शराब पीकर बनाए गए देह संबंधों का मतलब सहमति नहीं, हाईकोर्ट का फैसला

मुंबई: अगर शराब के नशे में बहकी लड़की किसी के साथ संबंध बनाती है तो उसे सैक्स के लिए रज़ामंदी नहीं माना जाएगा. बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि शराब के नशे में महिला पूरी तरह हामी भरने की स्थिति में नहीं होती. ऐसे में अगर महिला शारीरिक संबंधों के लिए हामी भरती है तो भी इसे ना ही माना माना जाएगा.

कोर्ट ने कहा कि अगर महिला शारीरिक संबंधों को लेकर एक बार भी ‘नहीं’ कहती है इसका मतलब है कि उसकी इच्छा नहीं है. इसी तरह जब कोई महिला पूरे होश में ‘हां’ कहती है तो फिर उसे रेप नहीं माना जाएगा. जस्टिस मृदुला भटकर ने कहा, ‘आईपीसी की धारा 375 के तहत हर ‘हां’ को वैध करार नहीं दिया जा सकता. किसी की चुप्पी को सहमति नहीं माना जा सकता.’

इससे पहले भी दिल्ली में एक फेसला आया था जिसमें कहा गया थाकि शादी का वादा करके बनाए गए शारीरिक संबंध रेप नहीं हैं. चाणक्यपुरी की एक एंबेसी में रहने वाले युवक पर आरोप लगा कि उसने एक युवती से जबर्दस्ती शारीरिक संबंध बनाए.

इस केस की सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि,’कोर्ट के सामने ऐसा कोई विश्वसनीय या ठोस साक्ष्य पेश नहीं किया गया, जिससे जाहिर होता हो कि अभियुक्त ने युवती से जबर्दस्ती या शादी का झूठा आश्वासन देकर शारीरिक संबंध बनाए.’

बल्कि कोर्ट ने माना कि खुद युवती के बयान से जाहिर होता है कि आरोपी और उसके के बीच शारीरिक संबंध पहले बने, मामला पुलिस के सामने पहुंचने पर अभियुक्त ने उससे शादी का वादा किया.

इस आधार पर कोर्ट बचाव पक्ष की दलील से सहमत हुई कि अभियुक्त और युवती के बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बने थे, बाद में अभियुक्त पर शादी का दबाव बनाया गया, विवाद पुलिस के सामने पहुंचा तो अभियुक्त ने शादी का वायदा किया. ऐसे में शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने का आरोप बेबुनियाद है.