प्रधानमंत्री मोदी के साथ फिर जुड़ेंगे प्रशांत किशोर, सीधे मोदी से हो रही है बात ?

नई दिल्ली :  2019  के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर पीएम मोदी पीके यानी प्रशांत किशोर के साथ रणनीति बनाते दिखाई दे सकते है. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी और किशोर के बीच एक राजनीतिक मध्यस्थ के जरिए बातचीत हो रही है और इस बाबत दोनों की कुछ मुलाकातें भी हो चुकी हैं. 2014 के चुनाव में पीएम मोदी की सफलता के पीछे बड़ा हाथ पीके यानी प्रशांत किशोर का माना जाता था.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी और किशोर सीधे तौर पर भी एक-दूसरे के संपर्क में हैं. उनके बीच बीते छह महीने से बातचीत-मुलाकात हो रही है. इन मुलाकातों में 2019 के चुनाव के लिहाज़ से साथ काम करने की संभावनाओं पर विचार किया गया है. सूत्र बताते हैं कि किशोर की इस बाबत भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाकात हुई है.

इस पूरे घटनाक्रम से वाक़िफ़ एक राजनेता इसकी पुष्टि करते हैं. हालांकि वे यह भी जोड़ते हैं, ‘अभी कुछ अंतिम रूप से पक्का नहीं है. क्योंकि पहले की तुलना में स्थितियां बदल चुकी हैं. मोदी अब प्रधानमंत्री हैं. देश के सबसे ऊंचे क़द के नेता हैं. वे 2012 वाले मोदी नहीं रहे जब प्रशांत गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए उनसे पहली बार जुड़े थे. भाजपा भी अब 2014 वाली पार्टी नहीं रही जब प्रशांत गुजरात के गांधीनगर से समानांतर प्रचार अभियान चलाते थे. भाजपा पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत हो चुकी है.’

वे आगे कहते हैं, ‘प्रशांत भी अब पहले जैसे नहीं हैं. उन्होंने इतने साल तक भाजपा से रास्ता अलग रखा. हालांकि इसके बावज़ूद भाजपा के खेमे में उनके लौटने की सुगबुगाहट तो है. ऐसे में अगर प्रशांत लौटते हैं तो वे सीधे प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम कर सकते हैं. क्योंकि ये तय है कि 2019 का चुनाव भी ब्रांड मोदी के इर्द-ग़िर्द ही घूमेगा. इसलिए उसी ब्रांड को और मज़बूती देने का काम प्रशांत और उनकी टीम को सौंपा जा सकता है.’

प्रशांत किशोर 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की प्रचार टीम से अलग हो गए थे. तब ख़बरें आई थीं कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मतभेद के कारण उन्होंने ऐसा किया था. इसके बाद 2015 में वे बिहार चुनाव के लिए नीतीश कुमार की टीम से जुड़े और उनके नेतृत्व वाले महागठबंधन (जनता दल-यूनाइटेड, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल) के लिए काम किया. फिर पिछले साल उन्होंने उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव में कांग्रेस का प्रचार अभियान भी संभाला.