मोदी की सफलता के पीछे है ये आदमी, सीएम तक बन सकता है ये छुपा रुस्तम

नई दिल्ली: न वो कैमरे के सामने आते न चैनल्स को बाइट देते. लो प्रोफाइल रहते हैं. लेकिन यूपी में सीएम के संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट में उनका भी नाम है. वो  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली से पहले ये उस शहर में डेरा डाल देते थे. एक कार्यकर्ता से लेकर पदाधिकारी तक की जिम्मेदारी तय करते थे. रैली को कामयाब बनाते और निकल पड़ते थे अगली रैली की तैयारी में. नेता के नाम पर एक बार एमएलसी रहे हैं. संपत्ति के नाम पर एक दो पहिया वाहन है. संघ और पीएम मोदी के करीबी इस नेता स्वतंत्रदेव सिंह का नाम अब यूपी सीएम की दौड़ में प्रमुखता के साथ सामने आ रहा है.

स्वतंत्रदेव के बारे में कहा जाता है कि वह कैमरे की चमक से दूर पर्दे के पीछे रहकर काम करते हैं. और शायद ये ही संघ के काम करने की शैली भी है. और 1986 में संघ से जुड़कर स्वतंत्रदेव उसी शैली पर काम करते हुए नजर आ रहे हैं. एक बार जरूर उन्हें पार्टी ने एमएलसी बनाया था, 2012 में जालौन की काल्पी विधानसभा से एक बार चुनाव हार चुके हैं. मूलरूप से मिर्जापुर के रहने वाले स्वतंत्रदेव अब उरई में रह रहे हैं.

किसानी परिवार से ताल्लुक रखने वाले कुर्मी जाति के स्वतंत्रदेव जमीनी नेता माने जाते हैं. संपत्ति के नाम पर उनके पास एक छोटा सा मकान और एक दोपाहिया वाहन है. जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश में पीएम मोदी की जितनी भी रैली हुई हैं उनके पीछे स्वतंत्रदेव की अपनी रणनीति काम करती थी. रैली से कई-कई दिन पहले उस शहर में रैली का काम संभाल लेते थे. बूथ लेवल से लेकर मंडलस्तर तक के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी की जानकारी रखते थे.

स्वतंत्रदेव के बारे में कहा जाता है कि इनकी बैठक में जाने वाला पदाधिकारी पूरी तैयारी से जाता था. स्वतंत्रदेव बैठक के दौरान किसी से भी बूथ लेवल तक का सवाल कर लेते हैं. जो जिस स्तर का कार्यकर्ता उसे रैली के लिए उसी स्तर का काम सौंपना स्वतंत्रदेव की खासियत मानी जाती है.

खुद स्वतंत्रदेव कहते हैं कि इंसान को उसकी क्षमताओं के अनुसार काम दोगे तो वह खुशी-खुशी करेगा, वर्ना ज्यादा काम देखकर वो भाग खड़ा होगा या फिर आपके सामने आने से कतराएगा और इस तरह से उसका काम भी बिगड़ जाएगा.