पाकिस्तान की राजधानी में बनेगा मंदिर, हिंदुओं को 69 साल बाद मिला हक


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इस्लामाबाद: पाकिस्तान की आज़ादी के 70 साल बाद अब वहां के हिंदुओं को उनका धार्मिक आज़ादी  मिली है. पहली बार पाकिस्तान की सरकार ने राजधानी इस्लामाबाद में रहने वाले हिंदुओं के साथ सभ्यता वाला व्यवहार करते हुए उन्हें मंदिर और श्मशान की सुविधा देने का फैसला किया है. इस्लामा बाद में करीब 800 हिंदू हैं उन्हें इस्लामाबाद में मंदिर ना होने की वजह से दिवाली और दूसरे त्यौहार अपने घरों में ही मनाने पड़ते थे. यहां श्मशान भी नहीं है, जिसके चलते किसी का निधन होने पर अंतिम संस्कार के लिए उन्हें रावलपिंडी या अपने होमटाउन ले जाना पड़ता है.
कैपिटल डेवेलपमेंट अथॉरिटी (CDA) ने अब हिंदुओं के लिए मंदिर, कम्युनिटी सेंटर और श्मशान के लिए जमीन अलॉट कर दी है. पाकिस्तान के अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के मुताबिक, इस्लामाबाद में रहने वाले हिंदू लंबे समय से मंदिर और श्मशान के लिए जमीन की डिमांड कर रहे थे, जिसे पूरा कर दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद में मंदिर और श्मशान के लिए सेक्टर H-9 में आधा एकड़ जमीन दी गई है. इस्लामाबाद और रावलपिंडी में सिर्फ एक कृष्ण मंदिर है. हालांकि, रावलपिंडी में कुछ छोटे-छोटे मंदिर हैं. सीडीए ने मंदिर के लिए जमीन उस प्लाट के नजदीक दी है जो कि पाकिस्तान की बुद्धिस्थ सोसाइटी को दिया गया है. बता दें कि पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी करीब दो फीसदी है. ज्यादातर सिंध प्रांत में रहते हैं. यहां हिंदू बेहद पिछड़े हैं.
कराची में है 1500 साल पुराना हनुमान मंदिर
कराची में 1500 साल पुराना पंचमुखी हनुमान मंदिर है, जहां ज्यादातर हिंदू दर्शनों के लिए जाते हैं. पाकिस्तान के इस्लामकोट में इकलौता राममंदिर भी है. बलूचिस्तान के लासबेला जिले में दुर्गा का हिंगलाज भवानी मंदिर भी है.