नोटबंदी से यूटर्न ले रही है सरकार, कैशलेस की जगह कैश को बढ़ावा

नई दिल्ली: Demonitization यानी नोटबंदी के बाद अब मोदी सरकार इसके उल्टे कदम उठा रही है. सरकार अब नये सिरे से कोशिश में है कि लोग पैसे बैंक में न ले जाएं और धन का बाहर की बाहर निपटारा कर दें. चानी सरकार का इरादा है कि लोग ज्यादा से ज्यादा करंसी का इस्तेमाल करें अगर करंसी बैंक से बाहर आ जाती है तो उसे अकाउंट में जमा न कराएं.
सुनने में ये बाद चौंकाने वाली लगती है लेकिन हाल के जो नये नियम जारी किए गए हैं वो सीधी इसबात की तरफ संकेत दे रहे हैं. इसका एक मतलब ये भी है कि नोटबंदी पूरी तरफ फेल रही है और सरकार यूटर्न ले रही है.
जानकारों के मुताबिक सरकार ने हाल में ये तीन सखत नियम लागू किए. जिनसे इस नीति का साफ साफ संकेत मिलता है.
1. बैंकों में पैसे डालने और निकालने पर शुल्क
सरकार ने बैंकों से पैसे निकालने और जमा करने पर तगड़ा शुल्क लगाने की छूट बैंकों को दे दी है. बैंकों में तीन बार से ज्यादा पैसे निकालने पर हर बार करीब 57 रुपये 50 पैसे देने होंगे. प्राइवेट बैंक इस पर करीब 150 रुपये चार्ज कर रहे हैं. इस नियम का मतलब साफ है कि पैसे बैंक में जमा न करने में ही फायदा है . अगर आप व्यापारी हैं और रोज़ की अपनी सेल का पैसा सीधे बैंक में जमा करते थे तो जाहिर बात है कि आप महीने भर में 3 से 5 हज़ार रुपये बैंक को देना नहीं चाहेंगे और नकदी से ही व्यवहार करना पसंद करेंगे. सारे माल की पेमेंट भी आप नकद ही करेंगे यानी ऑनलाइन और दूसरे डिजीटल पेमेन्ट के आधार धीरे धीरे कमजोर पड जाएंगे.
2. बैंकों में सिर्फ 2 लाख रुपये ही जमा करने या निकालने की छूट
दूसरे शब्दों में अगर आपका बड़ा कारोबार है और आप रोज़ 2 लाख रुपये से ज्यादा का लेनदेन करते हैं तो आपको ग्राहक से कहना होगा कि वो चेक में भुगतान करे वरना आप कैश भूलकर भी बैंक नहीं लेकर जाएंगे क्योंकि ऐसी हालत में आपको दगुना जुर्माना भरना होगा.
3. बैंक में कम से कम 500 रुपये की जमा राशि की बाध्यता
इस कानून के बाद लोग कोशिश करेंगे कि बैंक में अकाउंट न ही रखें क्योंकि मुफ्त में 500 रुपये का बैलेंस कोई नहीं रखना चाहता था. अब तक कर्मचारियों क सेलरी अकाउंट में इस तरह की अनिवार्यता नहीं होती थी. जाहिर बात है कि बैंक अकाउंट धीरे धीरे कम होंगे.
क्या है वजह ?
सरकार के इस फैसले की वजह बेहद आसानी से समझने लायक है. पीएम मोदी ने बिना किसी से सलाह किए नोटबंदी जैसा बड़ा फैसला लिया इसके कारण पूरे देश को जबरदस्ती अपने पैसे अकाउंट में पैसे जमा करने को मजबूर किया गया. नतीज ये हुआ कि एक साथ करीब 15 लाख करोड़ रुपये एकसाथ बैंकों में आ गए. अब बैंकों को इस पैसे का ब्याज देना पड़ रहा है.
जाहिर बात है अब सरकार चाहती है कि ये लोड कुछ कम हो. सस्ती ब्याज़ में लोन देने का विकल्प भी कभी मोदी ने सोचा था लेकिन ये विकल्प भी बेकार साबित हुआ. अर्थशास्त्रियों ने मोदी को समझाया कि ब्याज़ सस्ता करने से महंगाई बेतहाशा बढ जाएगी. उद्योगपतियों को सस्ता लोने देने पर और भी बड़ी समस्या हो सकती थी पहले ही विपक्ष इस मामले पर मोदी को अच्छी तरह बदनाम कर चुका है. इसलिए सरकार को यूटर्न लेना पड़ रहा है.