स्कूली बच्चे आखिर क्यों बन रहे हैं अपराधी, कोई अपनी प्रिंसिपल को गोली ऐसे ही नहीं मारता

चंडीगढ़ :  स्कूलों में बच्चों पर दबाव और स्कूलों का सख्त रवैया उन्हें अपराध की तरफ धकेल रहा है. पुराने दौर में शिक्षक बच्चों पर सख्ती करते थे लेकिन अपनापन खत्म नहीं होने देते थे. लेकिन सख्त दंड देने की तथाकथित अनुशासन की बीमारी नयी पीढ़ी को मानसिक रूप से बीमार बना रही है. बच्चे अक्सर या तो आत्म हत्या कर लेते हैं या अपराधी बन जाते हैं.

ताज़ा मामला हरियाणा का है. यहां 12वीं में पढ़ने वाला एक छात्र स्कूल से निष्कासित किए जाने से नाराज छात्र ने प्रिंसिपल को ही गोली मार दी. वारदात हरियाणा के यमुनानगर में एक निजी स्कूल परिसर के अंदर घटी. शनिवार को स्कूल में पैरेंट्स मीटिंग थी. आरोपी छात्र शिवांश पैरेंट्स मीटिंग में अपने पिता की रिवॉल्वर लेकर पहुंचा था. उसने प्रिंसिपल ऋतु छाबड़ा पर अपने पिता की रिवॉल्वर से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी.

प्रिंसिपल को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. आरोपी छात्र को वहां मौजूद लोगों ने किसी तरह काबू किया.  आरोपी छात्र को वहां मौजूद लोगों ने किसी तरह काबू किया. यमुनानगर के SP राजेश कालिया ने बताया कि आरोपी छात्र को गिरफ्तार कर लिया गया है.

इससे पहले भी लखनऊ के ब्राइटलैंड स्कूल में इसी तरह की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी जब एक छात्रा ने स्कूल में छुट्टी कराने की मंशा से पहली कक्षा के एक मासूम छात्र को चाकू मारकर घायल कर दिया था .आरोपी छात्रा ने खुद कुबूल किया वह स्कूल में छुट्टी कराना चाहती थी.

गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में 7 वर्षीय छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या कर दी गई थी. आरोप है कि स्कूल के ही 11वीं के एक छात्र ने उसकी हत्या की थी. यहां भी आरोपी ने स्कूल में छुट्टी कराने और टर्म एग्जाम को टालने के लिए इस वारदात को अंजाम दिया था. इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने आरोपी छात्र को गिरफ्तार किया है.

इन दोनों मामलों में भी छात्रों पर दबाव , छुट्टी न मिल पाना और इम्तिहान के दबाव जैसी बातें सामने आई हैं. घर वाले भी स्कूल के द्वारा बनाए गए दबाव का शिकार होने लगते हैं. ये भी एक कारण बनता है दबाव के बढ़ते जाने का.

इतना ही नहीं सरकार भी विद्यार्थियों पर शिक्षा के दबाव पर चिंता जताती रही है लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. राष्ट्रीय शैक्षिक शोध और अनुसंधान परिषद (एनसीईआरटी) स्कूलों में वर्तमान शिक्षा पद्घति के दुष्प्रभावों का अध्ययन कर रही है. इस अध्ययन का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति का कारण वर्तमान शिक्षा पद्धति तो नहीं है. इस बात की जानकारी राज्यसभा में दी गई थी.

प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल का उत्तर देते हुए तब की मानव विकास संसाधन राज्यमंत्री डी पुरंदेश्वरी ने कहा कि एनसीईआरटी ने अब तक वर्तमान शिक्षा पद्धति में परीक्षा के दबाव की वजह से छात्रों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में कोई सिफ़ारिश नहीं भेजी है.

सन 2004-2006 के बीच क़रीब 16 हज़ार छात्रों के आत्महत्या करने की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि बच्चे तनाव और दबाव में हैं लेकिन परीक्षा ही आत्महत्या का अकेला कारण नहीं है.”

सभी विश्वविद्यालयों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की शैक्षणिक सुधार करने की नसीहत के बाद एनसीईआरटी ने भी राज्य शिक्षा बोर्डों के साथ मिलकर परीक्षा सुधारों के लिए कुछ कदम उठाए हैं.