आसान शब्दों में समझें कि क्या है वर्चुअल आईडी, आधार नंबर की लेगी जगह

नई दिल्ली: आधार कार्ड की सुरक्षा के सभी दावे एक के बाद एक धराशायी होने के बाद भी सरकार ने हार नहीं मानी है. अब सरकार एक नया फुंतरू लेकर आई है. हम आपको समझाते हैं कि वर्चुअल आईडी नाम का ये नया फुंतरू क्या होगा.

क्या होगा वर्चुअल आईडी

वर्चुअल आईडी एक 16 अंकों का कोड होगा जिसे देकर आपका काम चल जाएगा और आपको आधार नंबर देना ही नहीं पड़ेगा.

ये आईडी आपके आधार नंबर की तरह पर्मानेन्ट नहीं होगी. यानी हर काम के लिए आप एक वर्चुअल आईडी बना सकते हैं. उस आईडी को आप वेरिफिकेशन के लिए दे दीजिए और वो आधार का काम करेगी.

दर असल वर्चुअल आईडी एक otp जैसा होगा. या कहें कि 16 अंकों का एक वन टाइम पासवर्ड या ओटीपी होगा.

ये ओटीपी ठीक वैसा ही होगा जैसा आप क्रेडिट कार्ड बगैरह से ऑनलाइन पेमेन्ट करने पर प्राप्त करते हैं.

आधार का ओटीपी यानी वर्चुअल आईडी ऑनलाइन पेमेन्ट के ओटीपी की तरह 6 अंकों का न होकर 16 अंकों का होगा. और सिर्फ 10 मिनट में एक्सपायर न होकर कुछ दिन चलेगा.

ऐसे होगी इस्तेमाल

आधार कार्ड होल्डर इसकी वेबसाइट से अपना 16 अंकों का वर्चुअल आईडी बना सकेगा जिसे वह सिम वेरिफिकेशन समेत विभिन्न जगह दे सकता है. यानी अब उसे अपना 12 अंकों का बायोमेट्रिक आईडी देने की जरूरत नहीं होगी.

यूआईडीएआई के मुताबिक यह सीमित केवाईसी होगी. इससे संबंधित एजेंसियों को भी आधार डिटेल की एक्सेस नहीं होगी. ये एजेंसियां भी सिर्फ वर्चुअल आईडी के आधार पर सब काम निपटा सकेंगी. यूआईडीएआई ने वर्चुअल आईडी की जो व्यवस्था लाई है, इसके तहत यूजर जितनी बार चाहे उतनी बार वर्चुअल आईडी जनरेट कर सकेगा. यह आईडी सिर्फ कुछ समय के लिए ही वैलिड रहेगी.

लिमिटेड केवाईसी सुविधा आधार यूजर्स के लिए नहीं बल्कि एजेंसियों के लिए है. एजेंसियां केवाईसी के लिए आपका आधार डिटेल लेती हैं और उसे स्टोर करती हैं. लिमिटेड केवाईसी सुविधा के बाद अब एजेंसियां आपके आधार नंबर को स्टोर नहीं कर सकेंगी. इस सुविधा के तहत एजेंसियों को बिना आपके आधार नंबर पर निर्भर हुए अपना खुद का केवाईसी करने की इजाजत होगी.

एजेंसियां टोकनों के जरिए यूजर्स की पहचान करेंगी. केवाईसी के लिए आधार की जरूरत कम होने पर उन एजेंसियों की तादाद भी घट जाएगी जिनके पास आपके आधार की डिटेल होगी.