1 अप्रैल से चलेगी ‘जेब पर कैंची’, पढ़ लें ये नियम, कुछ-कुछ अच्छा भी है

नई दिल्ली: 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष के साथ ही इनकम टैक्स से जुड़े कुछ खास नियमों में बदलाव हो जाएगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट 2017 में इनकम टैक्स में कई बदलावों की भी घोषणा की थी. वित्त विधेयक में कुछ बदलावों को लोकसभा ने अपनी मंजूरी दे दी है. ऐसे में आप भी जान लीजिए कि नए वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल से क्या कुछ बदलने वाला है:

  1. ढाई लाख से 5 लाख रुपये के बीच की इनकम वालों का टैक्स 10 % से घटाकर 5 फीसदी कर दिया जाएगा. हालांकि, सेक्शन 87ए के तहत मिलने वाली 5000 रुपये की छूट को घटाकर 2500 रुपये कर दी गई है. इतना ही नहीं, जिन आयकर दाताओं की आय 3.5 लाख रुपये से ऊपर है उनके लिए कोई छूट नहीं है. इसका मतलब यह होगा कि 3 से 5 लाख रुपये की करयोग्य आय वालों को 7,700 रुपये की बचत होगी, जबकि 5 से 50 लाख रुपये टैक्‍सेबल इनकम वालों को 12,900 रुपये की बचत होगी.
  2. 50 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक की वार्षिक आय वाले लोगों को 10 प्रतिशत सरचार्ज देना होगा. (वहीं एक करोड़ रुपये सालाना इनकम वाले लोगों को पहले की ही तरह 15 प्रतिशत सरचार्ज देना होगा.)
  3. पांच लाख रुपये की सालाना आय (व्यावसायिक इनकम के अलावा) वाले व्‍यक्तिगत करदाताओं के लिए सुविधा के लिए टैक्‍स रिटर्न फाइल करने के लिए एक पेज का फॉर्म पेश किया जाएगा.
  4. राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्‍कीम में निवेश पर आकलन वर्ष 2018-19 के लिए किसी भी प्रकार का कर लाभ नहीं मिलेगा. इस टैक्‍स सेविंग स्‍कीम की घोषणा वित्‍त वर्ष 2012-13 में की गई थी. यह योजना प्रतिभूति बाजार में पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को प्रोत्‍साहित करने के लिए शुरू की गई थी.
  5. यदि सर्च ऑपरेशन के दौरान 50 लाख रुपये से अधिक की अघोषित आय या संपत्ति का पता चलता है तो आयकर अधिकारी पिछले 10 साल के कर मामलों को दोबारा खोल सकते हैं. वर्तमान में कर अधिकारियों को पिछले छह साल के दस्‍तावेजों की ही छानबीन करने का अधिकार हासिल है. समय पर अपना रिटर्न फाइल नहीं करने वाले करदाताओं को आकलन वर्ष 2018-19 के लिए 10,000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. हालांकि, यदि किसी व्‍यक्ति की कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो इस धारा के तहत उस पर अधिक‍तम जुर्माने की राशि 1,000 रुपये से अधिक नहीं होगी.
  6. लांग टर्म गेन के लिए किसी संपत्ति के होल्डिंग पीरियड को 3 साल से घटाकर अब 2 साल कर दिया गया है. यदि कोई व्‍यक्ति संपत्ति खरीदकर उसे 2 साल के भीतर ही बेच देता है तो उसे इस पर होने वाले लाभ पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स देना होगा. यदि इस संपत्ति की बिक्री खरीदने की तारीख से दो साल बाद की जाती है तो उस पर कोई टैक्‍स देय नहीं होगा.
  7. सरकार ने किराये पर घर देने वालों के कर लाभ में कटौती कर दी है. मौजूदा कर कानून के मुताबिक किराये पर दी गई संपत्ति के लिए करदाता रेंटल इनकम को समायोजित करने के बाद होम लोन पर चुकाए जाने वाले संपूर्ण ब्‍याज पर टैक्‍स कटौती का लाभ ले सकता है. अब नए नियम के मुताबिक खुद के रहने वाले मकान के लिए होम लोन पर ब्‍याज के भुगतान में 2 लाख रुपये पर टैक्‍स कटौती का लाभ मिलेगा लेकिन रेंट पर दी गई प्रॉपर्टी के लिए करदाता रेंटल इनकम एडजस्‍ट करने के बाद प्रतिवर्ष केवल 2 लाख रुपये पर ही टैक्‍स लाभ हासिल कर सकेगा. दो लाख रुपये से अधिक की राशि को अगले आठ असेसमेंट वर्षों तक आगे ले जाया जा सकेगा.
  8. प्रतिमाह 50,000 रुपये से अधिक के किराये का भुगतान करने वाले व्‍यक्ति को अब 5 प्रतिशत टीडीएस (स्रोत कर कर) काटना होगा. कर विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से ऐसे व्‍यक्ति जिनकी रेंटल इनकम बहुत अधिक है, वो कर के दायरे में आ जाएंगे. यह नियम एक जून 2017 से प्रभावी होगा
  9. नेशनल पेंशन सिस्‍टम (एनपीएस) से आंशिक निकासी/आहरण पर कोई टैक्‍स नहीं लगेगा. प्रस्‍तावित बदलावों के अनुसार, एनपीएस सब्‍सक्राइबर्स अपने अंशदान का 25 प्रतिशत हिस्‍सा रिटायरमेंट से पहले आपातकालीन स्थिति में निकाल सकेंगे. यह याद रखें कि रिटायरमेंट पर कुल फंड का 40 प्रतिशत हिस्‍सा ही कर मुक्त होता है.
  10. एक जुलाई से पैन कार्ड बनवाने और इनकम टैक्‍स दाखिल करने के लिए आधार नंबर अनिवार्य होगा. सरकार ने कालेधन की रोकथाम के लिए नकद लेनदेन की सीमा भी 3 से घटाकर अब 2 लाख रुपये कर दी गई है. यदि कोई व्‍यक्ति दो लाख रुपये से अधिक का लेनदेन करते पाया जाता है तो उसे इस सीमा से अधिक राशि पर 100 प्रतिशत जुर्माना देना होगा.