केरल के बीजेपी नेता ने जारी कीं बीफ फेस्टिबल की फर्जी तस्वीरें, सबूतों के साथ पढ़िए हमारा खुलासा

नई दिल्ली:  कल कुछ वामपंथी नेताओं ने केरल में कांग्रेस प्रदर्शन के दौरान गौकशी में आरएसएस के हाथ होने की आशंका जताई थी आज एक कदम आगे बढ़कर एक फेसबुक पोस्ट आया है जिसमें केरल के बीजेपी नेता ने पुरानी तस्वीरें पोस्ट करके केरल में तनाव पैदा करने की कोशिश की. अपने ऑफिशियल फेसबुक पेज पर बीजेपी के सीनियर नेता के सुरेन्द्रन ने एक फोटो पोस्ट किया है. इस फोटो में 5-6 गायें सड़क पर खून से लथपथ मरी पड़ी हैं.

 

इस तस्वीर के साथ सुरेन्द्रन ने लिखा है- राज्य सरकार तत्काल कदम उठाए और बीफ फेस्टिवल पर रोक लगाए. ये फेस्टिवल वामपंथी और कांग्रेस के नेता कर रहे हैं. कई आतंकवादी संगठन भी ऐसायोजन करते हैं.  इन फेस्टीवल्स में इस्तेमाल होने वाला बीफ कानूनी मीट शॉप से नहीं खरीदा जाता.ये फेस्टिवल सार्वजनिक रूप से गैरकानूनी गायों के कत्लेआम से मिले मीट से होता है.

इस तरह के कई आयोजन तनाव बढ़ाने की नीयत से होते है. इस तरह के आयोजन जनबूझ कर ऐसे हालात का फायदा उठाते हैं जोतनाव फैलाने वाले हैं. मंदिरों के प्रभारी देवास्वम मंत्री खुद सार्वजनिक रूप से बीफ खाते देखे जाते हैं. मंत्री और सामाजिक कामों से जुड़े हैं उन्हें ऐसी गतिविधियों से दूर रहना चाहिए. प्रदर्शन और विरोध का अधिकार सबको है. लेकिन ये बेहतर होगा कि लोग ऐसे  विरोध प्रदर्शनों से दूर रहें. हम ऐसे आयोजनों से जुड़े लोगों से अपील करते हैं कि वो राष्ट्रवादी संगठनों को इसमें न घसीटें.

 

 

सुरेन्द्रन की बात कुछ हद तक जायज लगती है लेकिन इस पोस्ट के साथ जो तस्वीर इस्तेमाल की गई है वो शरारती हरकत लगती है. ये तस्वीर काफी पुरानी हैच.  इसका केन्द्र सरकार के आदेश के बाद केरल में चल रहे प्रदर्शनों से कोई संबंध है ही नहीं. बहकाने वाले कैप्शन के साथ इस फोटो को पहले भी कई बार वायरल किया गया है.

इससे पहले 28 अक्टूबर 2011 को गूगल प्लस पर सुभाशीष चक्रवर्ती नामके व्यक्ति ने ये फेटो पोस्ट किया था तब लिखा था. कि ‘यूपी में राजकुमारी मायावती के दिए लायसेंस से खुले आम गाय काटी जा रही हैं.’

इसी पोस्ट पर  क्रिश दत्ता नामके व्यक्ति ने कमेंट लिखा – अगर आप पीझे बंद दुकानें और उनके साइन बोर्ड देखें तो साफ दिखाई देगा कि ये छुट्टियों का नज़ारा है और साइन बोर्ड बांग्ला भाषा में हैं. इन दोनों तथ्यों पर नज़र डालें तो ये इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि ये तस्वीरें ईद के त्यौहार पर ली गई हैं और या तो पश्चिम बंगाल की हैं या बांग्लादेश की. ऐसी कोई भी रिपोर्ट मेनस्ट्रीम मीडिया में कहीं दिखाई नहीं दी है. कम से कम पश्चिम बंगाल का मामला होता तो ये खबर ज़रूर आती .यानी ये तस्वीरें बांग्लादेश की लगती है. ये तस्वीरें 2009 के ब्लॉग में भी दिखाई देती हैं.