पीएनबी घोटाले के लिए कम ज़िम्मेदार नहीं है मोदी सरकार, लापरवाही से हुआ खेल

नई दिल्ली :  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल पंजाब नेशनल बैंक घोटाले से ये कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि ये घोटाला 2011 में हुआ था यानी उनके पीएम बनने से पहले. लेकिन इस बयान भर से पीएम और उनकी पार्टी को लेपरवाही के आरोपों से बरी नहीं किया जा सकता. इससे पहले भी  2015 में बैंक ऑफ बड़ौदा में भी दिल्ली के दो कारोबारियों द्वारा 6,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था. लेकिन वित्त मंत्रालय ने इस पर कोई सावधानी नहीं बरती न ही सिस्टम के छेद बंद करने के लिए काम किया. इसके उलट बैंकों ने ये कहकर मामला बंद कर दिया कि हमारे पैसे वापस मिल गए हैं.

सीबीआई की एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि 59 चालू खाता धारकों और अज्ञात बैंक अधिकारियों ने साजिश कर विदेश में धन ट्रांसफर किया. ज्यादातर धन हांगकांग भेजा गया. करीब 6,000 करोड़ रुपये की राशि स्थापित बैंकिंग नियमों का उल्लंघन कर अवैध और अनियमित तरीके से भेजी गई. यह राशि ऐसे आयात के लिए भेजी गई, जो हुआ ही नहीं. इस मामले में सीबीआई जांच भी हुई . गिरफ्तारी भी हुई. लेकिन बैंक नहीं सुधरे.

इस घोटाले में भी सिर्फ एक पीएनबी को चूना नहीं लगा था. करीब 11,500 करोड़ रुपये के इस फर्जीवाड़े का असर दो सरकारी बैंक और एक प्राइवेट बैंक पर पड़ेगा. इन बैंकों में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ऐक्सिस बैंक शामिल हैं. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ऐक्सिस बैंक ने पीएनबी द्वारा जारी किए गए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के आधार पर क्रेडिट की पेशकश की थी.

इस पूरे मामले की जड़ मे लेटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी एलओयू शामिल है. यह एक तरह की गारंटी होती है, जिसके आधार पर दूसरे बैंक खातेदार को पैसा मुहैया करा देते हैं. अब यदि खातेदार डिफॉल्ट कर जाता है तो एलओयू मुहैया कराने वाले बैंक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित बैंक को बकाए का भुगतान करे.

डेप्युटी मैनेजर ने ही किया खेल

पीएनबी के एक डेप्युटी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी ने कथित तौर पर स्विफ्ट मेसेजिंग सिस्टम का दुरुपयोग किया. बैंक इसी सिस्टम से विदेशी लेनदेन के लिए LOUs के जरिए दी गई गारंटीज को ऑथेंटिकेट करते हैं. इन्हें ऑथेंटिकेशनों के आधार पर कुछ भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं ने फॉरेक्स क्रेडिट दी थी.

कब चला फर्जवाड़े का पता?

जनवरी महीने में पहले के LOUs की अवधि खत्म हो गई और भारतीय बैंकों की विदेशी शाखओं को कर्ज की रकम वापस नहीं मिली तो इस मामले पर से पर्दा उठा. तब उन्होंने पीएनबी से संपर्क किया जिसने बताया कि उन्हें फर्जीवाड़े से गारंटी दी गई थी.

10 कर्मचारी सस्पेंड

खबरें हैं कि शक के आधार पर पीएनबी ने अपने 10 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. पीएनबी ने सीबीआई को बताया कि आरोपी को पहला एलओयू 16 जनवरी को जारी किया गया था.

जांच के घेरे में कई कंपनियां

यह घोटाला कथित रूप से जूलर नीरव मोदी ने किया है. इस घोटाले में कई बड़ी आभूषण कंपनियां मसलन गीतांजलि, गिन्नी और नक्षत्र भी विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गई हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘चार बड़ी आभूषण कंपनियां गीतांजलि, गिन्नी, नक्षत्र और नीरव मोदी जांच के घेरे में हैं. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय उनकी विभिन्न बैंकों से सांठगांठ और धन के अंतिम इस्तेमाल की जांच कर रहे हैं.’ इन कंपनियों से तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है. अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय से सख्त निर्देश है कि कोई बड़ी मछली बचने न पाए और ईमानदार करदाता को किसी तरह की परेशानी न हो.

अधिकारी ने कहा कि बैंक अब अपनी प्रणाली और प्रक्रियाओं की जांच कर रहे हैं ताकि इस तरह का घोटाले की पुनरावृत्ति न हो. सभी बैंकों से जल्द-से-जल्द स्थिति रिपोर्ट देने को कहा गया है. वर्ष 2015 में बैंक ऑफ बड़ौदा में भी दिल्ली के दो कारोबारियों द्वारा 6,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था.

पीएनबी का बयान

पीएनबी ने बयान में कहा कि उसकी मुंबई की एक शाखा में इस तरह के धोखाधड़ी के लेनदेन हुए जिसका फायदा कुछ चुनिंदा खाताधारकों को मिला है. ये लेनदेन मोदी के भाई निशाल, पत्नी एमी और मेहुल चिनूभाई चोकसी ने किए हैं जिनके आधार पर अन्य बैंकों ने विदेश में ग्राहकों को कर्ज दिया. मोदी के आभूषण दुनिया भर की हस्तियों में काफी लोकप्रिय हैं. उनके खिलाफ नए सिरे से सीबीआई जांच हो सकती है.