जो बिका नहीं उसपर हमला बोल दिया, एनडीटीवी पर छापों की हकीकत

नई दिल्ली: हो सकता है कि लोग इसे सामान्य सीबीआई छापे या किसी आम कंपनी पर छापों के तौर पर देख रहे हों लेकिन ये सामान्य घटना नहीं है. ये इतिहास में लिखी जाने वाली घटना है. भारत के इतिहास में पहली बार कि चौथे स्तंभ पर किसी सरकार ने सीधे हमला किया है. ये ठीक वैसा है कि या तो आप दुश्मन को खरीद लो नहीं खरीद सको तो मिटा दो.

प्रणय रॉय पर लगे जिन आरोपों को हवा दी जा रही है वो सिर्फ तकनीकी मामले हैं न तो उनमें घपला है, न घोटाला है न बदनीयती से कुछ किया गया है .

जानिए प्रणय रॉय के खिलाफ जो आरोप लगाए गए वो कितने संगीन है. उनपर आरोप है कि उन्होंने फंड जुटाने के कुछ मामलों में गड़बड़ी की. गड़बड़ी क्या थी आपको बताते हैं.
एनडीटीवी का मामला ब्रिटेन में बनाई गई सब्सिडरी कंपनी एनएनपीएलसी को पब्लिक इश्यू से फंड जुटाने और उसे ग्रुप कंपनी को जस का तस भेजने की एफआईपीबी की अनुमति से जुड़ा हुआ है.

आरोप है कि प्रणय ऱॉय की कंपनी ने अनुमति पब्लिक आफरिंग शेयर बाज़ार से पैसा उगाहने की ली थी लेकिन उसने बिजनेस करने के लिए कंपनी ने विदेशी कर्ज लिए और बांड्स बेच दिए. यानी आपने एक और एप्लीकेशन क्यों नहीं लगाई. क्योंकि कर्ज लेना औरबांड्स बेचना दोनों ही गलत नहीं हैं. बस अनुमति का ही घालमेल है. एक तरफ आप उद्योगों को बढ़ावा देनें और ईज़ ऑफ बिजनेस की बात करते हैं और दूसरी तरफ तकनीकी खामियों के लिए सीबीआई छोड़ देते हैं.

सरकार का कहना है कि ये फेमा के उल्लंघन का मामला है. ये भी आरोप है कि मार्च 2007 से अक्टूबर 2010 के बीच एनडीटीवी ने विदेश में 170 मिलियन डॉलर सब्सिडरी कंपनी एनएनपीएलसी से जुटाए. इसमें से कोई 725 करोड़ रुपए भारत की ग्रुप कंपनियों को ट्रांसफर हुआ.

रिजर्व बैंक ने कहा कि ये फेमा की धाराओं का उल्लंघन है. ऐसे ही एनडीटीवी लिमिटेड ने एनएनपीएलसी को जो कॉरपोरेट गारंटी दी, जो कर्ज लिया है वह बिना रिजर्व बैंक को सूचित किए लिया गया. जानकारी न देने पर ही एनडीटीवी को लपेट लिया गया.

इसके अलावा एनडीटीवी लिमिटेड की भारतीय कंपनियों में 83 करोड़ 90 लाख 9 हजार 977 व 21,972 डॉलर की रकम एनडीटीवी की मारिशस कंपनियों से एफडीआई के नाम पर आई. रिजर्व बैक ने पाया कि विदेशी सब्सिडरी से ऐसे पैसा आना गड़बड़ है. फेमा कानून की धाराओं का उल्लंघन है. मतलब कुल कोई 1113 करोड़ रु फेमा उल्लंघन से आए हुए माने जा रहे हैं. देश भर की कंपनियां विदेशों से इनवेस्टमेंट ला रही हैं. सरकार ने मीडिया में भी एक हद तक विदेशी निवेश की अनुमति दी हुई है. इसके बावजूद कुछ इसमें तकनीकी खामी ढूंढकर प्रणय रॉय को लपेटा गया.

उधर एनडीटीवी ने इसे सिर्फ उसे परेशान करने की कोशिश बताया है. कंपनी का बयान था- आज सुबह सीबीआई ने एन डी टी वी और उनके प्रमोटर को अंतहीन झूठ और घिसेपिटे आरोपों के आधार पर परेशान करने का अभियान और तेज़ कर दिया.

एन डी टी वी और उसके प्रमोटर अलग अलग एजेंसियों को लगाकर निशाना बनाने के इस अभियान से लड़ते रहेंगे. हम भारत में लोकतंत्र और आज़ाद आवाज़ को कुचलने के इन प्रयासों के आगे झुकने वाले नहीं हैं.

जो लोग भारत की संस्थाओं को बर्बाद करने में लगे हैं, उनके लिए हमारी तरफ से एक ही संदेश है- हम अपने देश के लिए लड़ते रहेंगे ओर इन ताक़तों को हरा कर निकलेंगे.
उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इन छापों का विरोध किया. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि हम डा. प्रणव रॉय और एनडीटीवी समूह पर छापों की घोर निंदा करते हैं, ये आजाद और सत्ता के खिलाफ उठी आवाजों को चुप कराने की एक कोशिश है. केजरीवाल ने कई पत्रकारों के ट्वीट को भी रिट्वीट किया है. इन ट्वीट में पत्रकारों ने एनडीटीवी समूह पर छापे को गलत बताया है.

आशुतोष ने किया मोदी सरकार पर हमला
आप नेता आशुतोष ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि जिस तरह प्रणव रॉय पर सीबीआई की रेड हुई, उनका सम्मान पूरी दुनिया में है. तमाम दबाव के बावजूद वे आज भी निष्पक्ष पत्रकारिता के पक्ष में है. आप नेता ने कहा कि जो मीडिया हाउस मोदी जी की आरती नहीं उतरेगा, उनके लिए जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि आज प्रणव रॉय पर हमला हुआ है, कल किसी और पर हो सकता है. मीडिया को दबाने का प्रयास हो रहा है. ये सीबीआई की रेड उन लोगों को डराने का प्रयास है, जो आज भी मोदी सरकार की कमियों को बता रहा है. उन्होंने कहा कि अम्बानी और अडानी पर हजारों और करोड़ रुपए का कर्ज है उनके घर सीबीआई रेड क्यों नहीं पड़ रही है.