योगी में योगी के हाथ पांव बंधे, वादे पूरे करने में एक के बाद एक अड़ंगे, किसानों के कर्ज भी अटके

लखनऊ: योगी जबसे सीएम बने हैं वो कोई काम नहीं कर पा रहे. हालात ये हैं कि वो भारी भरकम एलान के बाद भी उत्तर प्रदेश में किसानों के कर्ज माफी का फैसला ब्यूरोक्रेसी की भेंट चढ़ गया है. जिस राज्य में किसानों को खुश होना था अब वो ङी आंदोलन की राह पर है. जानकारों का कहना है कि ये योगी की मजबूरी का एक और हिस्सा है. जानकारों का कहना है कि यूपी की ब्यूरोक्रेसी पर कुछ केन्द्रीय ताकतों की पकड़ है और योगी की मीडिया पर तारीफ और मीडिया में मोदी से तुलना के बाद से ये ताकतें योगी के हर फैसले पर ठीक उस अंदाज़ में अड़ंगा लगा रही हैं जैसे दिल्ली में केजरीवाल के साथ हो रहा है.

 

यूपी के किसानों की मानें तो दरअसल अभी कर्ज माफी के ऐलान के अलावा कुछ नहीं हुआ. जिसके चलते किसान निराश हैं और खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. किसान बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिल पा रही है. किसानों की मानें तो बैंकों का कहना है कि अभी तक ऊपर से कोई आदेश नहीं आया है.

 

सूबे की कमान सभालते ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली कैबिनेट बैठक में ही कर्ज माफी का प्रस्ताव पास कर दिया. सरकार ने यूपी के किसानों का 36 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज माफ करने का फैसला किया. किसानों के 1 लाख तक तक के कृषि ऋण माफ करने का ऐलान किया गया. मगर, सरकार बनने के ढाई महीने बीत जाने के बाद भी किसानों का ऋण माफ नहीं हो सका.

 

इतना ही नहीं योगी का अफसरों को दिया गया संपत्ति की घोषणा के फैसले को भी ठेंगा दिखा दिया गया है. उनको अपनी पसंद का पीएस तक रखने की इजाजत नहीं दी गई.

 

चंदौली के किसानों को योगी सरकार के फैसले के बाद कर्ज से मुक्ति मिलने की एक उम्मीद जगी थी. नियामताबाद के किसान अरुण सिंह ने बताया कि पिछले साल खेती के लिए एक लाख सोलह हजार का कर्ज लिया था. सरकार ने कर्जमाफी की घोषणा की तो लगा राहत मिल जाएगी. लेकिन बैंक ने अब तक कर्ज माफ नहीं किया. वहीं किसान अजय सिंह पर कृषि ऋण है. अजय का दुख ये है कि पुराना कर्ज माफ नहीं हुआ, ऐसे में नई फसल की बुआई भी उनके लिए चुनौती बनी हुई है.

 

इलाके के दूसरे किसानों का भी कुछ ऐसा ही हाल है. ऐसे में सवाल ये भी है कि एक तरफ किसान कर्ज माफी की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आये हैं तो दूसरी तरफ कर्ज माफी के ऐलान के बाद यूपी के किसानों बेहाल हैं, तो उनकी मुश्किल कब दूर होगी. क्योंकि किसानों को कागजों के बाद अब हकीकत में कर्ज माफ होने का इंतजार है.