EVM से ध्यान बंटाने के लिए बीजेपी ने उठाया जेठमलानी मामला, केजरीवाल की जेब से रकम देना जायज नहीं- सूत्र

नई दिल्ली: अगर चुनाव का वक्त न होता और ईवीएम का मुद्दा न होता तो केजरीवाल पर जेठमलानी को लेकर ये हमले नहीं हो रहे होते. आम आदमी पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक ये मामला बेकार में बवाल खड़ा करने के लिए उठाया गया है. ये सूत्र कहते हैं कि जेठमलानी को फीस देने का फर्ज दिल्ली सरकार का ही है. इन सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल ने ये आरोप दिल्ली सरकार के दफ्तरों पर छापे के बाद ही लगाए थे. आम आदमी पार्टी के किसी दप्तर का ये मामला नहीं था. और तो और खुद अरुण जेटली ने कोर्ट से कहा कि केजरीवाल दिल्ली के सीएम हैं इसीलिए वो मानहानि का केस डाल रहे हैं. वो कोई मधु किश्वर की तरह आम आदमी नहीं हैं.

दूसरी तरफ मीडिया से बात करते हुए जाने माने वकील राम जेठमलानी ने कहा कि वह केवल पैसे वालों से ही फीस लेते हैं जनता से जुड़े हुए मामलों और गरीबों से जेठमलानी ने आजतक फीस नहीं ली. उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाया कि यह सब अरुण जेटली राम जेठमलानी के क्रॉस एक्जामिनेशन से घबड़ा गए हैं इसलिए इस तरह की हरकतों पर उतर आए हैं. जेठमलानी ने ये भी कहा कि अगर पैसे नहीं मिले तब भी वो केजरीवाल का केस लडेंगे. राम जेठमलानी ने कहा कि अगर दिल्ली सरकाय या फर वह (अरविंद केजरीवाल) फीस नहीं दे पाते हैं, मैं इस केस में मुफ्त में आऊंगा. उन्होंने यह भी कहा कि वह उनको (अरविंद केजरीवाल) को एक गरीब क्लाइंट के हिसाब से ट्रीट करेंगे.

आपको बता दें राम जेठमलानी इस केस में अरविंद केजरीवाल की ओर से पैरवी कर रहे हैं. पहले कहा गया था कि वह इस केस में कोई फीस नहीं लेंगे. लेकिन हाल ही जो दिसंबर माह के पहले हफ्ते में लिखी चिट्ठी से खुलासा हुआ है कि राम जेठमलानी ने अपनी फीस के तौर पर अब तक 3.86 करोड़ रुपये की मांग की है.  राम जेठमलानी के इस कदम पर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा कि जेठमलानी ने पहले तो फीस नहीं लेने की बात कही थी. लेकिन अब उन्होंने बिल भेज दिया है.

उधर, इस पूरे मामले में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार सवालों के घेरे में आ गई है. दिसंबर की चिट्ठी अप्रैल में मीडिया के सामने आई है. इस  पूरे प्रकरण में यह भी सामने आया है कि दिल्ली सरकार की ओर से उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने राम जेठमलानी को फीस का भुगतान करने की पूरी तैयारी कर ली थी. यहां तक उन्होंने एक चिट्ठी में यह भी लिखा कि इस मामले को एलजी के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजा जाए. इसी चिट्ठी में वह यह भी कह रहे हैं कि बिलों का भुगतान कर दिया जाए और यह भी ध्यान रखा जाए कि आगे भी जो बिल आएं उनका भी भुगतान कर दिया जाए.

बता दें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर अरविंद केजरीवाल कई डीडीसीए को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए थे. केजरीवाल के इन आरोपों के बाद अरुण जेटली ने इस मामले में निजी तौर पर केजरीवाल उनपर हमला करने वालों से अपने बयान वापस लेने के लिए कहा और माफी मांगने के लिए कहा. ऐसा न करने पर अरुण जेटली ने इन लोगों पर मानहानि का केस दर्ज करने की बात कही थी. अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं द्वारा ऐसा नहीं करने पर जेटली ने केजरीवाल समेत पार्टी के छह नेताओं पर 10 करोड़ रुपये मानहानि का केस दर्ज किया था.