वो सीमापर देश की हिफाज़त करते रहे यहां सरकार ने चूना लगा दिया

नई दिल्ली: ऊधर वो जान पर खेलकर देश की सेवा कर रहे थे और यहां सरकार उनकी ज़िंदगी भर की कमाई में सेंध लगा रही थी. जी हैं इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में  नोटबंदी के बाद अब कुछ ऐसे जवान सामने आए हैं जिनकी पैसे सरकार ने मार दिए हैं.

अखबार की पड़ताल के मुताबिक इनमें से पहले जवान का नाम महेंद्र सिंह है. जिस वक्त पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था तब 30 साल के महेंद्र 20,000 फिट पर सियाचिन में देश की रक्षा में लगे हुए थे. वह इस महीने 10 दिन की छुट्टी लेकर घर आए थे.

सबसे पहले वह राजस्थान में अपने घर पहुंचे लेकिन वहां बिना रुके उन्हें दिल्ली लिए निकलना पड़. यहां उन्हें RBI के हेडक्वॉटर आकर अपने 6000 रुपए बदलने थे. लेकिन यहां आकर भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी. महेंद्र को लगा था कि नोट बदलने की आखिरी तारीख 31 मार्च है लेकिन सरकार धोखे से नियमों में बदलाव कर चुकी थी. बाकी लोगों की तरह यहां आकर पता लगा कि 31 मार्च तक सिर्फ NRI (नॉन रेजिडेंश्यल इंडियन) ही नोट बदल सकते हैं. बड़ी बात ये है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और कोर्ट का फैसला आने तक आप अपने नोट भी अपने पास नहीं रख सकते क्यों कि सरकार ने पुराने नोट रखने को गैरकानूनी करार दिया है.

जवान महेंद्र ने कहा, ‘मुझे नहीं पता था कि 31 मार्च वाली डेडलाइन में बदलाव कर दिया गया है. पता होता तो मैं 1000 रुपए बस का किराया लगाकर यहां नहीं आता.’ महेंद्र ने सियाचिन में होने के हर सबूत दिए लेकिन RBI नहीं माना.

इंडियन एक्सप्रेस को वहां पंकज सिंह नाम के एक CRPF का जवान भी मिले. वह झारखंड में माओवादियों से लड़ने के लिए तैनात थे. जेब में 19,000 रुपए लेकर RBI पहुंचे पंकज ने कहा, ‘मेरी पोस्टिंग जंगलों में हो रखी थी जहां फोन, रेडियो कुछ काम नहीं करता, वहां कोई बैंक नहीं था, हमें कैसे नोटबंदी की जानकारी मिलती और कैसे हम नोट बदलते?’

इसके अलावा वहां CRPF के राजेश नाम के एक और जवान मिले. राजेश जो कि अपनी पत्नी के दो बार मिसकैरेज होने की वजह से वैसे ही परेशान थे उन्होंने RBI के गेट पर खड़ी पुलिस से कहा, ‘सरकार ने हम लोगों के लिए कोई गाइडलाइन क्यों नहीं बनाई? RBI वाले NRI से लाखों की बात कर रहे हैं, 10,000 और 20,000 से उनको कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा.’

लेकिन ऐसा नहीं है कि NRI के पैसे आसानी से बदले जा रहे हैं. उन लोगों को भी काफी परेशानी हो रही है. उन लोगों का कहना है कि इमीग्रेशन और कस्टम अधिकारी उनकी ठीक से मदद नहीं कर रहे. कुछ लोगों का यह भी आरोप है कि उनको 500 रुपए के बदले 100 रुपए देने वाले लोग भी मिल रहे हैं.