समर्पण और सफलता ने जय ललिता को बनाया था अम्मा, देखिए ज़िंदगी की चुनिंदा तस्वीरें

जे जयललिता सफलता का दूसरा नाम था. वो सिर्फ सफल राजनेता ही नहीं थीं बल्कि पूरा जीवन सिर्फ सफलता से भरा हुआ था.

बचपन में अगर वो खेलों में मैडल जीतती रहीं तो नृत्य और अभिनय में भी उन्होंने सफलता के झंडे गाड़े. मई 1960 में मयलापोर में एक सभा में नन्ही जया ने अपना पहला नृत्य प्रस्तुत किया था.

सभा में मुख्य अतिथि थे फ़िल्म स्टार शिवाजी गनेशन जिन्होंने उनकी मां से कहा कि जयललिता एक बड़ी फिल्म स्टार बनेंगी. शायद होनी को यही मंज़ूर था.

68 साल की जयललिता 22 सितंबर से अपोलो अस्पताल में भर्ती थीं.

जयललिता के राजनैतिक जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आए और उनका फ़िल्मी सफ़र भी उतना ही दिलचस्प रहा.

शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षित और एक निपुण नर्तकी जयललिता उन अभिनेत्रियों में से एक थीं जो अपने समय से आगे थीं और ट्रेंड सेटर थीं.

24 फ़रवरी साल 1948 को पैदा हुईं जयललिता ने फ़िल्मों के साथ नाता तब जोड़ा जब वो महज़ 13 साल की थीं.

एक बाल कलाकार के रूप में उन्होंने काम किया कन्नड़ फ़िल्म ‘श्री शायला महाथमें’ में. फिर तीन मिनट का एक रोल निभाया साल 1962 की हिन्दी फ़िल्म ‘मनमौजी’ में, जिसमें थे किशोर कुमार और साधना.

1964 में ‘चिन्नडा गोम्बे’ उनकी पहली कन्नड़ फिल्म थी और उसी साल उनकी पहली तेलुगू फ़िल्म ‘मनुशुलु मामाथालू’ भी आई.

साल 1965 की ‘वेन्नीरा आडाई’ उनकी पहली तमिल फ़िल्म थी जो एक हिट साबित हुई.

तमिल सिनेमा की रानी’ कही जाने वाली जयललिता उन गिनी-चुनी अभिनेत्रियों में से थीं जिन्होंने बड़े पर्दे पर बोल्ड सीन किए.

उनकी पहली कुछ फिल्मों में से एक फ़िल्म को ‘ए’ सर्टिफ़िकेट दिया गया. वो खुद फ़िल्म देखने नहीं जा पाईं क्योंकि वो बालिग नहीं थीं.

जयललिता उन पहली कुछ अभिनेत्रियों में से थीं जिन्होंने बड़े पर्दे पर स्कर्ट पहनी, ‘स्लीवलेस ब्लाउज़’ पहना और नहाने का सीन फ़िल्माया.

वे जब शूटिंग करने जातीं तो स्टूडियो में किताबें लेकर जाती थीं. उन्हें अंग्रेजी उपन्यास पढ़ने का बहुत शौक था.

जब उन्होंने मरुधुर गोपालन रामाचंद्रन यानी ‘एमजीआर’ के साथ काम करना शुरू किया तो उनकी छवि बदल गई.

ये दोनों एक साथ पहली बार नज़र आए 1965 में आई फिल्म ‘आइरथिल ओरुवन’ में. दोनों ने एक साथ 25 से ज्यादा फ़िल्मों में काम किया.

वो ‘एमजीआर’ ही थे जिन्होंने आगे जाकर जयललिता का परिचय राजनीति से कराया. ख़ुद ‘एमजीआर’ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने.

साल 1968 की फ़िल्म ‘इज़्ज़त’ में जयललिता एक बार फिर हिन्दी फ़िल्म में नज़र आईं मुख्य अभिनेता धर्मेन्द्र और साधना के साथ.

साल 1972 में उन्होंने शिवाजी गनेशन के साथ काम किया फ़िल्म ‘पट्टिकडा पट्टानामा’ में. इस फ़िल्म ने नेशनल अवॉर्ड जीता और जयललिता को ‘फ़िल्मफेयर’ का सर्वश्रेष्ठ तमिल अभिनेत्री का पुरस्कार मिला.
साल 1973 की ‘सूर्यगंधी’ के लिए जयललिता ने फिर फ़िल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ तमिल अभिनेत्री का पुरस्कार जीता.

उन्होंने करीब 125 फ़िल्मों में काम किया जिसमें से 100 से ज़्यादा फ़िल्में हिट हुईं.

जयललिता ऐसी तमिल अभिनेत्री हैं जिनके पास सबसे ज़्यादा सिल्वर जुबली हिट्स हैं. वे अपनी फ़िल्मों में कभी-कभी गाती भी थीं.

अपनी ज़िंदगी में जयललिता अपनी मां और ‘एमजीआर’ से बहुत प्रभावित हुईं. उनकी मां भी एक अभिनेत्री थीं. 80 का दशक शुरु होते होते उन्होंने राजनीति में कदम रख दिया.

उन्होंने अपने जीवन की दिशा बदली लेकिन राजनीति में भी वो ऐसे मुक़ाम पर पहुँची जहाँ बहुत कम लोग पहुँच पाए. बहुत कम अभिनेता या अभिनेत्री राजनीति में शायद ही इतने कामयाब रहे हों जितनी जयललिता रहीं.