नोटबंदी पर मोदी का आखिरी दावा भी झूठा निकला, खुद सरकार ने स्वीकारी असफलता

नई दिल्ली : नोटबंदी के बाद मोदी की बंधाई सारी उम्मीदें के बाद एक करके टूट रही है. सारे दावे गलत साबित होते जा रहे हैं और हर रोज़ असफलता की एक नयी कलई खुल रही है. जब 8 नवंबर की रात प्रधानमंत्री मोदी ने देश को चौकाने वाला संदेश दिया था तो तीन प्रमुख बातें कही थीं. उन्होंने कहा था ..
1. इससे देश का सारा काला धन बाहर आ जएगा
2. इससे नकली करंसी बैंकों में पहुंच जाएगी और पकड़ी जाएगी, पाकिस्तान की नकली नोटों के ज़रिए अस्थिरता फैलाने की साजिश नाकाम होगी
3. आतंकवादियों के पैसे बेकार हो जाएंगे और वो हथियार बगैरह नहीं खरीद सकेंगे
इन तीनों मामलों में एक एक कर सरकारी रिपोर्ट ही गवाही देती जा रही है.
-पहले रिपोर्ट आई कि कालाधन था ही नहीं. सारा धन खातों में जमा हो गया.सरकार के लिए इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता था. पूरे देश को मुसीबत में डालने और असंख्य आत्महत्याओं के बावजूद नतीज़ा सिफर निकला.
-इसके बाद खबर आई कि आतंकवादियों की कमर टूट ही नहीं सकती क्योंकि पाकिस्तान से उन्हें जो मदद मिलती है वो मुफ्त में मिलती है अगर पाकिस्तान में मौजूद आतंक के आकाओं को कुछ बेचना भी होगा तो भारतीय रुपये में बेचकर क्या करेंगे.
-तीसरा और सबसे अहम दावा था पाकिस्तान में छपने वाले असंख्य नकली नोटों का बरामद होना. अब वित्त मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है कि ऐसे कोई नोट थे ही नहीं क्योंकि सारी करंसी वापस आ चुकी है. नोटबंदी के करीब ढाई महीने बाद वित्त मंत्रालय ने खुद इस बात को स्वीकारा है कि 8 नवंबर से 30 दिसंबर के दौरान नकली नोटों की रिकवरी नहीं हो सकी।
नकली नोटों का एक भी मामला नहीं
मंत्रालय ने स्पष्ट तौर पर यह स्वीकारा है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज ऐंड कस्टम्स (CBEC) के अंतर्गत आने वाली एजेंसियों के सामने सरकार द्वारा पुराने नोट जमा कराने के लिए दिए गए 50 दिनों के समय के दौरान नकली नोटों की रिकवरी का एक भी मामला सामने नहीं आया। इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से यह जानकारी मिली।
आतंकी समूहों से भी रिकवरी नहीं
इतना ही नहीं, सरकार का एक और दावा था कि नोटबंदी से नकली नोटों के कारोबार से आतंकियों और स्मगलर्स के कारोबार को भी बड़ा झटका लगेगा। लेकिन किसी आतंकी-स्मगलर्स के समूह के पास से नोटों की जब्ती की कोई जानकारी सरकार के पास नहीं है।
रिजर्व बैंक नोटबंदी को बता रहा असाधारण मौका
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और सरकार दोनों ही ने इस बात का दावा किया था नोटबंदी से आतंक की फंडिंग में इस्तेमाल हो रहे नकली नोटों की रिकवरी हो सकेगी। इतना ही नहीं, पीएसी को दिए गए स्पष्टीकरण में रिजर्व बैंक ने कहा है कि नए नोटों को प्रचलन में लाने के कदम ने भारत सरकार और रिजर्व बैंक को नकली नोटों के कारोबार, आतंक को मिलने वाले वित्तीय पोषण और ब्लैक मनी पर लगाम लगाने का बहुत ही अच्छा मौका दिया है। रिजर्व बैंक द्वारा पीएसी को दिया गया यह बयान और वित्त मंत्रालय द्वारा की गई स्वीकारोक्ति फिलहाल तो एक-दूसरे के साथ नहीं जाते।
मंत्रालय ने गिनाईं अन्य सफलताएं
वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में नोटबंदी की अन्य सफलताएं जरूर गिनाईं। मंत्रालय ने जानकारी दी कि प्रत्यक्ष कर के नेट कलेक्शन में 12.01 प्रतिशत की, इनकम टैक्स कलेक्शन्स में 24.6 प्रतिशत की और अडवांस कलेक्शन में 14.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। वृद्धि के ये आंकड़े पिछले साल के मुकाबले हैं। नोटबंदी पर सवालों के जवाब देते हुए वित्त मंत्रालय ने पब्लिक अकाउंट्स कमिटी (PAC) को बताया कि कॉर्पोरेट इनकम टैक्स 10.6 प्रतिशत और पर्सनल इनकम टैक्स 38.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।