नोएडा में सरकारी ज़मीनें लौटा रहे हैं बिल्डर, अखिलेश राज में सोने से महंगी खरीदी थीं ज़मीने

नई दिल्ली :  एक तरफ नोएडा में मायावती और मुलायम सिंह सरकार पर बिल्डरों को सस्ते में ज़मीन बेचने के आरोप लगते रहे हैं तो दूसरी तरफ एक स्कीम आते ही सरकारी ज़मीन लौटाने वाले बिल्डरों की लाइन लग गई है. इसे मोदी सरकार के बिल्डरों को राहत के तोहफे के तौर पर भी देखा जा रहा है. महंगी जमीन खरीदकर बिल्डर फंस गए थे. सरकार उन्हें राहत पहुंचाने के लिए ये स्कीम लाई है.

ये ज़मीन 2011 में 1 लाख सात हज़ार तीन रुपये प्रति वर्ग फुट पर खरीदी थी. यह जमीन नोएडा में स्पाइस मॉल और सिटी सेंटर मेट्रो के पास में स्थित है. पहले फेज में कंपनी ने 4 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया था.

अधिकारियों के मुताबिक, वेव सेक्टर 25ए की खाली पड़ी जमीन वापस लौटाना चाहता है. नोएडा के 25ए और सेक्टर 32 में कमर्शियल और रेसिडेंशियल एरिया के रुप में डेवलप करने के इस कंपनी ने 110 एकड़ जमीन ली थी. लेकिन कंपनी ने वापस करने का फैसला किया क्योंकि वो ज़मीन की कीमत वसूल करने की हालत में नहीं है.

कंपनी को अथॉरिटी की तरफ से 152 एकड़ जमीन मिली थी. इस जमीन की वैल्यू करीब 6500 करोड़ रुपये है. प्रॉपर्टी एक्सपर्ट के मुताबिक, वेव द्वारा इस जमीन के वापस करने से लग रहा है कि रियल इस्टेट सेक्टर अभी भी मंदी के दौर से गुजर रहा है.

इस तरह से नोएडा में जमीन मिलने के बाद वापस करने वाली वेव इंफ्राटेक दूसरी कंपनी बन गई है. इससे पहले 2009 में रियल इस्टेट कंपनी बीपीटीपी ने 100 एकड़ की जमीन वापस की थी. तब कंपनी ने इसके लिए 5 हजार करोड़ रुपये दिए थे.

कंपनी ने यह जमीन इसलिए वापस की थी, क्योंकि वो इसका पूरा पेमेंट नहीं कर पाई थी. अभी फिलहाल 20 से ज्यादा कंपनियों ने नोएडा प्राधिकरण में जमीन वापस करने की अर्जी दे रखी है. कंपनियों का कहना है कि जितना पैसा उन्होने अथॉरिटी को दिया है, उसकी लागत भी बड़ी मुश्किल से निकल पा रही है.

यूपी सरकार ने डेवलपर्स के लिए अभी एक सेटलमेंट पॉलिसी लांच की हुई है, जिसके तहत नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे में रियल्टी सेक्टर के मामलों को निपटाना है. इस पॉलिसी के तहत वेव ने फिलहाल जो जमीन वापस की है, उसकी मार्केट वैल्यू 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है.