आखिर खुल गया चोटी कटवा का राज़, गुजरात पुलिस की बड़ी सफलता, आतंक का अंत

अहमदाबाद : दुनिया का कितना भी बड़ा रहस्य क्यों न हो आखिर साइंस के सामने खुल ही जाता है. चोटी कटवा का राज भी आखिर खुल ही गया. इसके साथ ही पिछले कई महीनों से चला आ रहा चोटीकटवा का रहस्य खत्म हो गया है. पुलिस के उंगली टेढ़ी करते ही गुजरात में पिछले तीन दिनों में दर्ज हुई चोटी कटने की 18 घटनाओं में से पांच झूठी साबित हो गईं. शिकायत करने वालों ने खुद यह माना कि उन्होंने झूठी शिकायत दर्ज कराई थी. इनमें राजकोट और सूरत से दो-दो और गांधीनगर से एक मामला दर्ज हुआ था. इनमें या तो शिकायत करने वालों ने खुद बाल काटे थे, या तो रिश्तेदारों ने काट दिए थे. पुलिस ने सभी से माफीनामा लिखवाया है.

सूरत पुलिस ने चोटी कटने के फर्जी मामलों के खिलाफ कार्रवाई करने की शुरुआत की है. साथ ही, राजकोट पुलिस ने भी एक एनजीओ विज्ञीन जथा के साथ मिलकर जांच की तो शिकायत करने वालों ने खुद चोटी काटने की बात स्वीकार की और माना कि उन्होंने झूठी कहानी गढ़ी थी. राजकोट के अम्बेडकर नगर में रहने वाली सोनल कुशवाहा ने पहले पुलिस को बताया था कि वह अपने कमरे में सो रही थी, तब कोई उसकी चोटी काट गया. बाद में जब राजकोट सिटी पुलिस, विज्ञान जथा एनजीओ के सदस्यों के साथ इस घटना की जांच करने के लिए पहुंची तो सोनल बेहोश हो गई और स्थानीय लोगों ने पुलिस से जाने को कहा.

जब पुलिस ने उससे बात किए बिना जाने से इनकार कर दिया, तब सोनल के भाई-बहन ने कबूल किया कि उन्होंने सोनल की चोटी काटी थी और वह भी योजना का हिस्सा थी.
राजकोट के ही एक दूसरे मामले में इंदूबेन की चोटी उनकी बहू दिव्याबेन ने तब काट दी थी, जब वह सो रही थीं.

पहले दिव्याबेन ने कहा कि आधी रात को घर में घुसे किसी भिखारी ने चोटी काटी है, लेकिन सख्ती से पूछताछ करने पर उन्होंने अपनी गलती मान ली और सच बोल दिया. गुरुवार को सूरत में दर्ज एक मामले में शिकायत करने वाली रेनू चौहान ने कहा था कि किसी ने सोते वक्त उसके बाल काट दिए.
बाद में पता चला यह उसकी ही करतूत थी. इसी तरह गांधीनगर के मंसा में दर्ज शिकायत की जांच में सामने आया कि जमीन पर मिले कटे बाल शिकायतकर्ता के थे ही नहीं.