राज ठाकरे का अभियान, सड़कों पर दौड़ा दौड़ा कर यूपी बिहार वालों की पिटाई

मुंबई: राष्ट्र के नाम पर होने वाली राजनीति हो या राज्य के नाम पर धर्म के नाम पर होने वाली राजनीति हो जात के नाम पर होने वाली राजनीति, ये राजनीति सही गलत नहीं देखती. न्याय नहीं देखती. इंसाफ नहीं देखती. ये सिर्फ झूठा अपना पराया देखती है. इसी के नाम पर लोगों को भड़काती है इसी के नाम पर बांटती है.

जब लोग उत्तर भारत में धर्म की राजनीति करते हैं तो भूल जाते हैं कि महाराष्ट्र में उन्हीं की तरह की कोई राज्य की राजनीति करके उन्हें परेशान कर सकता है. आज ऐसा ही हुआ. राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने एक बार फिर उत्तर भारतीयों के साथ गुंडागर्दी की है. महाराष्ट्र के सांगली में मनसे के कार्यकर्ताओं का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वो उत्तर प्रदेश और बिहार लोगों को सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर पीट कर रहे हैं.

वीडियो मंगलवार का है जब एमएनएस के कार्यकर्ता हाथ में लाठी लेकर सड़कों पर उतरे और सामने जो भी उत्तर भारतीय दिखा उसकी बेरहमी से पिटाई करने लगे. यहां तक कि लोगों की डंडे और लात-घूसों से पिटाई की गई. दरअसल राज ठाकरे की पार्टी ने सांगली में ‘लाठी चलाओ भैय्या हटाओ’ नाम से पर-प्रांतीय हटाओ मुहिम शुरू की है. मनसे का आरोप है कि सांगली स्थित एमआईडीसी में पर-प्रांतीयों को नौकरी दी जा रही है. यहां 80 फीसदी नौकरी सिर्फ और सिर्फ मराठी लोगों को दी जाए.

आपको बता दें कि फरवरी 2008 में राज ठाकरे ने कथित उत्तर भारतीयों के खिलाफ एक आंदोलन का नेतृत्व किया. 2009 में एग्जाम देने मुंबई आए हिंदी भाषी उम्मीदवारों की पिटाई कर मनसे सुर्खियों में आई थी. ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने हाल ही में गुजराती भाषियों के खिलाफ भी आंदोलन छेड़ा था. इसके तहत मनसे कार्यकर्ताओं ने दादर और माहिम इलाके में कई दुकानों के गुजराती भाषा में लगे बोर्ड जबरदस्ती हटा दिए. पुलिस ने बोर्ड हटाने वाले मनसे के सात कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में याचिकाकर्ता सलेक चंद जैन के वकील सुग्रीव दुबे ने कहा था कि मनसे नेता राज ठाकरे के बयानों से भड़की भीड़ ने जब दो उत्तर भारतीय डॉक्टरों अजय और विजय दुबे की हत्या कर दी तब भी राज्य सरकार ने जरूरी कदम नहीं उठाए. उन्होंने यह भी कहा कि मनसे द्वारा किये गए हमलों पर देशभर में तीव्र प्रतिक्रियाएं हुईं, जिससे देश की अखंडता और एकता पर खतरा पैदा हो गया है.

याचिका में उन्होंने केंद्र सरकार पर भी आरोप लगाया कि वो भी इन घटनाओं की मूक दर्शक बनी रही और संविधान की धारा 355 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग कर राज्य सरकार को इंस संवैधानिक संकट से निपटने के लिए जरूरी दिशा निर्देश नहीं दिये.

उत्तर भारतीयों के खिलाफ हुई हिंसा के बाद राज ठाकरे को गिरफ्तार कर सशर्त जमानत मिली थी. विक्रोली मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के जमानत के आदेश के मुताबिक “राज कभी भी सामाजिक द्वेष फैलाने वाला न तो भाषण देंगे और न ही लेख लिखेंगे. एक बॉन्ड पेपर भर कर ये आश्वस्त करना होगा कि वो कभी भी प्रांतवाद को लेकर जहर बुझी भाषा का इस्तेमाल नहीं करेंगे और न ही भीड़ या एक से अधिक संगठित दल को उकसाने की कोशिश करेंगे.”

अमिताभ बच्चन के साथ टकराव

राज ठाकरे ने फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन को महाराष्ट्र में उनकी फिल्मों के रिलीज पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी.