जेडीयू में ढीली पड़ रही है नितीश की पकड़, फिर सामने आई खुली बगावत

नई दिल्ली : एक बार फिर साबित हो गया है कि बिहार के मजबूर विधायकों को छोड़ दिया जाए तो जेडीयू छोड़ने के नितीश के फैसले से उनकी पार्टी खुश नही है. गुजरात राज्यसभा चुनाव में फिर एक बार नितीश कुमार की जेडीयू में हैसियत का अंदाज़ा लगा है. पार्टी के विधायक विधायक छोटूभाई वासवा ने नितीश कुमार के कहने का बावजूद अपना वोट कांग्रेस के उम्मीदवार अहमद पटेल को ही दिया है. अगर वो नितीश की बात मानते तो अहमद पटेल के लिए जीतना मुश्किल हो जाता.इतना ही नहीं गुजरात के जदयू प्रमुख ने तो केसी त्यागी की भूमिका पर ही सवाल खड़े कर दिए थे. उन्होंने कहा था कि केसी त्यागी होते कौन हैं यह बताने वाले कि छोटूभाई वासवा किसको वोट देंगे? कल भी शरद यादव ने दो तरह के पांच सौ के नोट के मामले पर खुलकर संसद में बीजेपी का विरोध किया था.

आपको याद होगा कि जदयू नेता के सी त्यागी ने खुलेआम मीडिया में कहा था कि नीतीश कुमार ने छोटूभाई वासवा से बात की थी और उनको बीजेपी उम्मीदवार बलवंत राजपूत को वोट देने के लिए कहा था. बावजूद इसके छोटूभाई वासवा का वोट अहमद पटेल को गया. छोटूभाई वासवा का वोट काफी अहम था. अहमद पटेल को जीत के लिए 45 वोट चाहिए थे. कांग्रेस का दावा था कि उसके 43 विधायकों ने पटेल को वोट दिया है. माना जा रहा था कि एनसीपी के दो विधायकों में से के एक विधायक ने भी पटेल को वोट दिया है. ऐसे में पटेल को सिर्फ एक और वोट चाहिए था.

पटेल को वोट देने के बाद छोटूभाई वासवा ने भाजपा के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि बीजेपी पिछले 22 सालों से सत्ता में है लेकिन उसने आदिवासी जाति के लोगों के लिए कुछ नहीं किया. वासवा गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में रहने वाले आदिवासी जाति के लोगों को मिलाकर एक भीलिस्तान बनाने की मांग कर चुके हैं.

वासवा ने दावा किया नीतीश की तरफ से उनको राज्य सभा चुनाव से जुड़ा कोई निर्देश नहीं मिला था. टेलिग्राफ की खबर के मुताबिक, वासवा ने कहा कि ना तो नीतीश ने उनको कुछ कहा और ना ही पार्टी ने किसी प्रकार का विहीप जारी किया था. वासवा ने कहा कांग्रेसी अहमद पटेल को वोट देने का फैसला उनका खुद का था और उनके फैसले का पार्टी का कोई लेना-देना नहीं था.