तनाव की गरमी में पाकिस्तान से आई मोहब्बत की खबर, भारतीय महिला को मिला हक

इस्लामाबाद : बॉर्डर पर बम गोले नफरतें और तल्खी की गर्मी के बीच पाकिस्तान से एक ठंडक पहुंचाने वाली खबर आई है. इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने एक भारतीय महिला को अपने देश वापस लौटने की इजाजत दे दी है . साथ ही पुलिस को उसे वाघा बाॅर्डर तक छोड़ने के आदेश दिये. इस महिला को एक पाकिस्तानी शख्स ने जबरन शादी करके बंधक बना रखा था.

उजमा नाम की यह महिला इस महीने पाकिस्तान आई थी. उसने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी नागरिक ताहिर अली ने शादी करने के लिए उसे मजबूर किया. उजमा ने 12 मई को अदालत में याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि उसे घर वापस जाने की अनुमति दी जाये, क्योंकि उसकी पहली शादी से हुई बेटी भारत में थैलीसीमिया से पीड़ित हैं. अली ने अदालत में अपनी याचिका में आग्रह किया था कि उसे उसकी पत्नी से मिलने दिया जाये.

न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कयानी की एकल पीठ ने बुधवार को दोनों याचिकाओं पर सुनवाई की. उनकी दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने उजमा को भारत लौटने की अनुमति दी. अदालत ने उसके वीजा दस्तावेज भी लौटा दिये, जो अली ने ले लिये थे. अदालत के आदेश के बाद दस्तावेजों को मंगलवार को अदालत में सौंपा गया था.

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उजमा भारत के लिए कब रवाना होगी. अदालत के आदेश से दुखी अली ने कहा कि उच्च न्यायालय ने ‘‘उसकी पत्नी’ को वापस जाने की अनुमति दे दी और मैं इससे नाखुश हूं. क्योंकि, मेरी बात सुनी नहीं गयी. न्यायमूर्ति कयानी ने पुलिस को आदेश दिया कि वह उजमा को भारत और पाकिस्तान के बीच वाघा बाॅर्डर पर छोड़ें.

न्यायमूर्ति ने उजमा से पूछा कि क्या वह उनके चैंबर में अली से मिलना चाहती है, लेकिन उसने इनकार कर दिया. अली ने कहा, ‘‘मैं दो मिनट के लिए उससे मिलना चाहता था, लेकिन मुझे मंजूरी नहीं दी गयी.’ कुछ खबरों के अनुसार, उजमा सुनवाई के दौरान अदालत में एक बार बेहोश हो गयी और उसका इलाज करने के लिए चिकित्सों को बुलाया गया.

उजमा एक मई को पाकिस्तान आयी थी और फिर खैबर पख्तूनख्वा में दूरवर्ती बुनेर प्रांत गयी थी, जहां उसने तीन मई को अली से निकाह किया. बाद में वह इस्लामाबाद आयी और उसने भारतीय उच्चायोग में शरण ली. उसने आरोप लगाया कि अली ने बंदूक का डर दिखाकर उससे जबरन शादी की.

अली ने इन आरोपों को खारिज किया और अपने रिश्ते को सुधारने की इच्छा जतायी. उसने कहा, ‘‘वह अब भी मेरी पत्नी है. ना तो उसने तलाक के लिए कहा और ना ही मैंने उसे तलाक दिया.’ पाकिस्तान में कानून के अनुसार, उसका वकील उसका प्रतिनिधित्व कर सकता है और वह अपने मामले को आगे बढ़ाने के लिए वापस आ सकती है.