पछता रहा है मोदी को नोटबंदी की सलाह देने वाला, कहा- ये तो कुछ और कर दिया

नई दिल्ली :  जो शख्स नोटबंदी के पूरे बवाल की जड़ है उसे ही नोटबंदी पसंद नही आई. जी हां. नरेन्द्र मोदी सरकार को नोटबंदी का सुझाव देने वाले अर्थशास्त्री व अर्थक्रांति संस्था के संचालक अनिल बोकिल ने कहा है कि जैसी नोटबंदी की गई उससे तो अच्छा था न ही करते.

बोकिल ने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म करने को नोटबंदी जरूरी थी, लेकिन इसे लागू करने का तरीका बेहद घटिया था. बोकिल ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी को ऐसे लागू किया, जैसे ​किसी डॉक्टर ने मरीज को बिना एनेस्थीसिया दिए गंभीर ऑपरेशन कर दिया हो. बोकिल एक कार्यक्रम में शामिल होने चार नवंबर को भिलाई आए थे.

नोटबंदी पर बोकिल ने कहा उनकी संस्था ने 2000 में ही पहली बार अर्थव्यवस्था में सुधार के सुझाव सरकार को दिए थे. नोटबंदी इसका एक हिस्सा था. इसके बाद 2001 से 2012 के बीच राष्ट्रपति, तत्कालीन केन्द्र सरकार को अलग-अलग माध्यमों से सरकार को सुझाव दिए गए. फिर 2013 में गुजरात सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक प्रजेंटेशन से नोटबंदी सहित अर्थव्यवस्था में सुधार के सुझाव दिए. सारे डाक्यूमेंट पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हैं.

बोकिल ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी को वैसे लागू नहीं किया, जैसे सुझाव अर्थक्रांति ने दिए थे. भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नोटबंदी एक जरूरी ऑपरेशन था.

अनिल बोकिल ने बताया कि अर्थक्रांति द्वारा दिए गए सुझाव में स्टेप वाइज नोटबंदी करना शामिल था. इसके तहत एक निश्चित समयांतराल में पहले एक हजार, फिर पांच सौ और बाद में एक सौ रुपए के नोट बंद करने की सलाह थी. इसके साथ ही डिजिटल लेन—देन को बढ़ावा देना भी शामिल था. अर्थक्रांति का सुझाव था कि 50 रुपए से अधिक की करेंसी नहीं होनी चाहिए. दो हजार जैसे बड़े नोट बाजार में लाने की सलाह तो बिल्कुल ही नहीं थी.

अनिल बोकिल ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए अर्थक्रांति ने कर व्यवस्था को ही समाप्त करने का सुझाव दिया है. इसके तहत जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस) टैक्स की जगह यदि सरकार बीटीटी (बैंक ट्रांजिक्शन टैक्स) लागू करे तो अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होने की संभावना है. पेट्रोल, डीजल, लीकर जैसे कई प्रोडेक्ट जीएसटी के दायरे से बाहर हैं तो फिर यह वन नेशन व टैक्स कैसे हुआ.

अनिल बोकिल ने बताया कि बीटीटी (बैंक ट्रांजिक्शन टैक्स) के तहत सरकार प्रति ट्रांजेक्शन कर निर्धारित कर दे. ट्रांजेक्शन पर कर का प्रतिशत सभी नागरिकों पर एक जैसा लागू हो. प्रतिशत दो, पांच, सात या सरकार की सहूलियात के आधार पर कुछ भी हो सकता है. टैक्स उस खातेदार द्वारा देय होगा, जिसके खाते में पैसा क्रेडिट किया गया हो.

इससे सरकार को कर वसूली के लिए अलग—अलग से संसाधन लगाने की जरूरत नहीं होगी. लेकिन इससे पहले व्यापार में लेन—देन की ट्रांसपरेंट व्यवस्था, कैसलेश ट्रांजेक्शन को बढ़ावा, बड़े नोट को चलन से बाहर करना होगा. सुझाव के अनुसार बीटीटी लागू होने के बाद जनता को इनकम, जीएसटी, प्रॉपर्टी जैसे किसी भी प्रकार के डायरेक्ट व इनडायरेक्ट टैक्स वसूले नहीं जाएगें.