सीरिया में बमबारी का सच, बेकसूर मरे हैं या आतंकवादी? हकीकत का दूसरा पहलू

युद्धविराम के बीच सीरिया में विद्रोंहियों और आतंकवादियों के दोबारा संगठित होने की खबरों के बीच रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने फिर से सीरिया पर हवाई हमले किए हैं. सीरिया ने कुल 200 बार सीरिया पर बम बरसाए.

पुतिन ने कहा कि अमरीका कुछ विद्रोही समूहों को समर्थन देता है और उसका ध्यान उनकी ताक़त को बनाए रखने पर है.  जबकि सोमवार से शुरु हुए युद्धविराम का लक्ष्य उदारवादी और चरमपंथी समूहों को अलग-अलग करना था.

पुतिन के मुताबिक़ युद्धविराम के बाद अमरीका सारी शर्तों का उल्लंघन कर रहा है बल्कि वो समझौते के विपरीत हरकतें कर रहा है.  पुतिन ने अमरीका से कहा कि अगर वो समझौते के मुताबिक काम कर रहा है तो समझौता लोमों के सामने लाए ताकि उन्हें सच्चाई का पता लग सके.  सीरिया में विद्रोहियों की भूमिका को लेकर अमरीका और रूस के बीच तनाव चल रहा है.

कर्गिस्तान दौरे के दौरान एक टेलीवि़जन टिप्पणी में पुतिन ने कहा, “सीरिया संधि के तहत रूस अपने दायित्व पूरे कर रहा है और सीरिया की सरकार भी पूरी तरह से इस समझौते पर टिकी हुई है लेकिन ऐसा लगता है कि अमरीका सरकार के साथ अपने संघर्ष में विद्रोहियों को नुकसान नहीं होने देना चाहती.” अगर रूस चुप बैठ गया तो विद्रोही सीरिया की शांतिपूर्ण सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लेंगे . अमेरिका यही चाहता है.

दूसरी तरफ वहीं अमरीकी रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि तुर्की के निवेदन पर अमरीका ने कथित इस्लामिक स्टेट (आईएस) के विद्रोहियों से लड़ने के लिए तुर्की की सीमा के साथ दर्ज़नों अमरीकी सैन्य दल तैनात किए हैं.

सीरिया में अमरीका और रूस के बीच हुए समझौते के तहत सोमवार को सूर्यास्त के बाद से युद्ध विराम लागू हो गया था. लेकिन इस युद्ध विराम को लेकर अभी गफलत है क्योंकि दोनों ही पक्ष इस पर विपरीत दावे कर रहे हैं. रूस और अमरीका के बीच कई महीनों की बातचीत के बाद जिनेवा में नौ सितंबर को इस संघर्ष विराम के समझौते का ऐलान किया गया था. इस एलान के मुताबिक सात दिन तक युद्ध विराम लागू होने के बाद अमरीका और रूस संयुक्त रूप से जिहादी चरमपंथियों पर हवाई हमले करेंगे.

उधर अमेरिका समर्थक पश्चिमी मीडिया ने एलेप्पी से खबर दी है कि रूस के हवाई हमलों में बड़े पैमाने पर जानमाल की तबाही हुई है। पिछले 24 घंटे में रूसी लड़ाकू विमानों ने सीरियाई सेना के साथ मिलकर 200 हमले किए, जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गए। मीडिया का कहना है कि यह हमले बैरल और वैक्यूम बमों से किए गए थे। यूरोपीय यूनियन ने इन हमलों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के खिलाफ करार देते हुए इन्हें तुरंत रोकने की अपील की है। ईयू के विदेश नीति के प्रमुख फेडरिका मोधेरिनी और ह्यूनेनिटेरियन कमिश्नर क्रिस्टोस स्टिेलियनडिस ने एक बयान में कहा है कि आम नागरिकों पर हो रहे हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। यह किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। अलेप्पो में हुए ताजा हमलों के मद्देनजर अमेरिका और उसके यूरोपीय साथियों ने रूस से युद्धविराम संधि पर अमल करने की अपील की है। इन सभी ने रूस पर हमले रोकने को लेकर दबाव बनाने की कोशिशें भी शुरू कर दी हैं। उधर रूस कह रहा है कि वो संधि के मुताबिक ही काम कर रहा है बल्कि अमेरिका चाल चल रहा है.

उधर यूरोपियन यूनियन और अमेरिका  के प्रभाव वाला मीडिया लगातार हमलों में घायल हुए लोगों और दर्दभरी तस्वीरें दिखा रहा है. शनिवार को हुए इन हमलों ने सीरिया की बर्बादी की एक बार फिर तस्वीरेंं दुनिया के सामने पेश की हैं। इन हमलों से बचने के लिए हर कोई ईधर-उधर भाग रहा था। हवाई हमलों से खंडहर हुए मकानों के बीच काेई अपना बचा हुआ सामान समेटने में लगा हुआ था। लेकिन हर कोई दर्द से भरा था और अपनी इस मजबूरी के लिए खुद को ही कोस रहा था।

आम नागरिकों की मौत !

उधर पश्चिमी मीडिया दावा कर रहा है कि सीरिया और रूस की सेना द्वारा किए गए इन हमलों में मरने वाले ज्यादातर आम नागरिक थे। इन हमलों में अभी तक सौ लोगों के मारे जाने की बात सामने आई है, लेकिन यह आंकड़ा काफी आगे तक जा सकता है। काफी संख्या में अभी भी लोग मलबे के नीचे दबे हुए हैं। यहां हुए हमले से अलेप्पो और आसपास के हिस्से में वाटर सप्लाई का सिस्टम बर्बाद हो गया है। हमलों में रेस्क्यू ग्रुप ‘वाइट हेलमेट’ की टीम को भी नहीं बख्शा गया। अंसारी जिले में रेस्क्यू ग्रुप का हेडक्वार्टर क्षतिग्रस्त हो गया। इस ग्रुप की तीन एंबुलेंस और दो अस्पताल पर भी बम गिराए गए।