दिवाली पर आप जितने पटाखे फोड़ते हैं , इसरो ने उससे ज्यादा उपग्रह छोड़ दिए, जानिये किसको जाता है श्रेय

नई दिल्ली: दिवाली पर आप ज्यादा से ज्यादा पच्चीस या पचास रॉकेट छोड़ते होंगे लेकिन इसरो ने इससे ज्यादा सैटेलाइट लांच कर दिए हैं एसएलवी-3 भारत का पहला स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल था. इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम थे. इसरो के मार्स मिशन को सबसे सस्ता बताया जाता है. इस पर करीब 450 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिसे पीएम मोदी ने हॉलीवुड फिल्म ग्रेवेटी के खर्चे से भी कम बताया था.

1975 में देश का पहला उपग्रह आर्यभट्ट अंतरिक्ष में भेजा गया. इसका नाम महान भारतीय खगोलशास्त्रीके नाम पर रखा गया था. इस सेटेलाइट को कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण वाहन के जरिए कास्पुतिन यान से प्रक्षेपित किया गया था. सबसे खास बात यह थी कि इस उपग्रह का निर्माण पूरी तरह से भारत में ही हुआ था.

इसरो भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बेंगालुरू कर्नाटकमें है. संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं. संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है. अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है.

1969 में स्थापित, इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से 1962 में स्थापित किया गया. भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, जो 19 अप्रैल १९७५ सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया था यह गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था बनाया. 1980 में रोहिणी उपग्रह पहला भारतीय-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 बन गया जिस्से कक्षा में स्थापित किया गया. इसरो बाद में दो अन्य रॉकेट विकसित किये रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पग्रहों शुरू करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी),भूस्थिर कक्षा में उपग्रहों को रखने के लिए ध्रुवीय कक्षाओं और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान.ये रॉकेट कई संचार उपग्रहों और पृथ्वी अवलोकन गगन और आईआरएनएसएस तरह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम तैनात किया उपग्रह का शुभारंभ किया.जनवरी 2014 में इसरो सफलतापूर्वक जीसैट -14 का एक जीएसएलवी-डी 5 प्रक्षेपण में एक स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया.

इसरो ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, एक साथ 104 सैटेलाइट भेजे

भारत के इसरो ने आज मेगा मिशन के जरिए विश्व रिकॉर्ड बना लिया है. PSLV के जरिए एक साथ 104 सैटेलाइट का सफल लॉन्च किया गया है. वैसे अभी तक यह रिकार्ड रूस के नाम है, जो 2014 में 37 सैटेलाइट एक साथ भेजने में कामयाब रहा है. इस लॉन्च में जो 101 छोटे सैटेलाइट्स हैं उनका वजन 664 किलो ग्राम था. इन्हें कुछ वैसे ही अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया जैसे स्कूल बस बच्चों को क्रम से अलग-अलग ठिकानों पर छोड़ती जाती हैं.

PSLV: इसरो ने 1990 में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) को विकसित किया था. 1993 में इस यान से पहला उपग्रह ऑर्बिट में भेजा गया, जो भारत के लिए गर्व की बात थी. इससे पहले यह सुविधा केवल रूस के पास थी.

चंद्रयान : 2008 में इसरो ने चंद्रयान बनाकर इतिहास रचा था. 22 अक्टूबर 2008 को स्वदेश निर्मित इस मानव रहित अंतरिक्ष यान को चांद पर भेजा गया था. इससे पहले ऐसा सिर्फ छह देश ही कर पाए थे.

मंगलयान : भारतीय मंगलयान ने इसरो को दुनिया के नक्शे पर चमका दिया. मंगल तक पहुंचने में पहले प्रयास में सफल रहने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना. अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह पहुंचने में सफलता मिली. चंद्रयान की सफलता के बाद ये वह कामयाबी थी जिसके बाद भारत की चर्चा अंतराष्ट्रीय स्तर पर होने लगी.

जीएसएलवी मार्क 2 : जीएसएलवी मार्क 2 का सफल प्रक्षेपण भी भारत के लिए बड़ी कामयाबी थी, क्योंकि इसमें भारत ने अपने ही देश में बनाया हुआ क्रायोजेनिक इंजन लगाया था. इसके बाद भारत को सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ा.