संसद में मोदी- नोटबंदी ने बदली लोगों की किस्मत, संसद के भाषण में पूरा चुनाव प्रचार

नई दिल्ली: इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्र पति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब दे रहे हैं. संसद के बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्र पति प्रणव मुखर्जी ने अभिभाषण पढ़ा था. इसमें उन्हों ने मोदी सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं का जिक्र किया था. होता यूं रहा है कि अभिभाषण पर चर्चा के बाद बजट पेश होता है.
लेकिन इस बार एक फरवरी को बजट पेश किया गया. इसके चलते चर्चा को आगे खिसकाया गया है. चर्चा में कांग्रेस ने सरकार की उपलब्धियों पर सवाल उठाए थे. कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने मेक इन इंडिया, बुलेट ट्रेन, मनरेगा जैसी योजनाओं के नाम पर सरकार पर हमले बोले थे.


भूकंप और राहुल को मोदी ने कैसे जोड़ा?

पीएम बोले- कल भूकंप आया, आ ही गया. आखिर भूकंप आ ही गया. मैं सोच रहा था कि भूकंप आया कैसे? क्योंकि धमकी तो बहुत पहले सुनी थी. कोई तो कारण होगा कि धरती मां इतनी रूठ क्यों गईं?
कल का भूकंप
मैं सोच रहा था कि आखिर भूकंप आया क्यूं, जब कोई स्कैम में भी सेवा का भाव देखता है, नम्रता का भाव देखता है, सिर्फ मां ही नहीं धरती मां भी दुखी हो जाती है. तब जाकर भूकंप आता है.
कांग्रेस में पूरा लोकतंत्र एक परिवार को आहूत, खड़गे पलटवार
कोई भी व्यवस्था हो लोकतांत्रिक हो चाहे कुछ भी, जनशक्ति का मिजाज कुछ और ही होता है. खड़गे कह रहे थे कि कांग्रेस की कृपा है कि आप पीएम बन पाए. वाह क्या शेर सुनाया, बहुत बड़ी कृपा की. आपने लोकतंत्र बचाया, लेकिन उस पार्टी के लोकतंत्र को देश भलिभांति जानता है. पूरा लोकतंत्र एक परिवार को आहूत कर दिया गया है. 75 के कालखंड में देश पर आपातकाल थोप दिया गया था. लाखों को जेल की सलाखों में बंद कर दिया गया था. अखबारों पर ताले लगा दिए गए थे. उन्हें अंदाज नहीं था कि जनशक्ति क्या होती है. उसी लोकतंत्र और जनशक्ति की ताकत है कि गरीब मां का बेटा भी इस देश का पीएम बन सकता है.
तब भी कमल था, आज भी कमल है
हम कुत्तों वाली परंपरा में नहीं पले-बढ़े. जब कांग्रेस पार्टी का जन्म भी नहीं हुआ था, 1857 का संग्राम, इस देश के लोगों ने जान की बाजी लगाकर लड़ा था. सबन मिलकर लड़ा था. संप्रदाय की भेद रेखा नहीं थी, तब भी कमल था, आज भी कमल है.
हम हमारे देश की जनशक्ति को पहचाने
अपार जनशक्ति, देश ने दर्शन किए हैं, लाल बहादुर शास्त्री जी, उनकी एक अपनी गरिमा था. युद्ध के दिन थे, हर हिंदुस्तानी के दिल में भारत विजय भाव से भरा हुआ माहौल था. उस वक्त जब शास्त्री जी ने कहा था- देश ने अन्य त्याग की पहल की थी. आज ज्यादातर राज्य, केंद्र सरकारों ने जन सामर्थ को करीब-करीब पहचानना छोड़ दिया है. लोकतंत्र के लिए ये सबसे बड़ा चिंता का विषय है. मुझ जैसे समान्य व्यक्ति ने बातों-बातों में कह दिया था कि जो अफोर्ड कर सकते हैं, गैस की सब्सिडी छोड़ दें. 2014 में 9 और 12 सिलेंडर पर चुनाव लड़ रहे थे, हमने सिर्फ कहा था और इस देश में 1 करोड़ 20 लाख देशवासी गैस सब्सिडी छोड़ने के लिए आगे आए. ये देशवासियों के लिए बड़ी बात है. हम हमारे देश की जनशक्ति को पहचाने.
आजादी को सिर्फ एक परिवार से जोड़ा गया, यही समस्या की जड़ है
अब तक जितनी सरकारें आईं, अब तक जितने पीएम आए, कुछ न कुछ योगदान दिया. पर उस तरफ (विपक्ष) उनके लिए उनको लगता है कि आजादी सिर्फ एक परिवार ने दिलाई, समस्या की जड़ वहां है. हम देश को पूर्णता में स्वीकार करें. इसलिए जनशक्ति को जोड़कर. कोई इंसान, कोई मंत्र नहीं होता है जो कुछ कर न सके. जरूरत होती है योजक. इस सरकार ने हर शक्ति को संवार कर जोड़ने का प्रयास किया है.
स्वच्छता पर फोकस
क्या कभी संसद में स्वच्छता विषय पर चर्चा भी हुई है. पहली बार ये सरकार आने के बाद, क्या स्वच्छता को भी राजनीतिक एजेंडा बनाएंगे? आपके इलाके में, कोई भी गंदगी नहीं चाहता है. क्या हम एक स्वर में इस गांधी जी के सपने को पूरा करने के लिए आगे नहीं बढ़ सकते.
इस बार एक चर्चा आई है, बजट जल्दी क्यों किया गया?
