संसद को भी झूठे आश्वासन दे रही है मोदी सरकार, खुद सदन में सरकार ने किया स्वीकार

नई दिल्ली: चुनाव का मौसम है और हर तरफ प्रचार और रैलियों का ज़ोर है. पीएम मोदी शहर-शहर जाकर अपनी सरकार की तारीफें कर रहे हैं. इसी बीच एक ऐसी रिपोर्ट आई है जो मोदी को परेशानी में डाल सकती है. इस रिपोर्ट का कहना है कि मोदी के मंत्री संसद में लंबी चौड़ी बातें करते हैं. सदन को आश्वासन देते हैं लेकिन अमल सिर्फ तीन में से एक बात पर ही होता है. लोकतंत्र के नज़रिए से ये चिंता की बात है क्योंकि अगर नेता संसद को भी झूठे आश्वासन देने लगेंगे तो देश में बचेगा क्या.
संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि संसद में मंत्रियों द्वारा पिछले साल 970 आश्वासन दिये गये जिनमें से 580 लंबित हैं. शेष 252 को छोड़ दिया गया है. सरकार ने संसद में स्वीकार किया कि विभिन्न मंत्रियों द्वारा संसद में दिए गये आश्वासनों में से एक तिहाई पर ही अमल हुआ है . आधिकारिक डाटा के अनुसार, पांच में से आश्वान को खारिज कर दिया गया. आंकड़ों के अनुसार, मंत्रियों ने दो साल (2015 और 2016) में सदन के भीतर 1,877 आश्वाोसन दिए, जिनमें से सिर्फ 552 ही लागू किए गए. जहां 392 आश्वा सन खारिज कर दिए गए, बाकी 893 अभी भी लम्बित हैं. आश्वािसनों को लागू कराने की जिम्मे दारी प्रमुख रूप से मंत्रियों या आश्वाएसन से जुड़े विभागों की होती है. संसदीय मंत्रालय भी इन आश्वासनों को लागू करने के बारे में विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के संबद्ध अधिकारियों के साथ समय समय पर विचार विमर्श करता है. हर आश्वारसन के बारे में जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्रालय बताता है कि आश्वा सन को तीन महीने के भीतर पूरा करना होगा, इस सीमा का पालन सख्तीय से किया जाना चाहिए. इसके अलावा, संसद में सरकारी आश्वाीसनों को लेकर लोकसभा की स्टैं डिंग कमेटी भी है. यह संसदीय पैनल उन आश्वाीसनों पर नजर रखता है, जो पूरे नहीं किए गए हैं. यह उन्हेंह पूरा करवाने के लिए मंत्रालयों के अधिकारियों को तलब भी करता है.