यूपी की जीत के ये हैं असली कारण, जानिए कैसे बीजेपी ने डिजाइन की अपनी जीत

नई दिल्ली: साजिश की बात पर भरतीय बेहद आसानी से यकीन कर लेते हैं. यही वजह है की धीरे धीरे ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा बीजेपी की जीत के कारणों में सबसे ऊपर आता जा रहा है. लेकिन वजह इतनी सीधी नहीं है. ईवीएम में गड़बड़ी करना कोई नामुमकिन बात नहीं है और न ही आज के जमाने में किसी पार्टी से इतने सदाचारी होने की उम्मीद की जा सकती कि इसे मौका मिलेगा और वो ईवीएम में गड़बड़ी से चूक जाए. ईवीएम में गड़बड़ी कोई मुश्किल काम नहीं है . आज से 12 साल पहले ये साबित हो चुका है कि एक छोटा सा मॉलवेयर ईवीएम में डाल दिया जाता है. और वो मॉल वेयर एक से दूसरी मशीन में वायरस की तरह चला जाता है और प्रोग्राम किए गए फॉर्मूले के मुताबिक वोटों में हेर फेर करता रहता है. सारी संभावनाओं के बावजूद में जीत का क्रेडिट अमित शाह की रणनीति को देना चाहूंगा. उन्होंने कई काम किए जो सब समझकर भी समझ नहीं पाए.
1. यूपी में बीएसपी के उभार होने और उसके पक्ष में अंडर करंट होने की अफवाहें फैलाई गईं. इसका नतीजा ये हुआ कि मुसलमान मतदाता में जबरदस्त भ्रम की स्थिति बनी इससे मुस्लिम बहुल सीटों पर वोट बंटे. कुछ मुसलमानों ने बीएसपी को वोट दिया तो कुछ ने एस पी को,अमितशाहका काम आसान करने के लिए कुछ उलेमाओं ने फतवे जारी किए और ओवैसी लोग भी यूपी में डेरा डालकर बैठ गए.
2. दलितों को बांटने का भी जबरदस्त काम हुआ. प्रचार के दौरान कम से कम 4-5 जगह अंबेडकर की मूर्तियां तोड़ी गईं. माना जा रहा है कि इससे दलित गुस्से में आया. ज्यादातर मामलों में सवर्णों नहीं बल्कि पिछड़ों को आरोपी बनाया गया था. हमले उन जगहों पर हुए जहां बीजेपी का स्ट्रांग होल्ड था या फिर बीजेपी की सरकार वाला राज्य था.इससे दलित वोटर समाजवादी पार्टी से छिटका.
3. हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए अमितशाह ने आखिरी वक्त तक कई हथकंडे अपनाए. राहुल गांधी को मुसलमान बताने वाले मैसेज लगातार फॉर्वर्ड किए गए. इन मैसेज में फिरोज गांधी को पारसी की जगह मुसलमान बताया जा रहा था . बीजेपी और संघ के कार्यकर्ताओं ने कहा कि दोनों हिंदुओं के दुश्मन मिल गए हैं. समाजवादी पार्टी हिंदुओं पर गोली चलवाती है और राहुल गांधी मुसलमान है. इसलिए इन्हें वोट नहीं देना. इससे अखिलेश के विकास के मुद्दे की काट हो गई.
4. सांप्रदायिक तनाव की कोशिश भी की गई. की जगह गाय के कटे सिर वाले फोटो वाट्सएप पर बांटे गए कहा गया कि मुसलमानों को ठीक एक ही आदमी कर सकता है इसलिए हिंदू बीजेपी को वोट दें. खुद मोदी ने सांप्रदायिक विभाजन वाले बयान दिए, श्मशान और कब्रिस्तान वाला मुद्दा बीजेपी ने उठाया. दिवाली और ईद का मुद्दा भी बीजेपी ने जानबूझ कर उछाल दिया
एक तरफ मुस्लिम वोट बंट रहे थे तो दूसरी तरफ मोदी की इमेज धार्मिक हिंदू की बनाई जा रही थी. हर चरण के चुनाव में वो मंदिर दर्शन के लिए जाते दिखते थे. कभी वो शिव की मूर्ति का उद्घाटन करते थ तो कभी काशी विश्वनाथ की पूजा करने जाते थे तो कभी सोमनाथ में शिव की पूजा करते थे. सारे आयोजन लगातार नेशनल टीवी पर दिखाए जा रहे थे.
ये कुछ ऐसे कारण थे जिन की काट संभव ही नहीं थी. दूसरी तरफ प्रदेश के लोगों की नजर में मायावती की इमेज सीटें नीलाम करने या फिर बिल्डर लॉबी से मोटी रकम वसूलने वाली नेता की थी. कहा जाता था कि वो कोई भी काम तबतक नहीं होने देतीं जबतक उनके पास मोटे पैसे न पहुंच जाएं. समाजवादी पार्टी की इमेज रेत माफिया, जमीन हड़पने वाले गुंडों और दबंगों की पार्टी की थी. बीजेपी ने महिलाओं की इज्जत की बात करके कानून व्यवस्था का मसला खूब उठाया इससे पार्टी को महिलाओं की सहानुभूति मिली.
ईवीएम के घपले के शोर में इस मजबूत रणनीति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.