नोटबंदी की असल मुसीबत अब, जेल तक जा सकते हैं 18 लाख लोग

नई दिल्ली: नोटबंदी खत्म हो गई लेकिन टेंशन अभी बाकी है. अगर आप चैन से बैठे हैं तो भूल जाइये. असली उत्पीड़न और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के चक्कर लगने अभी बाकी है. आयकर विभाग ने 18 लाख ऐसे लोगों की पहचान की है. सरकार इन्हें दोषी मानकर ही चलेगी जबतक कि वो खुद अपने आप को निर्दोष साबित न कर दें.

आपके पास एक ईमेल और एसएमएस भेजकर उनसे इस जमा के बारे में जवाब मांगा जाएगा. इन्हें इनकम टैक्स के चक्कर लगाने पड़ेंगे. वकील करने पड़ेंगे और हो सकता है कि कर्मचारियों की जेब भी गर्म करनी पड़े. लोगों के पास ईमानदारी साबित करने के लिए  सिर्फ 10 दिन मिलेंगे इसके बाद एक्शन शुरू हो जाएगा.

आयकर विभाग ने आज ऑपरेशन क्लीन मनी लांच किया. ये ऑपरेशन 8 नवंबर के बाद अकाउंट में संदिग्ध रकम जमा करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए शुरू किया गया है. राजस्व सचिव हंसमुख अधिया ने कहा कि ऑपरेशन क्लीन मनी/स्वच्छ धन अभियान एक प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर है, जो उन लोगों से जवाब मांगने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा जिन्होंने नोटबंदी के बाद संदिग्ध रकम जमा की है. उनके जवाब से संतुष्ट न होने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि लोगों को जवाब के लिए 10 दिन का समय दिया जाएगा. शुरुआती चरण में उन लोगों से जवाब मांगा गया है जिन्होंने 5 लाख या उससे ज्यादा रकम जमा की है या फिर जिन्होंने 3 लाख से पांच लाख रुपये तक जमा किए हैं लेकिन जिनका टैक्स विवरण इससे मेल नहीं खाता. अभी 18 लाख कर दाताओं को इसके दायरे में लाया गया है जिनका डाटा ई-फाइलिंग पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा. इन लोगों को अपने जवाब में इन पैसे का सोर्स बताना होगा.

एक करोड़ से ज्यादा ऐसे अकाउंट हैं जिनमें 2 लाख से ज्यादा की रकम जमा हुई. इनमें से 70 लाख लोगों के पैन नंबर दिए गए. सरकारी अनुमानों के मुताबिक नोटबंदी के बाद के 50 दिनों में करीब 3-4 लाख करोड़ रुपये की काली कमाई बैंकों में जमा हुई है. इस रकम को जमा करने के लिए सहकारी बैंकों और जनधन खातों का भी इस्तेमाल किया गया है. अब आयकर विभाग ऐसे मामलों में नोटिस जारी कर रहा है जिनमें टैक्स चोरी की आशंका है. I-T विभाग बड़ी रकम जमा करवाने वालों के इनकम टैक्स रिटर्न दस्तावेज भी खंगालेगा.

इससे पहले बेनामी विनिमय कानून के तहत देशभर में 42 मामलों में 87 नोटिस जारी किये गए थे. इस कानून में भारी जुर्माना और अधिकतम सात साल के सश्रम कारावास का प्रावधान है.