सीएम खट्टर की पेरेन्ट्स को धमकी, विरोध मत करो वरना बच्चों का फ्यूचर खराब हो जाएगा

नई दिल्ली: दिल्ली और आसपास के इलाकों में लोगों के मकान की ईएमआई जितना ही महंगा काम अब बच्चों को पढ़ाना हो गया है. हालात ये हैं कि पेरेन्ट्स हर साल भिखारी की तरह हो जाते हैं. लोन लेकर फीस चुकाते हैं और जैसे तैसे लोन चुकाते हैं नया साल आ जाता है. इसके बावजूद स्कूलों की लूट बंद नहीं हो रही. हमारे पास हरियाणा के मुख्यमंत्री का वीडियो है जिसमें वो पेरेन्ट्स को धमका रहे हैं कि वो स्कूल के खिलाफ हड़ताल वापस ले लें वरना बच्चों का फ्यूचर खऱाब हो जाएगा. जिस सरकार को जनता का साथ देना चाहिए वो धमका रही है लेकिन इससे पहले हम आपको बताते हैं कि दर असल समस्या कितनी बड़ी है.

केस -1
नाम राजीव कुमार, दो बच्चे हैं. सामान्य से प्राइवेट स्कूल के दोनों विद्यार्थी हैं. स्कूल से नोटिस आया है दोनों बच्चों के एनुअल चार्जेज करीब डेढ़लाख रुपये जमा करने हैं. किताबें स्कूल से ही खरीदनी हैं. पांचवी में पढ़ने वाले एक बच्चे की किताबों की कीमत है 10 हज़ार रुपये. केन्द्र सरकार की सीबीएसई की किताबों को ये स्कूल किसी काम का नहीं मानता. यूनीफॉर्म सर्दियों की अलग होती है और गर्मियों की अलग दोनों की कीमत देनी होती है. 15 हज़ार से ज्यादा. जूता 2000 का कोट पेंट और स्वैटर बगैरह के दाम भी इसके आसपास हैं. राजीव कुमार बेहद पावरफुल अफसर हैं. उनके एक इशारे पर किसी को भी जेल में डाला जा सकता है लेकिन वो स्कूल के सामने मजबूर हैं. 50 हज़ार रुपये उधार लेकर बच्चों की फीस भरी है.
केस- 2
नाम अतुल श्रीवास्तव दिल्ली के नज़दीक गाज़ियाबाद के एक स्कूल के पेरेन्ट्स के साथ लड़ रहे हैं. इनके पास सारे कागजात हैं. हाई कोर्ट का ऑर्डर है जिसमें कहा गया है कि स्कूल एनुअल चार्ज वसूल नहीं कर सकते. इस आदेश को लागू करने के लिए मेरठ मंडल के कमिश्नर का भी आदेश है. स्कूल सुनने को तैयार नहीं है. पेरेन्ट्स के साथ स्कूल पहुंचे कहा हम एनुअल चार्जेज नहीं दे सकते ये गैर कानूनी है. कई पेरेन्ट्स ने एनुअल चार्जेज जमा नहीं किए . स्कूल ने बच्चों का रिजल्ट रोक लिया. जब पेरेन्टस शिकायत लेकर स्कूल पहुंचे तो स्कूल से एक फोन गया. फटाफट पुलिस आ गई पेरेन्ट्स पर दबाव डाला गया. बाद में किसी तरह रिजल्ट मिला लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद स्कूल जो जी में आए कर रहा है न योगी सरकार कुछ कर रही है न मोदी सरकार .

ये शिक्षा के नाम पर चल रही लूट का हाल है लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं. देश के मध्यमवर्गीय लोग लुटने को मजबूर हैं. स्कूल दोनों हाथों से लूट रहे हैं और नेता उनकी सेवा में लगे हैं. इस पर न तो कहीं खबर छपती न मीडिया इस पर आवाज़ उठाता है. कई बड़े मीडिया हाउस तो खुद इस व्यापार में हैं. नेताओं का पैसा भी इसमें लगा है. जनता केपास एक ही रास्ता है ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया पर आवाज़ उठाने का ताकि देश में माहौल बने.