सोनिया गांधी ने माना- दिखावे के लिए मंदिरों के चक्कर लगा रहे थे राहुल गांधी

नई दिल्ली : सोनिया गांधी ने माना है कि गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी के टैंपल रन के पीछे सोचा समझा राजनीतिक फैसला था. सोनिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम पार्टी कहकर एक तरफ धकेला जा रहा था . ऐसे में मंदिर जाने जैसे सामान्य काम को दिखा दिखाकर करना पड़ा. हालांकि सोनिया ने कहा कि वो हमेशा से मंदिर जाती रही हैं लेकिन अब इसका दिखावा करने की मजबूरी आ गई है.

सोनिया ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने कांग्रेस की छवि एक मुस्लिम पार्टी के तौर पर गढ़ी, जिससे पार्टी को चुनाव में नुकसान हुआ. पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद यह पहला मौका था जब उन्होंने एक गहरे आत्मविश्लेषी भाषण में अपने बच्चों, अपनी कमियों और भारत में लोकतंत्र की भूमिका समेत कई विषयों पर बात की.

शुक्रवार को इंडिया टुडे ग्रुप के एडीटर इन चीफ अरुण पुरी को दिए इंटरव्यू में सोनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि लोकतंत्र में चर्चा और मतभेद दोनों स्वीकार्य हैं पर एकालाप नहीं. उन्होंने कहा कि 2019 में उनकी पार्टी सत्ता में वापसी करेगी और कांग्रेस का मुख्य मुद्दा मोदी सरकार द्वारा किए गए वादे होंगे.

अलग दौर से गुजर रही है राजनीति

सोनिया गांधी ने कहा कि लोकतंत्र में बहस की खुली छूट होनी चाहिए. आज के दौर में काफी लोग पीछे छूट रहे हैं. इतिहास को दोबारा लिखने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस समय देश की राजनीति एक अलग दौर से गुजर रही है. संविधान के सिद्धांतों पर प्रहार हो रहा है. सत्ता में बैठे लोग भड़काऊ बयान दे रहे हैं. इससे अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा बढ़ रहा है. देशभर में विरोध में उठ रही आवाजों को दबाने की कोशिश हो रही है.

उन्होंने कहा, ‘चुनाव के लिए लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है. यहां तक कि हमारे सोशल डीएनए में भी बदलाव का प्रयास किया जा रहा है. आरटीआई कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि देश में रोजगार की समस्या गंभीर है, किसानों की परेशानी बढ़ रही है. इन आवाजों को उठाने वाले राजनीतिक दलों को जांच एजेंसियों के जरिए दबाने की कोशिश हो रही है. सोनिया गांधी ने नोटबंदी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका बताया. संसदीय बहुमत को कुछ भी करने का लाइसेंस माना जा रहा है.

 

मोदी के बारे में सवाल पर ‘सीता’ से दिया जवाब

इस दौरान जब सोनिया गांधी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, ‘मैंने पूरी रामायण पढ़ ली है और अब आप पूछ रहे हैं कि सीता कौन थीं?’ उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री से कार्यक्रमों में मिलती रहती हैं, लेकिन उन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं जानती हैं.

 

‘मुझे पता था मनमोहन मुझसे अच्छे पीएम साबित होंगे’

जब पूछा गया कि आप खुद प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनीं, मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री क्यों बनाया तो सोनिया कुछ पल के लिए ठहरीं उसके बाद उन्होंने कहा कि वह जानती थीं कि मनमोहन सिंह उनसे अच्छे प्रधानमंत्री साबित होंगे और साथ ही वह अपनी सीमाओं के बारे में जानती थीं. सोनिया ने कहा, ‘मुझे स्वाभाविक तौर पर भाषण देना नहीं आता, इसलिए मुझे नेता (लीडर) के बजाए भाषण पढ़ने वाला (रीडर) कहा जाता था.’

राहुल के सवाल पर यह दिया जवाब

सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद अब उनके पास अधिक समय है. वह कई मायनों में चिंतामुक्त हुई हैं. लिहाजा इस समय वह राजीव गांधी से जुड़े पुराने दस्तावेजों को पढ़ने और परिवार की जिम्मेदारी निभाने में लगी हैं. राहुल को सलाह देने के संबंध में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मैं खुद ऐसा करने की कोशिश नहीं करती हूं. राहुल पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं और यह कोई आसान काम नहीं है.’

 

2019 में करेंगे वापसी

कार्यकम में सोनिया गांधी ने कहा कि बीजेपी 4 साल में किए गए एक भी वादे को पूरा नहीं कर पाई है. उन्होंने कहा, ‘2019 में मुख्य मुद्दा बीजेपी द्वारा बीते 5 साल के दौरान किए गए वादे होंगे क्योंकि पूरा कार्यकाल खत्म होने के बाद भी उनके सारे वादे सिर्फ सुनहरे वादे ही रह गए. मुझे पूरा भरोसा है कि बीजेपी के अच्छे दिन का हाल एक बार फिर ‘शाइनिंग इंडिया’ जैसा होने जा रहा है. हम 2019 में वापसी करेंगे.’

 

वाजपेयी की तारीफ

सोनिया गांधी ने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाया कि संसद में विपक्ष को बोलने भी नहीं दिया जाता है. सोनिया ने कहा, ‘हम कई मुद्दों पर बहस भी नहीं कर पाते हैं. सरकार न जाने क्यों चर्चा से भागती है.’ इस दौरान उन्होंने कहा कि विचारों के मामले पर भले ही उनकी पार्टी वाजपेयी से सहमत न हो, लेकिन वाजपेयी सरकार में संसदीय परंपराओं के लिए काफी सम्मान था. इस मामले में मोदी सरकार पीछे छूट गई है.

 

2014 में इसलिए हारी कांग्रेस

जब सोनिया गांधी से 2014 में उनकी पार्टी की हार के कारणों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘देश में हमारी सरकार 10 साल तक थी. हम दो टर्म तक सरकार में थे. ऐसे में हमें सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा. साथ ही बीजेपी अपना प्रॉपेगैंडा फैलाने में कामयाब रही. यूपीए सरकार को बदनाम किया गया. कई घोटालों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया. सीएजी की कार्रवाई भी सवालों के घेरे में है. अब हमारे सामने कई चुनौतियां हैं. पार्टी को इससे बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना होगा.’

जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी का पद छोड़ने के साथ उनका राजनीतिक सफर खत्म माना जाए? तो सोनिया ने कहा कि वह राहुल के साथ पार्टी के मामलों पर लगातार बातचीत करती रहती हैं. उनकी कोशिश है कि वह देश में एक सेक्युलर फ्रंट को तैयार करने में भूमिका अदा करें, जिससे देश की राजनीति को अच्छी दिशा मिलती रहे.