऊपर नीचे हो, उसकी स्याही फैल गई हो या अन्य कोई गड़बड़ हो तो उसे आरबीआई ने रिजेक्ट नोट मानता है. यह गड़बड़ केवल बीएनपी की मशीनें ही पकड़ पाती है. इसके बाद इसे रिजेक्ट नोट की श्रेणी में मान लिया जाता है और प्रोसेस कर उन्हें नष्ट कर दिया जाता है. आम व्यक्ति, बैंक और दुकानदार इस गड़बड़ को नहीं पकड़ पाते हैं.

 

बीएनपी में नोट साइड सेक्शन के हर कर्मचारी की सख्त चैकिंग होती है. जो भी कर्मचारी बाहर आता है उसके पेंट-शर्ट और जूते उतरवाकर चैकिंग होती है. इस दौरान सुपर वाइजर की भी चैकिंग होती है लेकिन उनके जूते और पेंट-शर्ट नहीं उतरवाए जाते हैं. केवल ऊपर से ही उनकी चैकिंग होती है. इसी का फायदा आरोपी वर्मा ने उठाया.

 

सीआईएसएफ मुख्यालय दिल्ली के एआईजी पब्लिक रिलेशन हेमेंद्र सिंह ने कहा शक होने पर आरोपी पर निगाह रखकर सीआईएसएफ के जवानों ने उसे पकड़ा है. पुलिस केस दर्ज कराया है. आरोपीके जूते चेक नहीं होते थे इसका वह फायदा उठा रहा था. घटना शर्मनाक है और हम पूरी कार्रवाई कर रहे हैं. घटना सामने आने के बाद अब बीएनपी के वरिष्ठ अफसरों से बात कर पूरी कार्य योजना बनाई जाएगी. सुरक्षा व्यवस्था का पूरा रिव्यू किया जाएगा.