नोटबंदी पर बार-बार बयान बदल रहे हैं उर्जित पटेल, आज संसद की समिति के सामने पुरानी बातों से पलट गए?

नई दिल्ली: नोटबंदी पर आरबीआई गवर्नर बार बार बयान बदल रहे हैं. उर्जित पटेल ने आज संसदीय समिति को यह भी बताया कि नोटबंदी की प्रक्रिया पिछले साल जनवरी से ही शुरू हो गई थी.  यह बयान समिति को पहले दिए गए उस लिखित बयान के उलट है जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री द्वारा 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों को प्रचलन से हटाने की घोषणा से सिर्फ एक दिन पहले 7 नवंबर को सरकार ने आरबीआई को बड़े रद्द नोटों को रद्द करने की ‘सलाह’ दी थी.

आज उर्जित पटेल ये जानकारी भी नहीं दि कि 15.44 लाख करोड़ रुपये के प्रतिबंधित नोटों में से कितनी रकम बैंकों में वापस आई है इससे पहले आरबीआई के हवाले से आई  रिपोर्टों के अनुसार पुराने नोटों का करीब 97 फीसदी हिस्सा बैंकों में वापस आया है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने वित्तीय मामलों पर संसद की स्थायी समिति को इस बात की जानकारी नहीं दी कि नोटबंदी के बाद प्रभावित हुई बैंकिंग व्यवस्था कब तक सामान्य हो जाएगी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जितनी भी रकम की जरूरत होगी केंद्रीय बैंक उसकी आपूर्ति करने में सक्षम होगा.

आरबीआई प्रमुख ने समिति को बताया कि नई करेंसी में 9.2 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में डाले जा चुके हैं. पटेल ने समिति को यह नहीं बताया कि प्रतिबंधित नोटों में से कितने बैंकों में वापस आ चुके हैं.

उर्जित पटेल ने कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली के नेतृत्व वाली वित्तीय मामलों पर संसद की स्थायी समिति को बताया कि जनवरी, 2014 में 1000 रुपये के नोटों की एक सीरीज को आंशिक रूप से वापस ले लिया था.सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय के अधिकारी भी समिति के सामने पेश हुए, लेकिन उन्होंने सांसदों के उस सवाल का जवाब नहीं दिया कि नोटबंदी के बाद प्रतिबंधित नोटों में कितनी रकम बैंकों में जमा हुई.

शुक्रवार को उर्जित पटेल केवी थॉमस के नेतृत्व वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष भी पेश हो सकते हैं. थॉमस ने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि अगर जरूरत हुई तो नोटबंदी के मुद्दे पर सफाई देने के लिएप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी समन किया जा सकता है. इस बयान के खिलाफ भाजपा ने लोकसभा अध्यक्ष से शिकायत करथॉमस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

आरबीआई की इस बात के लिए आलोचना हो रही है नोटबंदी को लेकर उसने पहले से पर्याप्त तैयारियां नहीं की थीं और उसने अपनी स्वायत्तता से समझौता किया.

नोटबंदी के बाद देश में भीषण नकदी संकट की स्थिति पैदा हो गई और बैंकों तथा एटीएम के बाहर लंबी लाइनें लगती रहीं. एटीएम मशीनों को नए नोटों के हिसाब से कैलिब्रेट करने में भी काफी समय लगा.नोटबंदी के बाद पैसे निकालने की सीमा भी कई बार बदली गई.