1 दिन में खत्म हो सकती हैं नोटों की लाइनें, विपक्ष संसद में क्यों नहीं पूछ रहा ये सवाल

ज्यादातर लोगों को इससे कोई एतराज नहीं है कि मोदी सरकार के नये फैसले को लागू करने का काम बेहद घटिया तरीके से हुआ. इसमें न तो आम आदमी की तकलीफों का खयाल रखा गया, न ही उसे परेशानी से बचाने के लिए इंतजाम किए गए. अब भी लोग परेशान हैं समझ नहीं पा रहे कि कैसे हालात को बदला जाए. सबसे ज्यादा उदासीनता सरकार के हिस्से में दिखाई दे रही है. यहां हैं कुछ सवाल जिनके जवाब कोई नहीं दे पा रहा. विपक्ष संसद में ये सवाल भी नहीं पूछ रहा. पता नहीं क्यों इस पर सब चुप हैं.

1.अगर एटीएम के रिकैलिब्रेशन के कारण नकदी की कमी है तो उन एटीएम में कैश कम क्यों है जिनको पहले ही रिकैलिब्रेट कर दिया गया है और जिनमें 500 और 2000 के नोट निकलने शुरू हो गए हैं?

  1. इन एटीएम में 3 दिन में एक बार कैश क्यों आ रहा है. एक दिन में तीन बार क्यों नहीं?
  2. इन एटीएम में कैश भरने के लिए संसाधनों की कमी नहीं है क्योंकि जो एटीएम रिकैलिब्रेट नहीं किए गए उनमें पैसा भी नहीं भरा जा रहा.
  3. अगर इन एटीएम में पैसा नहीं भरा जा रहा तो वो गाड़ियां भी खाली है जो यहां पैसा लाती थीं उन गाड़ियों का इस्तेमाल करके ज्यादा बार एटीएम क्यों नहीं भरे जा रहे?
  4. कुछ लोगों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस का बयान सही है कि सरकार के पास नोट नहीं हैं. उसने बगैर सोचे समझे ये कदम उठा लिया.
  5. अगर नोट नहीं हैं तो फिर बिग बाज़ार में नोट कैसे आ रहे हैं?
  6. करंट अकाउंट से 50 हज़ार से ज्यादा कैश निकालने की मनाही है फिर किशोर बियाणी के फ्यूचर रिटेल को सरकार किस कानून के तहत नकदी दे रही है?
  7. फ्यूचर रिटेल न तो बैंक है न फायनेंशियल इस्टीट्यूशन फिर पैसे किस हक से दिए जा रहे हैं? किस कानून के तहत ये काम हो रहा है?
  8. ऐसा क्यों है कि सरकार एटीएम में पैसे नहीं डाल रही लेकिन बिग बाज़ार जैसे संस्थानों के पास कैश भेजा जा रहा है?
  9. अगर एटीएम में डालने के लिए पैसे नहीं हैं तो करोड़ों रुपये की राशि इधर उधर पकड़ी जा रही है. वो कहां से आ रही है?
  10. दूल्हों के लिए नोटों की माला के 2000 के नोट कहां से आ रहे हैं?
  11. 2000 के नोटों की कई गड्डियां लेकर लोग घूम रहे हैं वो रुपये कहां से आ रहे हैं? एटीएम के नोट एटीएम में क्यों नहीं डाले जा रहे ?

 

य़े सभी ऐसी बातें हैं जो सबके सामने हैं. इनमें न तो कुछ ऐसा है जो सरकार के सामने नहीं है न ही कुछ ऐसा जो छिपा हुआ है. कुछ फैसले तो खुद मोदी सरकार के है. इस सबका क्या मतलब निकाला जाए. क्या ये देश को आगे बढ़ाने के लिए पब्लिक को परेशान करना ज़रूरी है?  ताकि लोगों को लगे कु कुछ बड़ा होने वाला है क्योंकि बवाल बड़ा है. कहीं ऐसा तो नहीं कि माहौल ज्यादा बनाया जा रहा है और हो कुछ नहीं रहा?