भारत एक कृषि प्रधान देश है. पूरा कारोबार कृषि पर है. दिवाली तक पता चल जाता है. अंग्रेज छोड़कर आए हैं, वही परंपरा आगे लेकर चल रहे हैं. मई तक बजट का पालन होता है, फिर तीन महीना बारिश होता है, कोई काम नहीं होता है. फिर दिसंबर से काम होता है और मार्च तक सिर्फ बिल कटते थे. आखिर क्या कारण था कि बजट 5 बजे आता था? किसी ने नहीं सोचा था. किसी ने नहीं सोचा, वहां यूके में 11 बजे यहां शाम के पांच बजे होता है. अटल जी की सरकार आई, तब समय बदला गया.
रेलवे बजट खुश करने के लिए आता था
रेलवे के संबंध में बजट में विस्तार से चर्चा होगी. कभी रेलवे ही परिवहन की धारा था. आज रेलवे के अलावा और कई परिवहन आगे आ गए. हम इसे कम्प्रेहेंसिव लाना चाहते थे. पहले बजट में हमने बताया था कि रेलवे को लेकर 1500 घोषणाएं हुई थीं, खुश करने के लिए रेलवे बजट बनाए जाते थे. ये ऐसी चीजें थी जिनका कागज पर ही मोक्ष हो गया था. हम जानते हैं कि इसका राजनीतिक दृश्य से नुकसान होता है, मुझे ऐसी गाड़ी नहीं चलानी है. मुझे फैसले लेने है, अच्छे फैसले लेने हैं.
नोटबंदी पर चर्चा के लिए तैयार थे, विपक्ष टीवी पर बाइट देता रहा
पहले दिन से सरकार कह रही थी कि नोटबंदी पर चर्चा के लिए तैयार हैं पर आपको लग रहा था कि टीवी पर कतार, मोदी इसका फायदा उठा ले जाएगा. उस वक्त केवल टीवी बाइट देने में मजा आता था. कितना बड़ा बदलाव आया है. जो बारीकी से चीजों का अध्ययन करते हैं, उनका ध्यान जाए. 2014 के पहले का वक्त देख लीजिए, वहां से आवाज उठती थी, कोयले में कितना खाया, टू-जी में कितना गया, जल, वायु करप्शन में कितना गया, कितने लाख, कितने करोड़ गए. अब वहां से आवाज आती है कि मोदी जी कितना लाए, कितना लाए. ये मेरे लिए खुशी की खबर है. यही तो सही कदम है, ये मेरे लिए संतोष की बात है. इससे बड़ा जिंदगी में संतोष क्या है.
26 साल तक कानून को नोटिफाइ नहीं किया? क्यों
खड़गे जी कहते हैं कि काला धन, सोने, प्रॉपर्टी, हीरे में है, सदन जानना चाहता है कि ये ज्ञान कब हुआ आपको? ये कोई इनकार नहीं कर सकता कि करप्शन कि शुरूआत नगद से होती है. आपको मालूम है कि यही बुराइयों के केंद्र में है. 1988 में जब राजीव गांधी जी पीएम थे, दोनों सदन में बहुमत था. पंचायत से पार्लियामेंट तक सबकुछ आपके कब्जे में था. तो आपाने बेनामी संपत्ति का कानून बनाया, आपको जो ज्ञान हुआ क्या कारण था कि 26 साल तक कानून को नोटिफाइ नहीं किया?
एक वर्ग देश के गरीबों का हक लूटता रहा
आप किसी का नाम देकर बच नहीं सकते, आपको जवाब देना होगा. नोटबंदी से पहले इस सरकार ने कानून बनाया. आप कितने ही बड़े क्यों न हो, मैं इस रास्ते से पीछे लौटने वाला नहीं हूं. इस देश के गरीबी के मूल में करप्शन है. देश के पास एक ऐसे वर्ग पनपा जो लोगों को हक लूटता रहा.
मोदी के बोलते ही हुआ हंगामा
जैसी उम्मीद थी वही हुआ. मोदी विपक्ष के हमलों का जवाब देने के उद्देश्य से जैसे ही राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए बोले- आखिरकार भूकंप आ ही गया. मोदी का कटाक्ष सुनते ही कांग्रेसी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा बढ़ता देख लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बीच-बराव करवाया और कांग्रेसी नेता खड़गे से कहा कि कल आपने भी अच्छा भाषण दिया था. आपको बता दें कि सोमवार को कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़ने ने लोकसभा में नोटबंदी और बजट को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला था.
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सोमवार को लोकसभा में चर्चा की शुरुआत हुई थी. केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि देश के हित में इस सरकार ने बड़े फैसले लिए हैं. बड़े फैसलों के लिए 56 इंच का सीना चाहिए होता है जो पीएम मोदी के पास है.
जवाब में उतरे लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकाजुर्न खड़गे. खड़गे ने कहा कि देश में लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए कांग्रेस का शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए, जिसकी बदौलत गरीब परिवार से आने वाले नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन पाए. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस ने 70 सालों तक लोकतंत्र को बचाए रखा. उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी के इस बयान की आलोचना की, जिसमें उसने बार-बार कहा है कि कांग्रेस ने वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद भी कुछ नहीं किया.