मोदी सरकार ने खारिज की ताजमहल को लेकर बकवास, लिखकर दिया- कभी नहीं था वहां मंदिर

आगरा : मोदी सरकार ने आखिर मान लिया है कि न को आगरा में कभी तेजो महालय था न कोई शिव मंदिर . ये दोनों की कोरी बकवास हैं. इतना ही नहीं ये भी बाकायदा हलफनामा देकर कहा है कि वहां कभी कोई पूजा पाठ नहीं हुआ. मोदी सरकार के इतिहास के मामले में सबसे अच्छी साख रखने वाले विभाग आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने बाकायदा कोर्ट को एफिडेविट देकर कहा है कि वहां मंदिर नहीं बल्कि मकबरा है. एएसआई अफसरों के मुताबिक ताजमहल को संरक्षित रखने से जुड़े 1920 के एक नोटिफिकेशन के आधार पर अदालत में हलफनामा पेश किया गया है.

इससे पहले केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने नवंबर 2015 के दौरान लोकसभा में साफ किया था कि ताजमहल की जगह पर मंदिर होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. अप्रैल 2015 में आगरा जिला अदालत में छह वकीलों ने एक याचिका दाखिल की थी.

इस अपील में कहा गया कि ताजमहल एक शिव मंदिर था और इसे तेजो महालय के नाम से जाना जाता था. इस याचिका के जरिए हिंदू दर्शनार्थियों को परिसर के अंदर पूजा की इजाजत देने की मांग की गई थी. इस बकवास के आधार पर देश भर में सांप्रदायिक विभेद करने की कोशिश हुई. कई बार लोगों ने जबरदस्ती ताजमहल में पूजा पाठ करने की कोशिश भी की.

इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, गृह सचिव और एएसआई से जवाब तलब किया था. एएसआई ने गुरुवार को अदालत में अपना जवाब सौंपा है. एएसआई ने एक बार फिर मामले की सुनवाई को लेकर स्थानीय अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है. 

एएसआई ने याचिकाकर्ताओं के दावे पर भी सवाल खड़े किए हैं. एएसआई ने कोर्ट में दी अपनी दलील में कहा, ‘ताजमहल एक इस्लामिक ढांचा है, जबकि अपील करने वाले दूसरे धर्म के हैं. स्मारक पर कोई भी धार्मिक गतिविधि पहले कभी नहीं हुई थी.’