फिर मिल बैठे दो यार, बार्डर पर बर्बरता लेकिन दिल में मोहब्बतें, मां का हाल भी पूछा

नई दिल्ली:  एक तरफ दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाकर सैनिकों की जान ली जा रही है दूसरी तरफ भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री फिर से मिले और अंदाज़ वही पुराना दोस्ताना था. उतना ही दोस्ताना जिसके चलते गणतंत्र दिवस की परेड में नवाज़ शरीफ को मुख्य अतिथि बनाया गया. उतना  ही दोस्ताना जिसमें शरीफ की बेटी की शादी में अटल विहारी वाजपेयी से जन्मदिन पर आने का वादा तोड़कर पीएम लाहौर पहुच गए थे . वो भी भारत सारा प्रोटोकॉल तोड़कर और भारत के स्वाभिमान को दांव पर लगाकर. फिर सैनिकों के सिर काटने वाले देश के पीएम से निजी दोस्ती को मोदी ने प्राथमिकता दी और उसकी मां का हाल पूछा. आपको बता दें कि दोनों की मुलाकात नेशनल बैस्ट फ्रेंड डे के दिन हुई है.

एक शीर्षस्थ सूत्र ने बताया कि शरीफ के दिल का ऑपरेशन होने के बाद से मोदी उनसे मिलने को आतुर थे और मौका मिल ही गया. मोदी ने उनके स्वास्थ्य के बारे में तफ्सील से पूछताछ की. शरीफ की पिछले साल जून में ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी. उन्होंने बताया कि मोदी ने शरीफ की मां और परिवार के बारे में भी पूछताछ की.

मोदी और शरीफ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के गए हैं. इस शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को एससीओ के पूर्ण सदस्य के तौर पर कल शामिल किया जाएगा.

दोनों नेताओं के बीच ये दोस्ताना तब दिखाई दे रहा है जब जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा दो भारतीय सैनिकों का सिर काटने और पूर्व भारतीय नौसैनिक अधिकारी कुलभूषण जाधव को जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने समेत कई मुद्दों को लेकर भारत और पाकिस्तान के संबंधों में गिरावट आई है. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है.

दिसंबर 2015 में मोदी अफगानिस्तान की एक दिवसीय यात्रा से लौटने के दौरान आश्चर्यजनक तरीके से लाहौर पहुंच गए थे. पिछले 10 से अधिक वर्षों में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली पाकिस्तान यात्रा थी. हालांकि, मोदी की पाकिस्तान यात्रा से बना सकारात्मक माहौल ज्यादा समय तक नहीं टिक सका था क्योंकि पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों ने पठानकोट में भारतीय वायु सेना के ठिकाने पर दो जनवरी 2016 को हमला कर दिया.

इससे पहले, यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी और शरीफ की द्विपक्षीय बैठक होगी तो इसपर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा, ‘‘हमारा रुख नहीं बदला है. उनकी तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं है. हमारी तरफ से भी कोई प्रस्ताव नहीं है. भारत कहता रहा है कि मोदी-शरीफ बैठक के लिए न तो पाकिस्तान की तरफ से कोई अनुरोध है और न ही भारत की तरफ से इस तरह का कोई प्रस्ताव है. उन्होंने कहा कि ऐसे कई क्षण रहे हैं जब नेता एक ही स्थान पर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि वे मिले अथवा नहीं. कजाखस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में मोदी, शरीफ, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग शामिल हुए.

सांस्कृतिक संध्या में मोदी और शरीफ दूर-दूर बैठे थे. सांस्कृतिक कार्यक्रम में एक भारतीय दल ने कथक नृत्य पेश किया. यह एक ऐसे देश की एकमात्र प्रस्तुति थी जो अब तक एससीओ का सदस्य नहीं है. भारत और पाकिस्तान दोनों को कल एससीओ के पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल किया जाएगा.

इससे पहले दिन में स्वागत समारोह के लिए रवाना होने से पहले यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी मोदी के साथ बैठक होगी तो शरीफ सिर्फ मुस्कराए थे और मीडियाकर्मियों की तरफ हाथ लहराया था. कई लोगों ने इसकी व्याख्या संभावित बैठक या कम से कम दोनों नेताओं के बीच निजी बातचीत होने के संकेत के तौर पर की थी.

बता दें कि इससे पहले साल 2015 में हुई पाकिस्तानी मीडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच पेरिस में हुई संक्षिप्त मुलाकात पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘रिश्तों में आए दुराव को खत्म करने वाला’ बताया था. हालांकि पाक की ओर से अब भी लगातार तनाव जारी है. दोनों नेताओं के बीच मुलाकात का कार्यक्रम नहीं था और पेरिस में एक ही जगह पर आमना सामना होने के बाद प्रोटोकॉल के नियमों की परवाह किए बिना दोनों नेताओं ने संक्षिप्त बातचीत भी की थी. शरीफ ने बाद में मीडिया को बताया कि यह बातचीत ‘अच्छी’ रही.

‘शरीफ को अकेला पाकर मोदी खुद पहल करते हुए उनके पास गए और दोनों ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया तथा बैठकर थोड़ी देर तक आपस में गुफ्तगू की.

बैठक में मौजूद एक पाकिस्तानी अधिकारी का हवाला देते हुए अखबार ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी बातचीत के लिए अधिक उत्सुक थे और वहां वही एकमात्र ऐसे थे जिन्होंने हमारे प्रधानमंत्री से संपर्क किया. अखबार ने भारत-पाक वार्ता में हालिया गतिरोध का हवाला देते हुए कहा कि संभवत: इससे दोनों देशों के बीच वार्ता पटरी पर आ सकेगी.’

याद रहे कि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि जब जब नवाज शरीफ की सत्ता खतरे में होती है तो मोदी बॉर्डर पर तनाव पैदा करके शरीफ की तरफ से पाकिस्तान का ध्यान बंटाने में उनकी मदद करते हैं. हाल ही में जब मोदी पनामा लीक में फंसे तो ये ही हुआ था.