प्रधानमंत्री के नाम खुली चिट्ठी


Deprecated: Creation of dynamic property Maghoot_Theme::$loop_meta_displayed is deprecated in /var/www/vhosts/knockingnews.com/httpdocs/wp-content/themes/magazine-hoot/template-parts/loop-meta.php on line 108

आदरणीय प्रधानमंत्री जी,

कोई आपको झूठा कहे सुन लेना लेकिन कोई उन्मादी भड़काए तो भड़कना मत, आपने झूठ बोला, उन्माद की बाते कीं, पीएम बन गए. अब लोग आपसे युद्ध की मांग कर रहे हैं. मेहरवानी करके खुद को संभालकर रखना. आप झूठे हैं या सच्चे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. देश में पहले भी कई नेता आए हैं. कुछ ने झूठ बोला कुछ ने सच कोई उन्हें झूठे के नाम से नहीं जानता. इसलिए कोई कुछ भी कहता है कहने दो. आप बुद्धि और विवेक का साथ मत छोड़ना. 17 फौजियों की जान उन्माद फैलाने वालों के कारण ही गई. वो इधर के थे या उधर के इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता.

युद्ध कोई फिल्मी तमाशा नहीं है. ये मौत का खेल है. आज 17 मरे हैं कल सैकडों मरेंगे. इस तरफ को हों या उस तरफ के. सबकी मां हैं, बहने हैं और बच्चे हैं. आप अच्छी तरह जानते हैं कि युद्ध में दोनों तरफ के सैनिक तो मरेंग लेकिन आतंकवादियों का कुछ नहीं बिगड़ेगा. युद्ध का उन्माद भड़काने वालों को भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा. भारत और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अरबों रुपये के इस झटके को बरदाश्त नहीं कर पाएगी. आप जानते हैं कि दोनों देशों को गरीबों का इससे कितना नुकसान होगा.

युद्ध की पुकार करने वाले ये लोग वही हैं जो कुत्ते, मुर्गे और सांडों की लड़ाई में होने वाले खून खराबे का आनंद लेते हैं. ये सिर्फ मारो-मारो चिल्लाना जानते हैं. लेकिन खून मासूमों का बहता है.

प्रधानमंत्री जी ये युद्ध अगर हुआ तो पुराने युद्धों की तरह नहीं होगा. दोनों देशों के पास नई तरह के हथियार हैं और नयी तैयारियां हैं. मारक और संहारक शक्ति भी है. युद्ध हुआ तो मरने वाले मासूम आम नागरिक भी होंगे.

कोई फेंकू कहता है तो कहने दीजिए. कोई धोखेबाज़ कहता है तो कहने दीजिए. लेकिन विवेक का साथ मत छोड़िए. दुनियाभर का झूठ बोला है आपने. लेकिन इसबार हम सारे झूठ को माफ करने को तैयार हैं. एक चुनाव हार जाइयेगा. राजनीति से संन्यास ले लीजिएगा. ये नुकसान उससे कम होगा जो सैनिकों की मांए उठा रही है. भगवान के लिए हज़ारों घर उजड़ने से बचा लीजिए. अपना ध्यान आतंकवाद को खत्म करने में लगाइए. धार्मिक उन्माद फैलाने वाले जिस दिशा में ले जाना चाहते हैं वहां सिर्फ आतंकवादियों के ही हित हैं. जितना ध्यान आप देशों पर देंगे उतना आतंकवाद से आपका ध्यान हटेगा. आप जानते हैं धार्मिक उन्माद के कारण ही आतंकवाद बढ़ता है. आप ये भी जानते हैं कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए उन्माद को खत्म करना होगा. लेकिन अगर आप भी उन्मादियों के साथ हो गए तो क्या होगा.

संपादक

Knockingnews.com