कम नंबर या फेल होने से डरते हैं तो ये खबर ज़रूर पढ़े

नई दिल्ली: अगर आपको कम नंबर आने का डर लग रहा है या आप फेल होने से डरते हैं तो ये खबर आपके लिए है. ये अकेली खबर नहीं है ऐसी लाखों करोड़ों सफलता की कहानियां हैं. जो बताती हैं कि पढ़ाई में अच्छे नंबर लाना ही सबकुछ नहीं होता. विश्वविद्यालयों और किताबों में जिन वैज्ञानिकों और हस्तियों के बारे में पढ़ाया जाता है वो भी जो कुछ बने बिना विश्वविद्यालयों और स्कूलों के ज्ञान से बने. ये कहानी फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग की है जिनके यहां लाखों पढ़े लिखे नौकरी करते हैं. अब उन्हें उसी यूनिवर्सिटी ने डिग्री दी है जिसके वो ड्रॉपआउट थे.

फ़ेसबुक के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग ने आख़िर 10 साल बाद हावर्ड यूनिवर्सिटी पहुंच कर ऑनोररी ग्रैजुएशन डिग्री (मानद डिग्री) हासिल कर ली है.

दुनिया के पांचवे धनी व्यक्ति मार्क की दौलत क़रीब 62.3 अरब डॉलर है.

सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फ़ेसबुक लांच करने के बाद मार्क ने हावर्ड छोड़ दिया था.

मार्क ने हावर्ड में अपने ग्रैजुएशन भाषण में छात्रों से कहा कि वो, “ना केवल नई नौकरियां पैदा करें बल्कि नए उद्यम भी तलाश करें.”

गुरुवार को उन्होंने ग्रैजुएट छात्रों से कहा, “हम एक अस्थाई दुनिया में रह रहे हैं.” उन्होंने कहा कि जिन्हों लगता है कि बढ़ते वैश्वीकरण की रेस में जो खुद को पिछड़ता हुआ महसूस कर रहे हैं वो “अपने आप में रहने लगते हैं.”

“ये हमारे दौर की बड़ी लड़ाई है. एकछत्रवाद, अलग-थलग करने और राष्ट्रवाद की ताकतों के विरोध में दुनिया के समुदायों को आज़ादी और उदारवादी की ताकतों के साथ आगे आना होगा.”

मार्क के साथ उनकी पत्नी प्रिशिला भी मौजूद थीं. मार्क ने उस डोर्मिटरी की तरफ इशारा किया जहां उन्होंने फ़ेसबुक की नींव रखी थी और कहा कि युनिवर्सिटी में जो सबसे ख़ास चीज़ उनके साथ हुई वो थी वहां प्रिशिला उनकी मुलाकात होना.

हावार्ड के 366वें ग्रैजुएशन समारोह में मार्क को मानद डॉक्टर ऑफ़ लॉ डिग्री दी गई.

इस समारोह से पहले बुधवार को मार्क ने अपने पुराने डोर्मिटरी से एक फ़ेसबुक लाइव किया जिसमें उन्होंने एक छोटे मेज़ और कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए कहा, “ये वहीं जगह है जहां मैं बैठा करता था.”

वीडियो में वो कहते हैं, “यहां पर मेरा छोटा सा लैपटॉप था. और ये वो जगह है जहां से मैंने फ़ेसबुक का प्रोग्राम लिखा.”

ग्रैजुएशन समारोह से एक दिन पहले मार्क ने हावार्ड युनिवर्सिटी से ये तस्वीर अपने फ़ेसबुक पन्ने पर पोस्ट की थी.

अपने ग्रैजुएशन भाषण में मार्क ने कहा, “हमारी व्यवस्थाओं में कुंठा है जो सही नहीं है. मैं यहां से पढ़ाई छोड़ कर दस साल में अरबों डॉलर कमा सकता हूं, लाखों छात्र अपने लोन तक चुका नहीं पा रहे हैं, बिज़नेस शुरू करने की बात तो भूल ही जाइये.”

“जब आप अपने आइडिया पर ही काम आगे नहीं बढ़ा सकते तो उसे एक ऐतिहासिक बिज़नेस बनाने की बात भूल जाएं.”

मार्क ने छात्रों को “सज़ा काट रहे और नशे की लत के शिकार बच्चों से” अपनी मुलाक़ात के बारे में बाते बताईं और कहा कि बच्चों ने उन्हें बताया कि “उनकी ज़िंदगी अलग होती अगर उनके पास काम करने के लिए कुछ होता.”

33 साल के मार्क एक हाई स्कूल छात्र की बात करते-करते भावुक हो उठे. उन्होंने कहा कि इस छात्र को डर था कि वो किसी युनिवर्सिटी में दाखिला नहीं ले पाएंगे क्योंकि वो एक प्रवासी हैं और उनके पास पहचान के दस्तावेज़ नहीं हैं.

हावार्ड से पढ़ाई छोड़ चुके बिल गेट्स को करीब तीन दशक बाद साल 2007 में युनिवर्सिटी ने मानद डिग्री से सम्मानित किया था.
माइक्रोसोफ़्ट कंपनी के सह-संस्थापक बिल गेट्स दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति रह चुके हैं. उन्होंने भी अपने स्कूल के टॉपर्स को नौकरी पर रखा.

यहां ग्रैजुएशन समारोह में छात्रों से उन्होंने कहा था कि वो चैरिटी के अपने काम की तरफ अधिक ध्यान देने के लिए कंपनी से इस्तीफ़ा दे देंगे.