अब जनता से नहीं मिलेंगे सीएम योगी, इस दस्तावेज से हुआ खुलासा

लखनऊ: भारी भरक्म फिल्मी हीरो वाली एंट्री लेने वाले योगी आदित्यनाथ अब पिक्चर से पूरी तरह बाहर हो रहे हैं. शुरू शुरू में जनता के सीएम और जनता को सुलभ रहने वाले सीएम के तौर पर अखबारों में जगह घेर चुके योगी आदित्य नाथ ने अब अपनी जीवनचर्या से जनता को बाहर कर दिया है. यह सवाल उस पत्र की वजह से हुआ है जो 24 अप्रेल को सीएम योगी ने जारी किया. इस पत्र पर खुद योगी के दस्तखत हैं.

पत्र में लिखा गया है कि प्रदेश के सात मन्त्री अलग अलग दिन जनता दरबार लगाकर जनता के समस्याओ को सुनेगे. लेकिन इस पत्र में योगी का कही जिक्र नहीं है.

शपथ ग्रहण के बाद से लगातार योगी आदित्य नाथ जनता से मुलाकात करके अखबारों की सुर्खियों में छाए हुए थे. जैसे ही अखबारों में इस खबर को अहमियत मिलनी कम हुई योगी का ये पत्र हा गया.

शुरू में कहा जा रहा था कि जनता से सीधे मिलना योगी की सबसे बड़ी प्राथमिकता रहेगी लेकिन अचानक आई इस चिट्ठी ने लोगों को झटका दे दिया है. मुख्यमन्त्री ने जनता दरबार मे जनता से मिलने का कार्यक्रय क्यो बंद किया इसका कोई कारण पता नहीं चल पा रहा है
जिन मन्त्रियो की डयूटी मुख्यमन्त्री ने जनता दरबार के लिये लगाई है उसमे सोमवार को धर्मसिह सैनी,मंगलवार को अनिल राजभर,बुधवार को अतुल गर्ग,वृहस्पतिवार को डा0नीलकण्ड तिवारी,शुक्रवार को गिरीश चन्द्र यादव,शनिवार को बलदेव ओलख और रविवार को सुरेश पासी है.
इसके साथ ही इन सातो दिनो मे दो मन्त्रियो को रिजर्व रखा गया है कि अगर कोई मन्त्री इन दिनो मे किसी दिन नहीं मिलता तो उसकी जगह पर रणवेन्द्र प्रताप सिंह धुन्नी सिंह तथा मनोहर लाल मन्नू कोरी जनता दरबार मे जाकर जनता की समस्याएं सुनेगे.
इन लोगो ने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार भी जब 2012 मे बनकर आयी थी तो उस समय अखिलेश यादव ने भी बडी तेजी दिखाते हुये रोजाना जनता से मिलने का कार्यक्रम रखा था पर बाद मे सिर्फ बुधवार को जनता दरबार मे अखिलेश लोगो की समस्या सुनते थे बाद मे धीरे धीरे अखिलेश यादव ने उसको भी बन्द कर दिया.