ABP News के रिपोर्टर Rakshit Singh का फैसला कितना गलत कितना सही ?

एबीपी #abp#news​ न्यूज़ #abp​ news के संवाददाता रक्षित #Rakshit​ Singh के इस्तीफे के एलान से मैं बहुत सहमत नहीं हू. video में पूरा भाषण सुनने के बाद लोग उनकी तारीफ कर रहे है. उन्होंने किसान आंदोलन के मंच पर जाकर इस्तीफे का एलान किया. जाहिर बात है उन्होंने इस बात को भी अच्छी तरह एक्सपोज किया कि कैसे चैनल किसान आंदोलन की खबरों को दबा रहे हैं. लेकिन पत्रकार के तौर पर मैं इसमें कुछ और समस्या देख रहा हूं. ये समस्या पिछली बीस सालों में पत्रकारों के बीच तेजी से उभरी है. दरअसल रिपोर्टर जिस वातावरण को रिपोर्ट करता है उसे वहां बेहद आलोचनात्मक दृष्टिकोण रखना होता है. वो जिस पार्टी की बीट को कवर कर रहा है उसकी कमियां और उसके काले पक्ष को निकालकर जनता के सामने लाना रिपोर्टर का काम है. लेकिन हाल के सालों में देखा गया कि बीजेपी की बीट कवर करने वाले रिपोर्टर किसी भक्त से भी ज्यादा भाजपायी जैसा व्यवहार करते नजर आते हैं. कांग्रेस वाले भी कांग्रेसी होने लगे हैं. पहले ऐसा नहीं होता था. रिपोर्टर कोई रियायत नहीं बरतते थे. सामाजिक दायित्वों की कमी. पढ़ने लिखने में कम रुचि और खबरों को एजेंडा की चीज मानने की मानसिकता ने सबकुछ बदल दिया है. दरअसल मजबूत वैचारिक समझ न होने के कारण रिपोर्टर रोज जिस वातावरण में घूमता है उसके जैसा सोचने लगता है. वो उसी तरह का बन जाता है. रक्षित ने भी वही किया है वो किसान आंदोलन कवर करते करते वहां के विचारों से इतना ज्यादा प्रभावित हो गए कि उनका अपना साक्षी भाव विलीन हो गया. वैचारिक रूप से उनका फैसला सही हो सकताहै. पत्रकार और प्रेस की आजादी के लिहाज से भी उन्होंने अच्छा एलान किया लेकिन मुझे इस एलान में उनके निरपेक्ष और निर्लिप्त न रह पाने की प्रवृति जरूर लग रही है . एक पत्रकार को ऐसा नहीं होना चाहिए. रिपोर्टरे के लिए ये ठीक नहीं.

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