चार दिन से बैंक से पैसे नहीं मिले, घर में राशन नहीं था, दिल्ली की बहू ने फांसी लगा ली

मोदी सरकार की नोट बदलवाने की योजना की मार अब गरीबों पर पड़ने लगी है. दिल्ली के खजूरी खास में बैंक में नोट न बदले जाने से लगातार बढ़ते तनाव से आहत एक युवती ने फांसी लगाकर जान दे दी. मृतका की शिनाख्त रिजवाना (22) के रूप में हुई है. रिजवाना के पास पुराने वाले चार हजार रुपये के नोट थे. जिन्हें वह बदलने का प्रयास कर रही थी. घर में खाने-पीने की दिक्कत भी थी. पुराने नोट होने के कारण कोई सामान भी नहीं दे रहा था. इधर, पिछले तीन दिनों से रिजवाना बैंक की लाइन में लगकर लौट रही थी, लेकिन रुपये नहीं बदले जा रहे थे. रविवार को भी जब नोट नहीं बदले गए तो उसने शाम करीब 5.00 बजे पहली मंजिल स्थित अपने कमरे में फांसी लगा ली. परिजन जब घर पहुंचे तो उन्होंने रिजवाना को फंदे से लटके देखा. परिजन फौरन उसे फंदे से उतारकर जीटीबी अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. नासिर ने आरोप लगाया कि अगर रुपयों की व्यवस्था ठीक होती तो रिजवाना फांसी नहीं लगाती.

पुलिस के मुताबिक मूलरूप से गांव खानपुर-भड़कंऊ, बुलंदशहर निवासी रिजवाना अपने दो छोटे भाइयों के साथ ई-298, गली नंबर-2, खजूरी खास में रहती थी. इसके परिवार में मां जरीना गांव में जबकि दो बड़ी बहनें गुलजार व रुकसाना व तीन भाई हैं. बड़ा भाई अंसार मुस्तफाबाद में अलग रहता है, जबकि दोनों शादीशुदा बहनें अपने पति के साथ अलग रहती हैं. रिजवाना घर में ही कढ़ाई का काम करती थी. जबकि उसके दोनों छोटे भाई छोटी-मोटी मजदूरी करते हैं. रिजवाना के जीजा मो. नासिर ने बताया कि नोटबंटी के बाद घर में रुपयों की काफी दिक्कत हो गई थी.

रिजवाना के पास पुराने वाले चार हजार रुपये के नोट थे. जिन्हें वह बदलने का प्रयास कर रही थी. घर में खाने-पीने की दिक्कत भी थी. पुराने नोट होने के कारण कोई सामान भी नहीं दे रहा था. इधर, पिछले तीन दिनों से रिजवाना बैंक की लाइन में लगकर लौट रही थी, लेकिन रुपये नहीं बदले जा रहे थे. रविवार को भी जब नोट नहीं बदले गए तो उसने शाम करीब 5.00 बजे पहली मंजिल स्थित अपने कमरे में फांसी लगा ली. परिजन जब घर पहुंचे तो उन्होंने रिजवाना को फंदे से लटके देखा. परिजन फौरन उसे फंदे से उतारकर जीटीबी अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. नासिर ने आरोप लगाया कि अगर रुपयों की व्यवस्था ठीक होती तो रिजवाना फांसी नहीं लगाती.

चंदा कर किया दफनाने का इंतजाम

नोटबंदी के चलते रिजवाना के परिवार के ऐसे हालात थे कि वह उसके कफन और दफनाने का इंतजाम भी नहीं कर सकते थे. भाई अंसार और जीजा नासिर ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद परिवार शव लेकर खजूरी खास स्थित अपने घर आ गए. यहां आने के बाद पड़ोसियों ने रिजवाना के लिए कफन का इंतजाम किया. बाद में शाम के समय उसे कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया.