मोदी जेटली ने यशवंत सिन्हा के बेटे पर दबाव डाला, पिता के खिलाफ अखबार में लेख लिखवाया ?

नई दिल्ली: राजनीति इतनी गंदी हो सकती है कि किसी बेटे को कहा जाए कि वो अपने पिता के खिलाफ अखबार में लेख लिए. अगर नेशनल हेराल्ड की खबर सही है तो जयंत सिन्हा को अपने ही पिता यशवंत सिन्हा के खिलाफ लेख लिखने को मजबूर किया गया. गुरुवार को टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में जयंत सिन्हा का लेख छपा जिसमें उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों और देश के आर्थिक हालात की आलोचना करने वालों को गलत बताया. जयंत सिन्हा ने अपने लेख में किसी का नाम नहीं लिया है. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस (27 सितंबर) में प्रकाशित लेख में देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा था कि बीजेपी में कई लोग ऐसा मानते हैं लेकिन वो डर की वजह से बोलेंगे नहीं.

इससे पहले यशवंत सिन्हा ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधते हुए लिखा था, “मैं अपने राष्‍ट्रीय कर्त्‍तव्‍य के पालन करने में असफल होऊंगा अगर मैंने अब वित्‍त मंत्री द्वारा अर्थव्यवस्‍था की दुर्गति के बारे में नहीं बोला. मैं निश्चिंत हूं कि मैं जो भी कहने जा रहा हूं वह बड़ी संख्‍या में भाजपा के लोगों की भावनाएं हैं, जो डर की वजह से बोल नहीं रहे. इस सरकार में अरुण जेटली सर्वोत्‍तम और सबसे माहिर समझे जाते हैं. यह 2014 लोकसभा चुनावों से पहले तय था कि वह नई सरकार में वित्‍त मंत्री होंगे.

अमृतसर से लोकसभा चुनाव हारना भी उनकी राह का रोड़ा नहीं बना. याद होगा कि ऐसी ही परिस्थितियों में अटल बिहारी वाजपेयी ने 1998 में जसवंत सिंह और प्रमोद महाजन को मंत्री बनाने से इनकार कर दिया था, जबकि वे दोनों उनके बेहद करीबी थे. जेटली की अपरिहार्यता उस समय लक्षित हुई जब प्रधानमंत्री ने उन्‍हें न सिर्फ वित्‍त मंत्रालय, बलिक रक्षा और कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय भी सौंप दिया. एक बार में चार मंत्रालय, जिनमें से तीन उनके पास अभी भी हैं.

जयंत सिन्हा ने अपने जवाबी आलेख में लिखा, “भारतीय अर्थव्यस्था के बदलते चेहरे पर हाल में कई लेख प्रकाशित हुए हैं. दुर्भाग्यवश, ये लेख सीमित तथ्यों के आलोक में अतिसरलीकरण करते हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था में मूलभूत बदलावों पर इनकी नजर नहीं जाती है. इतना ही नहीं एक या दो तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर और दूसरे आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल्याकंन के लिए काफी नहीं हैं. इनसे ढांचागत बदलावों के दीर्घकालीन प्रभावों का पता नहीं चलता.” जयंत सिन्हा ने अपने लेख में यशवंत सिन्हा का नाम नहीं लिया है लेकिन नेशनल हेरल्ड ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि जयंत को उनके पिता के लेख का जवाब देने के लिए बीजेपी और मोदी सरकार के शीर्ष लोगों ने कहा.