2019 में मोदी की जगह ये भी हो सकते हैं प्रधानमंत्री

नई दिल्ली : 2019 के चुनाव को लेकर आम धारणा ये रहती है कि बीजेपी येन केन प्रकारेण सरकार बना ही लेगी. लोग इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि मोदी अगला चुनाव भी निकाल ही लेंगे. लेकिन राजनीतिक हालात का बारीकी से विश्लेषण करने वाले मानते हैं कि बीजेपी भलेही 2019 में सरकार बना ले लेकिन मोदी का पीएम बनना बहुत मुश्किल से भी ज्यादा मुश्किल है. ये भी माना जा रहा है कि मोदी अगर पीएम नहीं बने तो राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री बनने की हालत में नहीं होंगे.

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हर राज्य में अधिकतम सीटें जीती थीं. कई राज्यों में उसे सभी सीटें मिल गई थीं. लेकिन इस बार हालात ऐसे नहीं रहने वाले हैं. पार्टी को राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, कर्नाटक, दिल्ली , हरियाणा और पंजाब में जितनी सीटें मिली थीं. उतनी दोबारा मिलना संभव ही नहीं है. बीजेपी की हालत अगर सबसे अच्छी रहती है तो भी 220 सीटों तक उसे मिल सकती हैं और इस हालत में वो सरकार भी बना लेगी. लेकिन इस बात की संभावना काफी कम है कि बीजेपी के नेतृत्व में जो गठबंधन सरकार बनेगी उसके मुखिया नरेन्द्र मोदी होंगे.

ज्यादातर पार्टियों के नेता मानते हैं कि नरेन्द्र मोदी के साथ गठबंधन में रहना मुमकिन नहीं है. वो सहयोगियों के साथ निष्ठा से नहीं रह सकते और अपनी छबि बनाने के लिए उन्हें परेशान करते रह सकते हैं. इसके मुकाबले ममता बनर्जी और नवीन पटनायक जैसे नामों पर सहमति का अनुमान लगाया जा रहा है. कुछ लोग मानते हैं कि आपसी जोड़तोड़ के बाद मोदी के विश्वस्त अरुण जेटली जैसे नेता का नाम भी आ सकता है लेकिन जेटली भी उग्र स्वभाव वाले हैं और गठबंधन में ऐसे नेताओं की दाल नहीं गलती.

मोदी और राहुल दोनों के लिए मुश्किल है 2019

कांग्रेस के एक अग्रणी नेता यहां तक कहा कि कम निरंकुश और ज्यादा मिलनसार बीजेपी नेता राजनाथ सिंह त्रिशंकु संसद की सूरत में संभावित सहयोगी दलों के लिए स्वीकार्य हो सकते हैं, मोदी तभी सरकार बना सकते हैं जब बीजेपी अपने दम पर 240 सीटें जीते. 2019 को लेकर सोनिया गांधी से राय मांगी गई तो उन्होंने अभी से इस पर टिप्पणी करने से करने से मना कर दिया. अचरज की बात ये है कि कांग्रेसियों को राहुल गांधी के नाम पर सहमति मिलने कीसंभावना कम लगती है.

उधऱ कांग्रेस पार्टी में भी गुजरात चुनाव में कांग्रेस की सीटें बढ़ने और राजस्थान के उपचुनाव में उसके जीत दर्ज करने से पार्टी में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी समेत ज्यादातर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में 2019 में पार्टी की खोई साख वापस लाने की उम्मीद जगी है. जानकारों की मानें तो पिछले कुछ समय में राहुल गांधी की इमेज भी जनता के बीच काफी चमकी है. राहुल सौम्य हैं इसलिए दूसरी पार्टियों को उनके नाम पर एतराज शायद ही हो. लेकिन सारे अनुमान बेहद ज़ल्दबाजी में आ रहे हैं. चुनाव के वक्त क्या माहौल बनता है वो तभी पता चल सकेगा.